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रोला

श्रीरामजी पर रोला
रोला

श्रीरामजी पर रोला

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** (१) महाशक्ति है दिव्य, रामजी जो कहलाते। हर पल ही जो भव्य, भक्त जिनको हैं भाते।। प्रभुवर रखते ताप, सभी के दुख हैं हरते। महिमा का विस्तार, पुष्प गरिमा के झरते।। (२) महाशक्ति है दिव्य, रामजी की है माया। करना प्रभु उद्धार, बोझ यह नश्वर काया।। तुम तो दीनानाथ, तुम्हीं हो सबके स्वामी। मैं तो नित्य अबोध, दुर्गुणी, अति खल, कामी।। (३) महाशक्ति है दिव्य, हृदय में सबके रहते। बनकर के उपहार, भक्ति में नित ही बहते।। यह जीवन अभिशाप, दुखों ने डाला डेरा। हे मेरे प्रभु राम !, मुझे पापों ने घेरा।। (४) महाशक्ति है दिव्य, उसी ने जगत बनाया। कहीं रची है धूप, कहीं पर शीतल छाया।। बाँटा है उजियार, रचा है मानवता को। लेकर के अवतार, मारते दानवता को।। (५) महाशक्ति है दिव्य, जिन्हें हम रघुवर कहते। बनकर जो शुभभाव, हमारे सँग नित रहत...
लहरों की आशाएं
कविता, रोला

लहरों की आशाएं

हितेश्वर बर्मन डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** बहती नदिया अपनी रास्ता खुद से बना लेती है राह के चट्टानों को लहरों से बहा ले जाती है। दृढ़ संकल्प लिये बढ़ती सदा अपने लक्ष्य को मुड़कर कभी देखती नहीं है पीछे के दृश्य को। जोश, जुनून के साथ बहती लहरों में है उफान मंजिल की ओर बढ़ती है मन में लिए तूफान। राह बनाती बह रही है, पथरीली रास्ते को काटकर अंजाम छोड़कर हर बाधाओं से लड़ रही है डटकर। थमती नहीं है कभी एकाग्र होकर नित्य करती अपना काम वो जानती है एक दिन सागर के तट पर लिखा है अंजाम। निडर होकर हरदम बहती है चाहे मार्ग में आये कितनी बाधाएं लहरों से शंखनाद करती चल रही है मन में लिये कितनी आशाएं। परिचय :-  हितेश्वर बर्मन निवासी : डंगनिया, जिला : सारंगढ़ - बिलाईगढ़ (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...