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ग़ज़ल

मेरी आवारगी
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मेरी आवारगी

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** मेरी आवारगी को पनाह दे अपने दिल मे जगह तो दे थक चुका अब ये बंजारा रिश्ते को कोई नाम तो दे प्यार के सिवा कुछ नही आता जीने के कुछ उसूल सीखा तो दे इस शहर में हूँ मैं नया नया शीशे का दिल कहा रखु पता तो दे जख्म हरे है सुखाना चाहता हूँ थोड़ी सी तेरे होंठो की नमी तो दे . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17...
बाती में जब …
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बाती में जब …

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** बाती में जब कभी समाहित होता स्नेह! दीपशिखा से तभी प्रकाशित होता स्नेह! उस बस्ती में कभी नहीं रहता है चैन, जिस बस्ती से अगर विलोपित होता स्नेह! लाभ उठाते धरा निवासी सारे लोग, हर सरिता से सतत् प्रवाहित होता स्नेह! कालजयी हैं अनुपम हैं वे सब रचनाएँ, जिनसे जग में नित्य प्रसारित होता स्नेह! महिला कोई प्रसू कहाती है जिस रोज़, अविभाजित है मगर विभाजित होता स्नेह! कलह नहीं हो सकती हावी उस घर में! निशि-दिन प्रति क्षण जहाँ विराजित होता स्नेह! उल्फ़त के ही दीप जलाया करो ''रशीद' नफ़रत से हर ओर समापित होता स्नेह! . लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी•...
मुहब्बत में …
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मुहब्बत में …

तबस्सुम अश्क़ उज्जैन ******************** मुहब्बत में मुझे इतना बहुत है तेरा ख़्वाबो में ही मिलना बहुत है तुझे मंज़िल मिले मेरी दुअ़ा से मेरे हक़ में तो ये रस्ता बहुत है न मुझसे दूरियां इतनी बढ़ाओ ये दिल पहले से ही तन्हा बहुत है तू मुझको देख ले तुझको मै देखूं हमारा बस यही रिश्ता बहुत है समझता है बड़ा ख़ुद को जो यारों हक़ीक़त में वही छोटा बहुत है ज़ियादा कुछ नहीं है मेरी ख़्वाहिश तू जितना प्यार दे उतना बहुत है किसी के इश्क़ में टूटा हुआ है वो हर इक बात पे हंसता बहुत है अभी से उंगलियां थकने लगी है मुहब्बत पर अभी लिखना बहुत है न समझो तो ग़ज़ल ज़ाया है पूरी अगर समझो तो इक मिस्रा बहुत है . लेखक परिचय :- तबस्सुम अश्क़ उज्जैन आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, ...
आईना चांद को …
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आईना चांद को …

शरद मिश्र 'सिंधु' लखनऊ उ.प्र. ********************** बतौरे खास भी कहना न कभी आया है। मगर वो कहता है हमने भी गजल गाया है। शहर में आज मेरे फिर उसी की आमद है, हवाओं ने ही हमें यह खबर सुनाया है। ये रंग इंद्रधनुष का व चमन की खुशबू, वो आ गया है तो मेरे लिए ही आया है। कभी फिर होगी बात पूजा और सजदे की, मुझे वहीं वो मिला सर जहां झुकाया है। वो मेरे साथ ही रहने को अमादा अचरज, सोचता था कि उसे मैंने खुब सताया है। लुटाता ही रहा हूं प्यार मुहब्बत लोगों, वही लुटाया है हमने जो सदा पाया है। बनी शागिर्द जमाने में "सिंधु" की लहरें, आईना चांद को जब भी कभी दिखाया है। . लेखक परिचय :-  नाम - शरद मिश्र 'सिंधु' उपनाम - सत्यानंद शरद सिंधु पिता का नाम - श्री महेंद्र नारायण मिश्र माता का नाम - श्रीमती कांती देवी मिश्रा जन्मतिथि - ३/१०/१९६९ जन्मस्थान - ग्राम - कंजिया, पोस्ट-अटरामपुर, जनपद- प्रयाग राज (इलाहाबाद) नि...
बस यूं ही …
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बस यूं ही …

शरद मिश्र 'सिंधु' लखनऊ उ.प्र. ********************** इस तरह से चलो जिया जाए। घाव दिल के सभी सिया जाए। एक आंधी न हैं कई शायद, हर तरफ दीप रख लिया जाए। हम जुटाएं जरूर असि पर वह, बंदरों को नहीं दिया जाए। पथ निहारें न सदा शंकर का, विष स्वयं भी कभी पिया जाए। लांघने पर अवश्य दें उत्तर, जुल्म की हद बना लिया जाए। चाहता हूं गजल कहूं लेकिन, भागता दूर काफिया जाए। बन गए रूप का हिमालय वो, चांद को भी गगन दिया जाए। "सिंधु" वह चांद हारकर देगा, रार नभ से चलो किया जाए . लेखक परिचय :-  नाम - शरद मिश्र 'सिंधु' उपनाम - सत्यानंद शरद सिंधु पिता का नाम - श्री महेंद्र नारायण मिश्र माता का नाम - श्रीमती कांती देवी मिश्रा जन्मतिथि - ३/१०/१९६९ जन्मस्थान - ग्राम - कंजिया, पोस्ट-अटरामपुर, जनपद- प्रयाग राज (इलाहाबाद) निवासी - पारा, लखनऊ, उ. प्र. शिक्षा - बी ए, बी एड, एल एल बी कार्य - वकालत, उच्च न्यायालय खंडपीठ लखन...
फिर कोई …
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फिर कोई …

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) (मुजफ्फरनगर) ******************** फिर कोई इंतजाम हो जाए झुक के उनको सलाम हो जाये मौत के खेल में कुछ ऐसा हो ज़िंदगी महंगे दाम हो जाये छोड़ो खुशियों को आगे जाने दो गमों का एहतराम हो जाये वो पियें तो शौक है उनका मैं पियूं तो हराम हो जाये यहाँँ जो है सब खुदा का है चलो एक एक जाम हो जाये अभी ठहरा हूँँ आ गले लग जा सफर न यूं ही तमाम हो जाये हमें आजमानेंं वो आयें "शाफिर" और अपना भी काम हो जाये . लेखक परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) ग्राम- सौंहजनी तगान जिला- मुजफ्फरनगर प्रदेश- उत्तरप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.com...
बस यूं ही …
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बस यूं ही …

शरद मिश्र 'सिंधु' लखनऊ उ.प्र. ********************** दग्ध चमन। है अनबन। गजल महज, पैनापन। उर्वर है, यह कन कन। वीणा की गूंज सघन। सूरज तुम, किरन किरन। पायल बस, छनन छनन। नारों में, हल्कापन। नेता का सिर्फ कथन। आंखों में, आग तपन। व्यथित देख, जन गन मन। देखें क्या, सूर नयन। भारत का, तन मन धन। "सिंधु" महज, अब न उफन। . लेखक परिचय :-  नाम - शरद मिश्र 'सिंधु' उपनाम - सत्यानंद शरद सिंधु पिता का नाम - श्री महेंद्र नारायण मिश्र माता का नाम - श्रीमती कांती देवी मिश्रा जन्मतिथि - ३/१०/१९६९ जन्मस्थान - ग्राम - कंजिया, पोस्ट-अटरामपुर, जनपद- प्रयाग राज (इलाहाबाद) निवासी - पारा, लखनऊ, उ. प्र. शिक्षा - बी ए, बी एड, एल एल बी कार्य - वकालत, उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ सम्मान - सर्वश्रेष्ठ युवा रचनाकार २००५ (युवा रचनाकार मंच लखनऊ), चेतना श्री २००३, चेतना साहित्य परिषद लखनऊ, भगत सिंह सम्मान २००८, शिव सिंह सरोज ...
रात भर वो
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रात भर वो

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** आसमाँ से नज़ारा लुटाता रहा। रात भर वो सितारा लुभाता रहा। कुछ सलीक़े उसी से चलो सीख लें, वास्ता जो सभी से निभाता रहा। मुस्कुराहट हमें भी वहाँ आ गई, ये ज़माना जहाँ मुस्कुराता रहा। चाँद सूरज की तरहाँ है उसका सफ़र, जो उजालों का दरिया बहाता रहा। जानता है रिवायत, शराफ़त सभी, वो झुकाकर भी नज़रें मिलाता रहा। . लेखक परिचय :- नाम ... नवीन माथुर पंचोली निवास ... अमझेरा धार मप्र सम्प्रति ... शिक्षक प्रकाशन ... देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन। तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान ... साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी ...
हम भी कुछ जरा
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हम भी कुछ जरा

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** अब हम भी कुछ जरा बेहतर लिखते है, तभी तो सोने को पीतल मोम को पत्थर लिखते है। फरेब मक्कारी साजिश होती रहती है, तभी तो हम हाथों में उनके खंजर लिखते है। कतरे को दरिया कहे है दुनियां सारी, रब की रज़ा को हम समुंद्र लिखते है। मुफलिसी ने समेटे रखा मुझको दायरों में, जख्मों को कुरेद के ही बातें बेहतर लिखते है। आलम ये मेमना बन के जी रहे है लोग, जहरीली सियासत को हम अजगर लिखते है। दर्द जो लिखता हूं गरीबों के, पढ़ के खुश है सब, जालिम दुनियां कहती है हम पीकर लिखते है। शाहरुख छोड़ो ना उम्मीदें ये तो फर्क है, कागजों पे दर्द हम बहुत सहेजकर लिखते है। . लेखक परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...
आपसे आपका ख़फ़ा होना
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आपसे आपका ख़फ़ा होना

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** आपसे आपका ख़फ़ा होना । तब मुनासिब है फ़ासला होना। इश्क़ में क़ायदा नही कोई, यार से यार का जुदा होना। है जमीं - आसमाँ अलग लेकिन, ये भरम दूर का मिला होना। लाख चेहरे ने कह दिया सब कुछ, कुछ जरूरी रहा कहा होना। सब जहाँ आपका रहे बनकर, चाहिये आप में वफ़ा होना। मिल गया कौन, कब, कहाँ ,कैसे, हाले किस्मत है वो लिखा होना। . लेखक परिचय :- नाम ... नवीन माथुर पंचोली निवास ... अमझेरा धार मप्र सम्प्रति ... शिक्षक प्रकाशन ... देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन। तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान ... साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, ...
आपको पा लूँ …
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आपको पा लूँ …

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) (मुजफ्फरनगर) ******************** आपको पा लूँ ना ये हसरत सजायेगें कभी वक्त है अब चल रहे हैं फिर ना आयेगें कभी सर्द है यह लौ भी अब तो हसरतें- दीदार की शम्मा तेरी आरज़ू की फिर जलायेगें कभी जख्म बस हासिल हुए जिस दौर में अब तक मुझे गुज़रे हुए उस दौर से तुमको मिलायेगें कभी बुझ गई हर सम्त अब तो शम्मा ए महफिल यहां बिखरे हुए जज्बात अपने फिर दिखायेगें कभी खुश्क लब हैं चश्मे पुरनम क्यों है दिल नाशाद सा पर्दा दर पर्दा हकीकत का हटायेगें कभी रोते-रोते आज फिर लो हो गई हसरत जवां बरबादियों के जश्न में खुद को लुटायेगें कभी गाफिल रहे गुलशन में "शाफिर" बेखुदी अंदाज़ में नाज़ुक गुलों से इस तरह भी जख्म खायेंगेंं कभी . लेखक परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) ग्राम- सौंहजनी तगान जिला- मुजफ्फरनगर प्रदेश- उत्तरप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी ...
मयकदा पानें के बाद
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मयकदा पानें के बाद

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) (मुजफ्फरनगर) ******************** मैं नशे में ठीक था मैं मयकदा पानें के बाद बस परेशान ही रहा हूँ होश में आनें के बाद शख्सियत खुद की तराशो सादगी से इस कदर आपकी तारीफ हो यहाँ आपके जानें के बाद जब भी मिलता है वो अब भी आदतन मजबूर है पूछता है हाल वो मुझ पर सितम ढानें के बाद खुद से गर ना मिल सके इस बार कोई गम नहीं फिर शुरू होती है माला आखिरी दानें के बाद दुश्मनी मुझसे है या फिर है अदा उसकी कोई फिर सितम करता है वो कितना भी समझाने के बाद जिस तरह भी आजमाओ मुझको तुम मेरे सनम तुमको ना मुझसा मिलेगा मेरे अफसानें के बाद अब तलक भटका हुआ शाफिर" नशे में चूर था आज संभला हूं मैं लेकिन ठोकरे खानें के बाद . लेखक परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) ग्राम- सौंहजनी तगान जिला- मुजफ्फरनगर प्रदेश- उत्तरप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच ...
कौन तकता है
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कौन तकता है

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** कौन तकता है बार-बार किसे। इस क़दर राहे इंतज़ार किसे। अपनी आँखों में कुछ नमी लेकर, यूँ रुलाता है जार-जार किसे। जब निभाये हैं वास्ते उसने, फिर जताता है एतबार किसे। ख़ुद छुपाता है ग़म सभी अपने, और कहता है राज़दार किसे। रात की नींद, चैन सब खोया, दे दिया उसने अपना प्यार किसे। . लेखक परिचय :- नाम ... नवीन माथुर पंचोली निवास ... अमझेरा धार मप्र सम्प्रति ... शिक्षक प्रकाशन ... देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन। तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान ... साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindiraksh...
जय छठ महारानी
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जय छठ महारानी

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** जय, जय, जय छठ महारानी। महिमा तोरी को न जानी।। जन के काया निर्मल कर दीजे।। माँ भारती के कष्ट हर लीजे।। जय, जय, जय छठ महारानी। संकट हरणी, जगत संचालिनी।। प्रथम दिवस को नहाये-खावै। कद्दू-भात का भोग लगावै।। द्वितीय दिवस खरना आवै। खीर मातु को भोग लगावे।। तृतीय दिवस पूजन का आवे। अस्तांचल सूर्य को अर्घय चढ़ावे।। चतुर्थ दिवस उदित सूर्य को। डाला छठ नाम यशगान को।। . लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में। ...
कोहरे से झांकता हुआ
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कोहरे से झांकता हुआ

लक्ष्मीकांत मुकुल रोहतास (बिहार) ******************** कोहरे से झांकता हुआ आया मांगी थी रोशनी ये क्या आया सूर्य रथ पर सवार था कोई उसके आते ही जलजला आया घोंसले पंछियों के फिर उजड़े फिर कहीं से बहेलिया आया दूर अब भी बहार आँखों से दरमियाँ बस ये फ़ासला आया काकी की रेत में भूली बटुली मेघ गरजा तो जल बहा आया जो गया था उधर उम्मीदों से उसका चेहरा बुझा बुझा आया बागों में शोख तितलियां भी थीं पर नहीं फूल का पता आया . लेखक परिचय :- लक्ष्मीकांत मुकुल जन्म – ०८ जनवरी १९७३ निवासी – रोहतास (बिहार) शिक्षा – विधि स्नातक संप्रति - स्वतंत्र लेखन / सामाजिक कार्य। किसान कवि/मौन प्रतिरोध का कवि। कवितायें एवं आलेख विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित, पुष्पांजलि प्रकाशन, दिल्ली से कविता संकलन “लाल चोंच वाले पंछी’’ प्रकाशित आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फ...
होना था जो साथ मेरे हो गया
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होना था जो साथ मेरे हो गया

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) (मुजफ्फरनगर) ******************** होना था जो साथ मेरे हो गया क्या बतायें क्या मिला क्या खो गया आज फिर दीया जला है कब्र पर हो ना हो वो आज फिर से रो गया भूखे बच्चे को सुनाकर लोरियां माँ ने देखा रोते रोते सो गया उम्र गुज़री पूरी तब आया समझ आज तक आया नहीं है जो गया हर तरफ काँटों का जंगल है यहाँ कौन था जो बीज ऐसे बो गया छिननें की ज़िद तो बस ज़िद रह गयी जिसका जो उसको मुबारक हो गया तुनें "शाफिर" जो किये मैले गुनाह आँख का इक आँसू सब कुछ धो गया . लेखक परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) ग्राम- सौंहजनी तगान जिला- मुजफ्फरनगर प्रदेश- उत्तरप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहा...
किसी को ज़ख्म दूँ
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किसी को ज़ख्म दूँ

प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) (मुजफ्फरनगर) ******************** किसी को ज़ख्म दूँ ऐसा हुनर आता नहीं मुझे पहले की तरहा अब वो बुलाता नहीं मुझे दिल खोलकर बातें तमाम करते थे रातभर अब पुछता हूँ फिर भी बताता नहीं मुझे इतना चढा हूँ बार बार दारो रसन पर हादसा कोई भी रूलाता नहीं मुझे आजमाया है बहुत भरी बरसात का मौसम अश्कों के जैसा वो भी भिगाता नहीं मुझे इल्ज़ाम से मैनें यूँ बरी सबको कर दिया पीता हूँ ख़ुद ही कोई पिलाता नहीं मुझे कडवा है सच बहुत मुझे होनें लगा यकीन क्योंकि वो अपनें मुहँ अब लगता नहीं मुझे मैं जाग जाता हूँ ख़ुद ही "शाफिर" सुबह लेकिन माँ की तरहा अब कोई जगाता नहीं मुझे . लेखक परिचय :- प्रमोद त्यागी (शाफिर मुज़फ़्फ़री) ग्राम- सौंहजनी तगान जिला- मुजफ्फरनगर प्रदेश- उत्तरप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित...
पुरानी हर ईमारत
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पुरानी हर ईमारत

********* विवेक सावरीकर मृदुल (कानपुर) पुरानी हर ईमारत ढहाई जाएगी तब स्मार्ट सिटी बसाई जाएगी सिनेप्लेक्स क्लब या मॉल होंगे झुग्गी बस्ती की जमीन जाएगी यादों का मलबा दबाया जायेगा और नई नेमप्लेट लगाई जाएगी एक ग़ज़ल भर नहीं मेरी संवेदना उम्मीद है दिल से सुनाई जाएगी वहीँ दफ़्न होगी 'मृदुल' की आरज़ू जहाँ से भी मिटटी उठाई जाएगी   लेखक परिचय :-  विवेक सावरीकर मृदुल जन्म :१९६५ (कानपुर) शिक्षा : एम.कॉम, एम.सी.जे.रूसी भाषा में एडवांस डिप्लोमा हिंदी काव्यसंग्रह : सृजनपथ २०१४ में प्रकाशित, मराठी काव्य संग्रह लयवलये, उपलब्धियां : वरिष्ठ मराठी कवि के रूप में दुबई में आयोजित मराठी साहित्य सम्मेलन में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व, वरिष्ठ कला समीक्षक, रंगकर्मी, टीवी प्रस्तोता, अभिनेता के रूप में सतत कार्य, हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं में समान रूप से लेखन। संप्रति : माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय ...
हम जैसे पागल
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हम जैसे पागल

********** मोहम्मद सलीम रज़ा रीवा म.प्र. हम जैसे पागल बहुतेरे फिरते हैं आप भला क्यूँ बाल बिखेरे फिरते हैं काँधों पर ज़ुल्फ़ें ऐसे बल खाती हैं जैसे लेकर साँप सपेरे फिरते हैं चाँद -सितारे क्यूँ मुझसे पंगा लेकर मेरे पीछे डेरे - डेरे फिरते हैं खुशियां मुझको ढूँढ रही हैं गलियों में पर ग़म हैं की घेरे - घेरे फिरते हैं ना जाने कब उनके करम की बारिश हो और न जाने कब दिन मेरे फिरते है   परिचय :- नाम – मोहम्मद सलीम रज़ा शायरी नाम – सलीम रज़ा रीवा तख़ल्लुस – ”रज़ा” जन्म स्थान – मध्य प्रदेश का रीवा ज़िला जन्म दिन – १५.०७.१९७५ तालीम – उर्दू में स्नातक नौकरी – ब्रान्च मैनेजर लाइफ़ इन्सुरेंस रचना प्रकाशन – कई पत्र पत्रिकाओं में रचना प्रकाशित रचना पाठ – आकाशवाणी में कई प्रकाशन, दूरदर्शन में रचना प्रसारण, कई मुशायरे एवं कवि गोष्ठी में रचना पाठ रचना विधा – गीत, ग़ज़ल, क़तआत, नात – ए – मुबारिक, हम्द उपलब्ध...
जो बड़ी बात
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जो बड़ी बात

********** नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. जो बड़ी बात वो अगर होती। तो हमें उसकी कुछ ख़बर होती। ये सफ़र वक़्त पर ठहर जाता, राह थोड़ी जो मुख़्तसर होती। हैं दुआयें जो आपकी सब पर, आज हम पर भी वो असर होती। जो कभी अपनी आशनाई थी, वो लगी साथ उम्र भर होती। आपका साथ मिल गया उतना, जिंदगी मौज में बसर होती। लेखक परिचय :- नाम ... नवीन माथुर पंचोली निवास ... अमझेरा धार मप्र सम्प्रति ... शिक्षक प्रकाशन ... देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन। तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान ... साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) ...
हर तरफ अंधेरा
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हर तरफ अंधेरा

********** शाहरुख मोईन अररिया बिहार हर तरफ अंधेरा नफरतों का उजाला है, इन्हीं ठोकरों ने मुझको हमेशा संभाला है। कसीदे कैसे लिखते हम उनके खातिर, अब ऐसे लोगों क तो अंदाज निराला है। अब नफरतों के बीज बिखेरे जा रहे है, ऐसे सांपों को जो हम सबने पाला है। दिल में दगा और जुबां है शीरी उसकी, जालिम का हुकूमत में अब बोलबाला है। पहन के लिवास सफेद वो मसीहा बने है, मन मैला तो दिल उसका बड़ा काला है। गरीबों की बस्ती में बेरोजगारों की कतारें, मयस्सर नहीं अब भुखो को निवाला है। दुनियां के सितम से इस कद्र टूटा शाहरुख, बालिद की दुआ मां के हौसलों ने संभाला है। लेखक परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहा...
जो मैने कहा दिया
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जो मैने कहा दिया

********** नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. जो मैने कहा दिया कहना नहीं था। मुझे इस बात का हर्जा नहीं था। मेरीआसानियाँ थी किस तरहाँ की क़दम भर का जहाँ रस्ता नहीं था। अग़र वो खूबसूरत है तो सोचो, क्यों उसके सामने पर्दा नहीं था। समन्दर है खफ़ा इन कश्तियों से, यूँ उनका डूबना अच्छा नहीं था। जताती है ये आँखें भूल अपनी, हमें इस रात से लड़ना नहीं था। लेखक परिचय :- नाम ...नवीन माथुर पंचोली निवास.. अमझेरा धार मप्र सम्प्रति... शिक्षक प्रकाशन... देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन। तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान... साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें ...
क्या है व्यवस्था
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क्या है व्यवस्था

********** संजय जैन मुंबई दिया जिन्होंने छोड़, अपने लोगो को। तभी लड़खड़ाई हमारी, देश की व्यवस्था। मुझे लग रहा है कि, कही लुप्त न हो जाये। हमारे देश की वो प्यारी संस्कृति, तभी पढ़े लिखे लोग, जा रहे विदेशों को।। पढ़े लिखे लोग बेच रहे है, देश में लाटरी के टिकेट। अनपढ़ लोग पढ़ा रहे है, बच्चो को स्कूलों में । लगा सकते हो तुम, अंदाजा हमारी व्यवस्था का। तभी विध्दामान लोग, चले जा रहे विदेशों को।। सुधारना होगा हमे अपनी, देश की व्यवस्था को। वरना अकाल पड़ जाएगा, पढ़े लिखे लोगो का। क्योंकि सब कुछ बदल रहा है, लोगो की सोच से। इसलिए तो हम रो रहे है, अपनी व्यवस्था पर।। .लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-...
होती नहीं इज्जत
ग़ज़ल

होती नहीं इज्जत

********** शाहरुख मोईन अररिया बिहार होती नहीं इज्जत जिनसे मां-बाप की, खुद की औलाद से तो उम्मीदें वफ़ा न रख। जन्नत तो खो दी तूने मां को रुला के, रूठ गए जो जमी के ख़ुदा, तो ख़ुदा से वास्ता न रख। मुमकिन नहीं कीमत उनके आंसू की अदा हो, जर्रा है तू दुनियां में कोई रुतबा न रख। माना तु अमीरे शहर है कुछ नहीं मगर है, गैरत मर गई तेरी, दिखावे का कोई ओहदा न रख। मुफलिसी में भी खुश हुं अपने मां बाप के साथ, जो लोग हैं बेकद्र, ऐसे लोगों से तू वास्ता न रख। जमी पे क्यों न हो सैलाब, कहकशाली का आलम अब, सरेआम कर दे जलील बेकद्रो को, जरा भी हया न रख। दुनियां में मयस्सर है, मुझको तमाम खुशियां मगर, शाहरुख़ बैठ के मस्ज़िदों में झूठा सज्जदा न रख। . लेखिक परिचय :- नाम - शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित कर...
नाम जब भा गया
ग़ज़ल

नाम जब भा गया

********** नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र.   नाम जब भा गया दोस्ती का। मिल गया रास्ता बन्दगी का। सामने आप आकर जो बैठे, आ गया तब मज़ा मयकशी का। खिड़कियाँ जब हवाओं ने खोली, तब पता पा लिया रोशनी का। कश्तियों के सफ़र की तरह फिर, चल पड़ा सिलसिला जिंदगी का। है हमारी रवायत नहीं ये, क़ायदा है यही हर किसी का। लेखक परिचय :- नाम ...नवीन माथुर पंचोली निवास.. अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति... शिक्षक प्रकाशन... देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान... साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक...