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प्रभु से विनती…
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प्रभु से विनती…

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** प्रभु करो करुणा तो तेरा, "प्रेम" भक्ति गीत गाये, जो सुने उनको, उन्ही में डूब, उनको गुनगुनाये। प्रभु करो करुणा.... राम जी ने की कृपा तो, भाव खुद बहने लगे है, और उनकी महिमा का गुणगान हम करने लगे हैं। गीत हों स्वर में संजोए, श्रेष्ठ गायक जग सुनाएं। प्रभु करो करुणा.... तुमने की किरपा तो तुलसीदास ने मानस लिखी है, भाव से जिसने किया है पाठ, तो भक्ति दिखी है। जो करे रसपान नित, वो इससे जीवन युक्ति पाए। प्रभु करो करुणा.... जिस हृदय करुणा जगी, वो श्रेष्ठ मानव ही बनेगा, भूलकर वो स्वार्थ अपना, दीनों के दुख को हारेगा। हर तरफ दिखने लगे तू, वो भी तुझमें डूब जाये। प्रभु करो करुणा... नाम तेरा मुक्तिदायी, इसको बस जपता रहूँ अब, सांसे गिनती की मिली हैं, क्या पता रुक जायें ये कब। "प्रेम" अब सुमिरन में तेरे,...
गणेश स्तवन
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गणेश स्तवन

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** जय जय जय गणपति महाराजा मंगल भरण गणपति शुभ काजा विद्या बुद्धि सबको देते हैं गणेशा अंधकार उर का हर लेते महराजा गौरीसुत शिवनंदन गणपति देवा प्रथमपुज्य देवों में गणनायक देवा ऋद्धि सिद्धि के स्वामी हैं गणेशा मंगल मूरत शुभ फलदायक देवा पीताम्बर ओढ़े चार-भुजा धारी मनमोहनी सूरत भक्तन सुखकारी मोदक भोग गणेशा अति भायी मूषक वाहन की करते हैं सवारी जो भी द्वार पे तिहारे आ जाता खाली कभीं भी नहीं वो जाता विध्न-विनाशक गणनायक देवा मनवांछित फल के तुम हो दाता तेरे दर आकर मैं पुकार लगाऊँ विपदा सुना कर अरज लगाऊँ विध्न हरो हे गणेशा मैं पुकारूँ श्रद्धा पुष्प अर्पित कर मैं जाऊँ परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित...
दे दो दर की नौकरी सतगुरु जी एक बार
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दे दो दर की नौकरी सतगुरु जी एक बार

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** दे दो दर की नौकरी सतगुरु जी एक बार बस इतनी तनखा देना तेरा होता रहे दीदार तेरे काबिल नहीं हूं सतगुरु फिर भी काम चला लेना जैसा भी हूं तेरा हूं मेरे सारे अवगुण हर लेना बस तेरी कृपा होगी सतगुरु तेरी कृपा होगी मेरा सुधरेगा संसार... सारे जगत के दाता हो तुम मेरी क्या औकात है तेरे दर की सेवा करना तो किस्मत की बात है मानूंगा तेरा कहना सतगुरु दिल में मेरे रहना तेरा करता रहूं दीदार... संकट हरता मंगल करता सतगुरु तेरा नाम है यह तन मन यह जीवन सतगुरु अब तो तेरे नाम है चरणों में सतगुरु रखना दिल में हमको बसाना और देना हमको प्यार... मांगने की आदत है सतगुरु लाज़ तेरे दर आती नहीं परवाह करूं क्यों दुनिया की मैं दुनिया तो बिगड़ी बनाती नहीं तेरा काम है बिगड़ी बनाना भटकों को राह दिखाना दर पर आता रहूं हर बार.. ओ मे...
गणेश स्तुति
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गणेश स्तुति

अर्चना तिवारी "अभिलाषा" रामबाग, (कानपुर) ******************** भाद्रचतुर्थी तिथि अति पावन । शंभु उमा के पुत्र गजानन ।। शुभम दिवस जन्में श्री कंता । संकट नाशक प्रभु भगवंता ।। प्रथम पूज्य हे गिरिजानंदन। प्रतिपल करूँ तुम्हारा वंदन ।। मातु-पिता के तुम हो प्यारे। गौरी नन्दन शंभु दुलारे ।। बुद्धि प्रदाता हे गणनायक। संतति सुख के तुम हो दायक ।। सकल मनोरथ पूरण करते । भक्तों के प्रभु दुख हैं हरते ।। हे लंबोदर भवभय हारी । शूर्पकर्ण पीताम्बरधारी ।। लड्डू मोदक अति मन भावे । नरियल का नित भोग लगावे ।। दूब-शमी प्रभु को है प्यारी । धूप-दीप प्रभु पे बलिहारी ।। सच्चे मन जो करते सेवा । पूर्ण मनोरथ करते देवा ।। तुम्हरी महिमा जग से न्यारी । मूषक की तुम करो सवारी । जिन पर होती कृपा तुम्हारी । धन्य-धन्य होते नर-नारी ।। हे गजवंदन हे गणनायक । भक्तों के प्रभु तुम हो तारक ।। ...
श्री गणेश स्तुति
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श्री गणेश स्तुति

राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** गौरी नंदन शंकर सुत, हे गजानन महराज। देव संग आन पधारो, पूरन कर दो काज।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. प्रथम पुज्य हो गणपति, लंबोदर महराज। मूषक वाहन चढ़ा करें, हे मंगलमूर्ति काज।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. एकदंत हे भालचंद्र, हे सिद्धि विनायक नाथ। वक्रतुंड मृत्युंजय, नमस्तुते हे नाथ।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. पीतांबर भूषण सजे, मोदक लगे हैं प्यार। हे बुद्धिनाथ कृपा करें, भक्तों पर हर बार।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. हे विघ्नराज संकट हरन, चतुर्भुज गणराज। वरद विनायक वर दे, मनवांछित फल आज।। हे गणेश महराज, जय-जय गणेश महराज.. परिचय :-  राम रतन श्रीवास निवासी : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) साहित्य क्षेत्र : कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष सम्मान :...
शिव स्तुति
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शिव स्तुति

उषाकिरण निर्मलकर करेली, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** हे! मोक्षरूप, हे! वेदस्वरूप, हे! व्यापक ब्रम्ह जगदव्यापी । हे! नीलकंठ, हे! आशुतोष, तुम अजर अमर हो अविनाशी । हे! शशिशेखर, हे! सदाशिव, तुम व्योमकेश तुम कैलाशी, कृपा करो प्रभु कृपा करो, अब विघ्न हरो घट घट वासी । हे! शूलपाणि, हे! विरुपाक्ष, हे! वीरभद्र, हे! खटवांगी । हे! मृगपाणि, तुम सहस्राक्ष, हो सहस्रपाद हे! कालांगी । हे! शिवाप्रिय, हे! ललाटाक्ष, माँ शैलसुता है वामांगी , हे! भूतनाथ, तुम ही रुद्राक्ष, तुम पंचभूतों के हो संगी । हे! भुजंगभूषण, हे! मृत्युंजय, सच्चिदानंद, अंतर्यामी । देवों के देव, हे! महादेव, मैं याचक हूँ, तुम हो स्वामी । हे! अलखनिरंजन, हे! दुखभंजन, तुम करुणा के सागर हो, काम हरो अब नाम करो प्रभु, तुम निष्काम, मैं हूँ कामी । हे! अमरनाथ, हे! रामेश्वर, हे! परमेश्वर, हे! सुखकारी । हे! वृषाङ्क, ह...
जय हो भोलेनाथ की
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जय हो भोलेनाथ की

डोमेन्द्र नेताम (डोमू) डौण्डीलोहारा बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** देवों के देव तुम कहलाए, हे शिव भोले भंडारी। फूल पत्ते में आप खुश हो जाते, पुजा करे नर -नारी।। सावन की पावन महीने में, जाते हैं सभी शिव के द्वार। कष्ट निवारण दु:ख हर्ता वो, खुशियां मिले हजार।। ब्रम्हां विष्णु तेरी महिमा गाए, तन-मन में बसे रहो तुम हरदम। क्या कहे भोलेनाथ जी, आप हो सत्यम शिवम् सुन्दरम।। शिव की शक्ति शिव की भक्ती, शिव की महिमा अपार। शिव ही करेंगे हम सभी, का सुन्दर बेड़ा पार।। जय हो जय हो शिव शंकर, जय हो भोलेनाथ की। चल रें कांवरिया शिव के, नगरिया जय हो बाबा अमरनाथ की।। कहाँ मिलेगा मथुरा कांशी, कहाँ वृंदावन तीरथ धाम। घट-घट में तो शंकर भोले जी विराजे, शीश झुकाकर डोमू कर लो सादर प्रणाम।। परिचय :-  डोमेन्द्र नेताम (डोमू) निवासी : मुण्डाटोला डौण्डीलोहारा जिला-बालोद (छत्तीस...
शंभू
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शंभू

आस्था दीक्षित  कानपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** कराल तन पे जो बसा, कपाट पे तो भस्म है। मृदंग गर्जना करे की, शंभू के ही अस्म है। धम- धमा के चल रहे है, देखो ये धरा हिली। मिट्टी खिलखिला उठी, न जाने क्या खुशी मिली। नाचता ये तन बदन, गगन हुआ मगन मगन। कब बिजलियां चमक उठे, सब आपका ही आकलन। डमरू डम डमा रहा, त्रिशूल का अलख जगा। तुमको बस है पूजना, है कौन क्या? कोई सगा। चंद्रमा तो सज रहा, और बज्र सी भुजाएं हैं प्रचंडता को पा रही, ये किसकी अस्मिताएं है हर बार हम प्रणाम कर के, शंभू तुमको देखते। ललक भरा है ये गगन, ये धार हाथ जोड़ते। ये वाद पात नाचते, की द्वार है शिवाय के। ये बेल पत्तियां हंसी, जो सजी है पांव में। विश्व की प्रजातियों के, एक तुम ही नाथ हो। तुमको ही तो रट रही, दिखों प्रभु जो साथ हो। मैं डर रही, तड़प रही, दिखो प्रभु, कभी दिखों। जय जय शंभू कह ...
सावन सोमवार
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सावन सोमवार

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** सावन सोमवार आया। संग शिव भोला धरा पर आया। सकल भूवासी मन हर्ष छाया। सारी धरा भक्ति भाव भाया। सभी भक्त प्रति सोमवार। भांग, धतूरा, आंकड़ा, बेलपत्र, शमीपत्र अरू पुष्प, चंदन, अक्षत चढावै भोले को प्रसन्न। कर मनोवांछित फल पावै। सबहि भारत भूवासी उमंग। संग स्व उर भक्ति भाव भरि। ऐसे भक्ति करे मानो सबहि। भक्त सुधबुध खो शिव भक्ति। समा शिवमय हो गए, ऐसो लगे। ज्यों परमपिता परमात्मा अरू। प्रति आत्मा मिलन हो एक ज्योतिरबिन्दु प्रकाशपुंज आभा समस्त भू लोक पर आलौकिक प्रकाश किरणें व्याप्त करी। जगमग कर दिव्य प्रकाशमय। धरा करि शिव भोले। आशीर्वाद देने धरा पर। अवतरित हुए। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचि...
माँ चरणों में प्रभु का वास
गीत, भजन

माँ चरणों में प्रभु का वास

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** (तर्ज:- मैं पल दो पल का..... ) तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा पर प्रभु दर्शन नहीं मिल पाये है। किये थे पूर्व जन्म में अच्छे कर्म। इसलिए मनुष्य जन्म तुम पाये हो।। तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा..। तुझसे पहले कितने भक्तगण यहाँ आकर देखो चले गये। पर वो भी शायद प्रभु के दर्शन बिना ही यहाँ से लौट गये। वो भी मनुष्य पर्याय को पाये है तू भी मनुष्य गति को पाये हो। पर लगता तुम्हारी श्रध्दा में कुछ तो कमी जरूर रही होगी।। तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा...। एक दिन एक भविष्य वाणी को सुनकर तू ह्रदय घात को सह गया। तेरी आत्मा उन शब्दो को सुनकर अंदर ही अंदर से हिल गई। तू यहाँ वहाँ क्यों भटक रहा हे अज्ञानी मानव तू सुन। तेरी ही घर में प्रभु है और तू यहाँ वहाँ उन्हें खोज रहा।। तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा...।। कहते है माँ के च...
अकल्पित असीमित
भजन, स्तुति

अकल्पित असीमित

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** प्रभु नाम महिमा अकल्पित असीमित, इसे तो जगत को बताना पड़ेगा। कवि इसको लिपिबद्ध करते रहेंगे, और गायक को फिर इसको गाना पड़ेगा। प्रभु नाम ... प्रभु नाम पावन है गंगा के जल सा, तू लग नाम जप में,और डुबकी लगा ले। तू जग कार्यो के संग सुमिरन में लग जा, और जग के नियंता की करुणा को पा ले। अगर जग की माया में चिपका रहा तो, तुझे भोग योनि में आना पड़ेगा। प्रभु नाम... तुझे श्रेष्ठतम योनि ईश्वर ने भेजा, तो तू श्रेष्ठ कर्मो से प्रभु को रिझा ले। प्रभु नाम सुमिरन है मुक्ति का साधन, तू रम राम सुमिरन में, मुक्ति को पा ले। अगर प्रभु कृपा को गँवायेगा तू तो, नहीं ज्ञात किस योनि जाना पड़ेगा। प्रभु नाम... अनैतिक तरीके से धन यदि कमाया, तो धन, गाड़ी, बंगला तो तेरा बनेगा। मगर तेरे बच्चे पले गलत धन से, तो कोई नहीं योग्य कर्मठ बनेगा। अभी...
हे कैलाशपति
कविता, भजन, स्तुति

हे कैलाशपति

डॉ. कोशी सिन्हा अलीगंज (लखनऊ) ******************** हे कैलाशपति ! हे गिरिजापति ! हम भक्त हैं तेरे, भोले भाले हे जगतपति! हे गौरीपति ! तुम सगरे जग से हो निराले हे देवाधिदेव ! महेश हो तुम तेरी महिमा को पार न पावे त्रिलोक के स्वामी हो तुम लंगड़ा, गिरि पर चढ जावे तेरी भक्ति की शक्ति से स्वामी असंभव सब संभव हो जावे हे योगी महा ! हे अन्तर्यामी ! तुम से प्रलय में, लय हो जावे हे त्रिशूल धारी ! डमरू निनाद कर भक्ति की डगर, आज बता दे हे विषपायी! गंगा को बहा कर पावनता की लहर, अब जगा दे। परिचय :- डॉ. कोशी सिन्हा पूरा नाम : डॉ. कौशलेश कुमारी सिन्हा निवासी : अलीगंज लखनऊ शिक्षा : एम.ए.,पी एच डी, बी.एड., स्नातक कक्षा और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में अध्यापन साहित्य सेवा : दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में काव्य पाठ, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में गद्य, पद्य विधा में लेखन, प्रकाशित पुस्त...
ब्रम्हमुहूर्त की हनुमत्कृपा
भजन, स्तुति

ब्रम्हमुहूर्त की हनुमत्कृपा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** आज ब्रम्हमुहूर्त की हनुमत्कृपा। अगर सोते जगते है प्रभु याद आता, तो समझो कि भक्ति पनपने लगी है। तेरा मन भी यदि प्रभु में रमने लगा है, तो ईश्वर की करुणा बरसने लगी है। अगर सोते जगते....... तू प्रभु नाम सुमिरन की आदत बना ले, स्वयं होगा अनुभव,है ये मन को भाया। तू प्रभु दर को अपने कदम दो बढ़ा ले, तू देखेगा वो ,चार पग दौड़ आया। प्रभु से तेरी प्रीति बढ़ने लगी तो, जगत माया खुद ही सिमिटने लगी है। अगर सोते जगते..... तुझे प्रभु ने भेजा है,सृष्टि सृजन मिट, मगर मुख उद्देश्य है प्रभु का सुमिरन। जगत कार्य हाथों से करता रहे पर, तेरे मन मे होता रहे प्रभु समर्पण। तू पतवार को सौप दे यदि प्रभु को, तो नैय्या भँवर में भी चलने लगी है। अगर सोते जगते........ अगर भूल उद्देश्य माया में चिपका, तो ईश्वर की करुणा को तूने गँवाया। जब अं...
दर्शन से धन्य हुये
गीत, भजन

दर्शन से धन्य हुये

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** विधा : गीत भजन तर्ज : तेरे इश्क का मुझे पर हुआ... गुरु विद्यासागर के दर्शन से हम। मानों आज हमसब हो गये धन्य। गुरु विद्यासागर के दर्शन से हम। मानों आज हमसब हो गये धन्य। गुरु विद्या सागर के दर्शन से हम।। जिसे भी मिले दर्शन विद्या गुरु के। मानव जीवन उनका सफल हो गया। कलयुग में भी देखो सतयुग जैसे मुनिवर। चलते फिरते तीर्थंकर कहते लोग उन्हें।। गुरु विद्यासागर के दर्शन से हम। मानों आज हमसब धन्य हो गये।। चारों दिशाओं में ऐसे मुनिवर। बहुत कम हमें देखने को मिले। त्याग और तपस्या की वो एक मिसाल है। साक्षात जैसे वो सबके भगवान है।। गुरु विद्यासागर के दर्शन से हम। मानों आज हमसब हो गये धन्य।। मुझे जैसे ही मिला गुरुवर का आशीर्वाद। मानों आत्मा में मेरे कमल खिल गया। ना अपनी रही सुध तब और न कुछ और दिखा। बस...
किस्मत वाले है वो
गीत, भजन

किस्मत वाले है वो

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** (तर्ज : तू कितनी अच्छी है....) तुम कितने अच्छे हो तुम कितने सच्चे हो। नियम-सयंम के पक्के हो। ओ गुरुवर ओ विद्यासागर ओ गुरुवर ओ विद्यासागर। की ये जो संसार है बन है कांटो का तुम फुलवारी हो। ओ विद्यासागर ओ गुरुवर ओ विद्यासागर ओ गुरुवर।। छाले पड़ गये तेरे पैरो में चलते चलते इस दुनियां में धर्म की ज्योत जलाने को। आत्म कल्याण के लिए तुमने छोड़ा घर द्वार। ओ गुरुवर ओ विद्यासागर ओ गुरुवर ओ विद्यासागर।। तुम कितने अच्छे हो तुम कितने सच्चे हो। नियम सयंम के पक्के हो। ओ गुरुवर ओ विद्यासागर ओ गुरुवर ओ विद्यासागर।। अपना नहीं तुम्हें सुख दुख कोई पर औरो की चिंता तुमने की। श्रावको के मन में ज्योत जलाई जैसा वो समझे वैसा ही उन्हें समझाया।। ओ विद्यासागर ओ गुरुवर ओ विद्यासागर ओ गुरुवर।। गुरु श्रवको के जा होते है वो ह...
आज की हनुमत कृपा
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आज की हनुमत कृपा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** "राम" की पग धूल को, मस्तक लगा चंदन बनेगा। पायेगा हनुमत्कृपा और, शीघ्र ही कंचन बनेगा। राम की पग धूल... राम ने सृष्टि रची, और वो ही इसको पालता है। जिसमे हो आशक्ति जिसकी, उसमे उसको ढालता है। कर्म में है स्वतंत्र तू, प्रभु में रमा तो रतन बनेगा। राम की पग धूल... भक्त हनुमत सबको ही हैं, " राम नाम" का मंत्र देते। आस्था दृढ़ होती उनकी, जो है इसको मान लेते। डूब जा सुमिरन में तो तू, भक्ति पथ पर बढ़ चलेगा। राम की पग धूल... भूत को तू भूलकरके, नाम गंगा में नहा ले। वो तो है करुणा का सागर, तू भी उसकी कृपा पा ले। नाम सांसो में रमा पाया, तो मुक्ति रथ चढ़ेगा। "राम" की पग धूल... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप...
राम जब वन को जाते हैं
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राम जब वन को जाते हैं

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** प्रेमी प्रजा की आँखों से आंसू बह जाते हैं ह्रदय ह्रदय में बसे राम जब वन को जाते हैं मात कौशल्या देख दृश्य यह करुण पुकार करें ह्रदय फटा जाता है उनका कौन् उपाय करें कोई नहीं जो उनके दुःख को दूर भागते हैं यह क्या सीता माई भी प्रभु राम के संग चली लक्ष्मण भी संग साथ चले यह कैसी विकट घड़ी देने को सांत्वाना नहीं कोई भी आते हैं कैकेइ, मंथरा हो रहीं पुलकित तन मन से भरत राज कर लेंगे दूर हुई बाधा हमसे मुर्छित दशरथ से भी उनके दिल न् लजाते हैं परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार) शिक्षा : एम.एससी.बी.एड. सम्प्रति : एस. बी. आई. से अवकाश प्राप्त प्रकाशन : मेरा भारत कहाँ खो गया (कविता संग्रह), विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। घोषणा पत्र : मैं य...
मैं जो पुकारूं… दौड़ी चली आना
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मैं जो पुकारूं… दौड़ी चली आना

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** "मैं जो पुकारूं, दौड़ी चली आना, मैं तेरा भक्त हूं, देर ना लगाना।" मैं जो पुकारूं, दौड़ी चली आना, मैं तेरा भक्त हूं, देर ना लगाना। सदा नमन करूं, मेरी मईया..., पखारूं तेरे पईया। ऐसी दया करो, ऐसी दया करो, ऐसी दया करो, मेरी मईया..., पखारूं तेरे पईया।। तू..., पर्वत विराजी कहीं, धरातल विराजी, तेरे..., सच्चे भक्तों के तू, मन में विराजी, मन मंदिर पूजो, सब मन मंदिर पूजो, श्रद्धा भाव भक्ति से, मन मंदिर पूजो। सदा नमन करूं, मेरी मईया..., पखारूं तेरे पईया। ऐसी दया करो, ऐसी दया करो, ऐसी दया करो, मेरी मईया..., पखारूं तेरे पईया।। तेरे..., द्वारपाल बजरंगी, पवनसुत बाला, तूने..., धन्य किया है प्यारे, अंजनी का लाला, पल-पल पुकारूं, तुझें हर-पल पुकारूं, श्रद्धा भाव भक्ति से, पल-पल पुकारूं...
मेरी मईया के द्वार
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मेरी मईया के द्वार

संगीता श्रीवास्तव शिवपुर वाराणसी (उत्तर प्रदेश) ******************** मेरी मईया के द्वार ज्योति जली है बड़ी रोशनी है बड़ी रोशनी है। खुशी इस जहां मे कहीं और भी है, नहीं है ,नहीं है ,नहीं है, नहीं है। अंधेरे मे सिमटी रही जिन्दगानी, बढ़े हैं कदम आज दर पे भवानी, नहायी रोशनी से अब राहें मेरी हैं। बड़ी रोशनी..... क्या करे कंचन काया क्या करें लेके माया, बिना भक्ति के व्यर्थ जीवन गंवाया, रोकती राह क्यों बन्धनों की कड़ी है बड़ी रोशनी..... मन में श्रद्धा के दीपक जलाए हुए, चले आओ दर मां के धाए हुए, वो है करुणा मयी वो है वरदायिनी दुख संताप तेरे सब हर लेगीं। उनकी नज़रें इनायत सबपे रही हैं। बड़ी रोशनी.......।। परिचय :- संगीता श्रीवास्तव निवासी : शिवपुर वाराणसी (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
श्रीराम के गुणगान की महिमा
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श्रीराम के गुणगान की महिमा

आलोक रंजन त्रिपाठी "इंदौरवी" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** चलो श्रीराम के गुणगान की महिमा सुनाते हैं समर्पण और भक्ति की नई गाथा सुनाते हैं सिया संग जंगलों में जो भटककर धर्म पर चलते उसी युगपुरुष के चरणों में यह कविता सुनाते हैं अनुज लक्ष्मण की भातृ भक्ति को दुनियां समझती है लखन के त्यागमय उस शक्ति को दुनियां समझती है सिया और राम के चरणों में उनका जो समर्पण था मधुर उस प्रेम की अभिव्यक्ति को दुनिया समझती है निशाचर मुक्त करके जो सदा संतो को तारे हैं जो दशरथ और माता कोशिला के भी दुलारे हैं शरण में जो चला जाता है उसको थाम लेते हैं वही श्री राम जी मेरे हृदय में प्राण प्यारे हैं किये लंका दहन जो राक्षसों को दंड देकर के विभीषण को भगति के पुष्प का मकरंद देकर के अयोध्या वासियों के साथ खुशियां जो मनाए थे दुखों से व्याप्त भक्तों को नया आनंद दे कर के प...
दशरथ महल जन्मे रघुराई
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दशरथ महल जन्मे रघुराई

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सखी हर्षित मन देती हूं मैं बधाई, दशरथ महल जन्मे रघुराई माह चैत्र पक्ष शुक्ल तिथि नवमी पुनीता दशरथ महल जन्म लीन्हो प्रभु दीनदयाला सखी मिल मंगल गाओं दशरथ महल जन्मे रघुराई हर्षित चकित नयन भई सब रानी दमकत मुख अनूप शोभा अति न्यारी सखी मिल मंगल गाओ दशरथ महल जन्मे रघुराई स्यामल गात नयन पुनि-पुनि जात बलिहारी मंगल गान शुभ रुदन स्वर गूंजे अवधपुरी सखी मिल मंगल गाओ दशरथ महल जन्मे रघुराई झूमत शाख हर्षित लतावृंद उपवन शोभा न्यारी देव अप्सरा सब गगन से करत सुमन वृष्टि सखी मिल मंगल गाओं दशरथ महल जन्मे रघुराई आंगन-आंगन सजी रंगोली घर घर दीप जले नाचत झूमत अवध नर नारी बधाई गीत गूंजे सखी मिल मंगल गाओ दशरथ महल जन्मे रघुराई परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित...
चैत्र नवरात्रि
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चैत्र नवरात्रि

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** चैत्र नवरात्र आया। संग में दुर्गा उत्सव लाया। सबके उर अपार हर्ष छाया। प्रतिपदा तिथि नव वर्ष आया। नव विक्रम संवत लाया। नौ दिन नव दुर्गा पूजन हम। सब गुड़ी पड़वा आरंभ करे। सकल भारत प्रतिपदा तिथि आरंभ कर, नवमी तिथि तक। नौ दिन पूर्ण श्रद्धा संग उपवास। कर जो भी पूजन अर्चन वंदन। करें उसके उर भाव भक्ति। आत्मविश्वास पूर्ण शक्ति। भर जाता हम सब के दुख। संकट हर जाता। नौ दिन मां दुर्गा मनाओ। रोली, अक्षत, पुष्प अर्पित कर। मां आशीर्वाद भक्त सदा पाएगा घोर संकट जीवन से दूर हो। जावेगा, हम सबका जीवन। आनंदित हो जावेगा। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानिया...
श्री सिद्धिविनायक
भजन, स्तुति

श्री सिद्धिविनायक

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** हे ऋद्धि सिद्धि के मम दाता तुम ही हो मेरे भाग्य विधाता पूर्ण करो प्रभुजी सब काजा ॐ गं गं गं गणपति-गणेशा भक्त तेरा, पड़ा घने-क्लेशा तुम्हीं आन दूर-करो-द्वेषा ॐ कं कं कं कालिके-नँदन करूं गौरी - सुत स्नेह वँदन भरो ह्रदय मेरेss आनन्दन ॐ शंशंशं शिव शम्भू प्यारे भव पार करो सुरेश्वरम न्यारे ॐ गं- गं- गं- गजानन देवा जीवन में छाया घना अँधेरा सिद्धिविनायक करो सवेरा श्वांस श्वांस तुम्हरे गुण गाऊँ जोई जोई माँगूँ सो ही पाऊँ राजीव डोगरा के हो प्यारे भाग्य-विधाता पालन हारे गं गं गं गं गणपति विधाता दूर हो दुःख जो तेरे गुणगाता परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्...
लेखनी राम लिखेगी
भजन, स्तुति

लेखनी राम लिखेगी

डॉ. सुलोचना शर्मा बूंदी (राजस्थान) ******************** ‌ आज लेखनी राम लिखेगी ‌ है राम में चारों धाम लिखेगी... ‌ ‌ कुल पुरखों की रीत निभाने ‌ पितृ वचनबद्ध हो जिसने ‌ त्याग दिया सर्वस्व पलों में ‌ ऐसा अनुपम काम लिखेगी.. ‌ आज लेखनी राम लिखेगी ! ‌ ‌वानर, रिक्ष, केवट, शबरी के, ‌ रज लपेटती गिलहरी के ‌ भील निषाद, ऋषि, असुरों के .. ‌ हैं सभी के श्री राम लिखेगी.. ‌ आज लेखनी राम लिखेगी! ‌ ‌पाहन को भी मुक्त किया था ‌ छूकर उसको मोक्ष दिया था ‌ माता कहकर मान दिया था ‌ वो नारी का सम्मान लिखेगी.. ‌ आज लेखनी राम लिखेगी! ‌ ‌पूरब पश्चिम दक्षिण उत्तर ‌ निशा सांध्य और भोर दोपहर ‌ इस सृष्टि के रज कण कण पर ‌ स्वयं सिद्ध श्री राम लिखेगी.... ‌ आज लेखनी राम लिखेगी! ‌ ‌झूठ क्रोध और लोभ नहीं था ‌ प्रजा प्रमुख थी राज गौण था ‌ रीति नीति से ओतप्रोत था ‌ मर्यादा पर्याय लिखेगी.. ‌...
भक्त माता कर्मा की महिमा
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भक्त माता कर्मा की महिमा

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** गाओ जी मां कर्मा की महिमा गाओ जी मां कर्मा की महिमा जीवन सुखमय आराम है... जय कर्मा बोलो, जय कर्मा बोलो जय कर्मा बोलो, जय कर्मा बोलो नारी शक्ति में कर्मा महान है... कहलाती है मेवाड़ की मीरा तेलीय वंश की है भक्त हीरा जगन्नाथ पुरी में उनकी धाम है... गाओ जी मां कर्मा की महिमा जीवन सुखमय आराम है... बचपन से ही भक्ति भाव में लगी है भक्त बनके भगवान की दृष्टि जगी है खिचड़ी खिलाना सदा काम है ... गाओ जी मां कर्मा की महिमा जीवन सुखमय आराम है... अपनी प्रतिभा से आभा बिखेरती जन मानस में कल्याण कारज करती कुल देवी को करते सलाम है... गाओ जी मां कर्मा की महिमा जीवन सुखमय आराम है... भावों की धनी और विचारों की मणि है सद्भाव सद्कर्म से ही संत शिरोमणि है नारी शक्ति व भक्ति में नाम है ... ...