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धनाक्षरी

निल बटे सन्नाटा- घनाक्षरी
धनाक्षरी

निल बटे सन्नाटा- घनाक्षरी

विजय गुप्ता "मुन्ना" दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** (घनाक्षरी) बाबा विश्वनाथ घर, नशेड़ी उपाधि देता, काशी धरा से बोलता, अधेड़ कुंआरा है। सनातन असर तौल, भड़का जहर खौल, भड़ास ही निकालने, कुआंरे का नारा है। गालियां नहीं एक को, रूष्ट युवा ये सोचते, युवा पीढ़ी समस्त को, गालियां सौगात दी। यू एस ए युवा गुहार, लोकतंत्र बेअसर, चुनाव परिणाम से, पाएगा आघात ही। विचार धारा डमरू, बजाकर जो रूबरू, अर्जी लगे दरबार, युवा शक्ति का जोश है। जैसा जहां जो जमता, वो वैसा वहां कहता, व्यर्थ झाड़े तुगलकी, अहंकारी दोष है। चलो इसी बात पर, चार वर्ग जानकर, सेवा धर्म मानकर, अधर्म को ही टा टा। लटका अटका और, भूला भटका भाई भी, नेता प्रेमी छात्र पाते, निल बटे सन्नाटा। परिचय :- विजय कुमार गुप्ता "मुन्ना" जन्म : १२ मई १९५६ निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़ उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग सा...
पहाड़ तोड़ विजय
धनाक्षरी

पहाड़ तोड़ विजय

विजय गुप्ता "मुन्ना" दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** देश में दिवाली रंग, दरक गई सुरंग, मजदूर बदरंग, बुरा वक्त होश का। सिलक्यारा टनल में, दबे हुए श्रमिक के धैर्य को करें नमन, रक्षा कर्म जोश का। मुसीबत राज करे, चहुं ओर सब घिरे, कोई थके कभी गिरे, लोग घबराते हैं। मुसीबत पहाड़ का, बंद सब किवाड़ भी, विकल्प संकल्प बल, हौसला दिलाते हैं। सुई संग तलवार, थे छोटे बड़े औजार, मशीन जवान धार, देश करे प्रार्थना। मेला रेला कष्ट आए, टूट फूट खूब लाए, श्रमिक बातचीत से, भूलते कराहना। सत्रह दिवस तक, दोनों ओर भरसक, तरकस के तीर से, ढूंढते संभावना। घंटे चार शतक में, खाना पीना दवाई से, सत्ता जनता देश की, देखो सदभावना। तमस भरी दुनिया, उमस रही बगिया, प्रयास वाली कलियां, सतत खिलाते हैं। रक्षा जीवनदायिनी, सुकर्म वरदायिनी, पहाड़ तोड़ विजय, वापसी सौगातें हैं। परिचय :- विजय कुमार गुप्...
जीत की दहाड़
धनाक्षरी

जीत की दहाड़

विजय गुप्ता "मुन्ना" दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** घनाक्षरी बहार खूब जोश की, खेल ट्रिक सुधार से, मंच अति रोमांच का, जीत से पछाड़ हो। दस विजय सतत, हार का नहीं सबब, हर जीत कथा यही, लेश ना जुगाड़ हो। दशा वक्त अनुरूप, रहे नहीं सदा भूप, देश जीते विश्व रूप, कुछ ना बिगाड़ हो। पसीना महक अब, पूरा जग सुरभित, चाल वही कॉल सही, बॉल मार धाड़ हो। एक सुर रीत रहे, टीम मन मीत बने, नायक का रंग ढंग, खोलता किवाड़ है। उमंग नहीं जंग ही, जीत वाली तरंग से, जीत जश्न जयघोष, तोड़ता पहाड़ है। हलचल धड़कन, अटकल दमखम व्यर्थ नहीं चक चक, आज ही उखाड़ हो। तन मन हवन से, फतह बल चहल, विश्व कप में पहल, जीत की दहाड़ हो। परिचय :- विजय कुमार गुप्ता "मुन्ना" जन्म : १२ मई १९५६ निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़ उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मं...
डमरू घनाक्षरी
धनाक्षरी

डमरू घनाक्षरी

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण" इन्दौर (मध्य प्रदेश)  ******************** (डमरू घनाक्षरी) ********* डमरू घनाक्षरी के प्रत्येक चरण में ८+८+८+८= लघु मात्राओं वाले कुल ३२ वर्ण ही होते हैं। कुछ तथाकथित छन्द विशेषज्ञों ने लघु वर्ण को अमात्रिक वर्ण कहा है जो हर तरह से ग़लत व भ्रामक है। "कमल" शब्द को अमात्रिक वर्णों का समूह नहीं कहा जा सकता है। इन सब में "अ" की मात्रा है। इसी प्रकार मात्र हर अकारान्त को ही लघु नहीं माना जायेगा अपितु हर इकारान्त उकारान्त ऋकारान्त वर्ण को भी लघु वर्ण माना जायेगा। नीचे मेरे द्वारा रचित तीनों डमरू घनाक्षरियाँ हैं। इनमें पहली अकारान्त लघु व दूसरी अकारान्त‌, इकारान्त, उकारान्त लघु एवं तीसरी अकारान्त वर्णों में हैं। पहली में हिन्दी की व शेष दो में ब्रज, अवधी बुन्देली की क्रियाएँ प्रयोग की गई हैं। हाँ एक बात और कि हर रचना सार्थक होना चाहिए चाहिए।   ए...
हाथ तेरा थामकर
धनाक्षरी

हाथ तेरा थामकर

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** पूर्वाक्षरी अनुप्रास अलंकृत घनाक्षरी हाथ तेरा थामकर, नेह डोर बाँधकर, जुदा कभी ना हो हम, कसम ये खाई है। साथ रहें सातों जन्म, चाहे खुशी चाहे गम, हर दिन बसंत हो, रीत ये बनाई है। बात नहीं हो अधूरी, भले आँखों में हो पूरी, समझ ही लेंगे हम, प्रेम की सच्चाई है। रात-दिन संग रहें, संगम की वायु बहे, ये कहानी अमर हो, मन मेरे भाई है। परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानि...
रंगों की बहार आई
धनाक्षरी

रंगों की बहार आई

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मनहरण घनाक्षरी रंगों की बहार आई, खुशियाँ हज़ार लाई, तन मन भीग रहा, फाग सब गाइए। भूल कर द्वेष भाव, याद रखना सद्भाव, सब अच्छे सब अच्छा, शत्रुता बिसारिए। पर्यावरण प्रियता, प्रकृति संरक्षणता, सूखे सरस रंगों से, उत्सव मनाइए। राम की मर्यादा रहे, कर्मवीर सारे बने, प्रहलाद की रक्षा हो, होलिका जलाइए। परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके ह...
नववर्ष
धनाक्षरी

नववर्ष

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** मनहरण घनाक्षरी शुभ नववर्ष आया, संग में खुशी हैं लाया, सभी देशवासी मिल, इसको मनाइए। बीत गया है जो साल, कर गया वो कमाल, उससे लेकर सीख, जीवन सॅंवारिए।। तेज गति हो विकास, मन में है यही आस, सारे जग में भारत, को आगे बढ़ाइए। दुखियों के पीर हरें, काम सब शुभ करें, *राम*एक दूसरे को, गले से ‌ लगाइए।। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानिय...
अत्याचार
धनाक्षरी

अत्याचार

रामसाय श्रीवास "राम" किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़) ******************** मनहरण घनाक्षरी कुछ तो करो विचार, पशु पर अत्याचार, किसलिए करते हो, उनमें भी जान है। क्या गलत क्या सही है, जानता मनुज ही है, उन प्राणियों को ऐसा, नहीं कुछ ज्ञान है।। प्रेम से उन्हें खिलाओ, काम जो भी करवाओ, क्रोध उन पर करो, कहाॅं की ये शान है। साथी हैं वो भी हमारे, सहते हैं कष्ट सारे, राम सब में है प्राण, एक ही समान है। परिचय :- रामसाय श्रीवास "राम" निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़) रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक म...
चुन्नू मुन्नी दोनों प्यारे
धनाक्षरी, बाल कविताएं

चुन्नू मुन्नी दोनों प्यारे

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मनहरण घनाक्षरी भाव- ममता चुन्नू मुन्नी दोनों प्यारे, दोनों मिल कुल तारे, भाग्य पे मैं इतराऊँ वारी वारी जाऊँ रे। उठे मेरे साथ साथ, दोनों ही बटाए हाथ, मेरी आँखों के हैं तारे, मैं तो इतराऊँ रे। दादा दादी के दुलारे, इनके तो वारे न्यारे, आशीष सदा ये पाते, खुशियाँ मैं पाऊँ रे। लोग कहे मुझे अच्छा, यही फल होता सच्चा, सफ़ल जनम हुआ, प्रभु गुण गाऊँ रे। परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने ह...
हिन्दू नववर्ष
धनाक्षरी

हिन्दू नववर्ष

डॉ. भावना सावलिया हरमडिया, राजकोट (गुजरात) ******************** मनहरण घनाक्षरी हिन्दू नववर्ष आया, चारों ओर हर्ष छाया, नई किरण का सब स्वागत तो करिए। दीप मंगल जलाए, अंधकार को मिटाए, नई उम्मीदों के साथ प्रेम गीत गाइए। राग-द्वेष छोड़कर, स्नेह-भाव बहाकर, समानता के भाव से साथ-साथ चलिए। सोच सदा मंगल हो, धर्म-कर्म मंगल हो, चहुंओर मंगल हो ऐसा भाव रखिए।। परिचय :- डॉ. भावना नानजीभाई सावलिया माता : वनिता बहन नानजीभाई सावलिया पिता : नानजीभाई टपुभाई सावलिया जन्म तिथि : ३ अप्रैल १९७३ निवास : हरमडिया, राजकोट सौराष्ट्र (गुजरात) शिक्षा : एम्.ए, एम्.फील, पीएच. डी, जीएसईटी सम्प्रति : अध्यापन कार्य, आर्टस कॉलेज मोडासा, जि. अरवल्ली, गुजरात प्रकाशित रचनाएँ : ४० से अधिक पद्य रचनाएँ प्रकाशित, नेशनल और इंटरनेशनल पत्र-पत्रिकाओं में ३५ से अधिक शोध -पत्र प्रकाशित । प्रकाश्य पुस...
आई होली चढ़ा भंग
छंद, धनाक्षरी

आई होली चढ़ा भंग

सरिता सिंह गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** आई होली चढ़ा भंग, सतरंगी चढ़ा रंग। गले मिल मिल कर, हर्ष खूब लीजिये गुजिया मिठाई खाए, पापड़ कचौड़ी खाए। पकवान चख चख, पेट भरे लीजिये जीजा और साली संग, देवर और भाभी संग। अबीर गुलाल मले, मजा खूब लीजिये लिए रंग पिचकारी, भरे सभी किलकारी। खेल रंग बच्चों संग, बच्चा बन लीजिये लाल,पीले रंग डाल, रंगे आज मुख गाल। अपना पराया भूल, होली आज लीजिये। जात पात रंग भूल, रंग की उड़ाई धूल। भाई-भाई बनकर, बैर मिटा लीजिये। भूलकर बैर भाव, अच्छा करके स्वभाव। एक दूजे घर जाके, रिश्ता निभा लीजिये। परिचय : सरिता सिंह निवासी : गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने पर...
मेहमान
धनाक्षरी, हास्य

मेहमान

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मनहरण घनाक्षरी (हास्य) थोड़ी सी ही पहचान, ये होते मेह समान, बिन बादल बरसे, घर अपना माने। बेचारा ये मेजबान, हो जाता है परेशान, पूरे करे ये आदेश, कौन दुखड़ा जाने। करें ये फ़रमाइश, पूरी करना ख्वाइश, कर देंगे बदनाम, होटल चलो खाने। अतिथि कब जाओगे, क्या अब हमें खाओगे, हुई पगार खतम, नहीं बचे बहाने। परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindiraksh...
कल आज कल
धनाक्षरी

कल आज कल

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मनहरण घनाक्षरी अतीत हो जाता भूत विगत का ये सबूत इतिहासी पन्ने हैं ये यादों के बहाने हैं आनेवाला होता भावी ये है समय मायावी क्यों पहले से सोचे ये ईश्वर ही जाने हैं अच्छा था जो गया बीत आनेवाला होगा गीत आज के सुखद पल खुशी में बिताने हैं वर्तमान है अपना ये सलोना सा सपना आगा पीछा भूलकर लक्ष्य सभी पाने हैं परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप ...
कूक रही कोयलियाँ
धनाक्षरी

कूक रही कोयलियाँ

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मनहरण घनाक्षरी कूक रही कोयलियाँ ये अम्बुवा की डालियाँ नियति निखर गई बासंती बयार से पीत रंग पसरा है वीतराग छलका है शारदे प्रसन्न हुई वीणा की झंकार से हरियाली देखो छाई मधुमास बेला आई सजनी सँवर गई यौवन के भार से डाल डाल पड़े झूले बालवृंद खूब डोले भोर से साँझ हुई हँसी की फ़ुहार से बिदेस से आया मीत सखियों ने गाए गीत आहट फिज़ा में हुई द्वारे पे दस्तक से किए सौलह सिंगार पीली ओढ़ के चुनर पिया से मिलन गई नैन मुंदे लाज से मेहँदी रचे हैं हाथ सजना है साथ साथ बिखरा गजरा ज़रा सँवार दे प्यार से ऋतुराज आगमन महामारी का नमन धरणी विभोर भई आशा के संचार से परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
राधा
छंद, धनाक्षरी

राधा

नीलम तोलानी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** अखियाँ ये द्रोह करे, अब न किसी को देखें, कृष्ण की ही माला जपे, छवि मन भायी है। राधा मैं शरीर नहीं, प्राण में हूँ तेरे बसी, श्वास श्वास आस रहे, प्रेम ऋतु आयी है। नित दौड़ी दौड़ी आऊँ, बस में न चित रहा, मुरली की धुन कान्हा, बड़ी सुखदायी है। छुप छुप रास करें, झूमे यमुना के तीर, चैन मेरा सब गया, तू ही हरजायी है। परिचय :- नीलम तोलानी निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजि...
राम जन्म भूमि
छंद, धनाक्षरी

राम जन्म भूमि

विजय गुप्ता दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** ढूंढे सारे थे विकल्प, अवधि भी नहीं अल्प पांच सदी काल बीते, शुभ दिन आने को। जोर शोर थम गया, वाक्य युद्ध थक गया प्रमाण पे रुक गया, भव्यता ही पाने को। राम जन्म भूमि युद्ध, राम नहीँ जरा क्रुद्ध देर है अंधेर नहीं, सत्य समझाने को। बहुत था अवरोध, राम काज में विरोध व्यर्थ हुई अपील भी, राम राज आने को। राम का चरित्र गान, रामायण पूर्ण ज्ञान एक चौपाई बहुत, मानव सजाने को। रघु रीति प्रण राम, मर्यादित सदा काम मर्म धर्म आठों याम, कर्म अपनाने को। हनुमान गढ़ी द्वार, सुरक्षा संकल्प भार पूजन विशेष यहां, भूमि के प्रवेश को। कैसे हो खुशी बखान, साक्षी अवध महान भारत नहीं दुनिया, राम पुण्य भूमि को। है जन्म अब सफल, कार सेवा थी अटल एकत्र है माटी जल, निर्माण कराने को। राम युग शान अब, धर्मियों का दान खूब रजत ईंट आधार, भव्य दरबार को। परिचय :- विजय कुमार गुप्ता जन...
बदली है ऋतु आज
छंद, धनाक्षरी

बदली है ऋतु आज

प्रवीण त्रिपाठी नोएडा ******************** बदली है ऋतु आज, छेड़ती नवीन साज, बासंती हर मिजाज, दिखे हर ओर है। पीला नीला हरा लाल, हर दिशा में धमाल, प्रकृति करे कमाल, बहुरंगी जोर है। कोयल की मीठी तान, गातें हैं भृमर गान, धरती की बढ़ी शान, मानस विभोर है। पल्लव पे शीत ओस, तपन है डोर कोस खुशियाँ देती परोस,प्यारी हर भोर है। होली पर्व आ रहा है, खुमार सा छा रहा है। मौसम भी भा रहा है, डूब जायें रंग में। प्रसून रंग-रंग के, पल्लव नव ढंग के, दृश्य हैं बहुरंग के, झूमिये तरंग में। कबीरा फाग गा रहे, रंग मन को भा रहे, ठंडाई भी चढ़ा रहे, आता मजा भंग में। ढोलक धमक रही, झाँझर झनक रही, बुद्धि भी बहक रही, खुशी हुड़दंग में। संग होलिका दहन, मैल मन का दहन, कुरीतियों का दहन, यह शपथ लें सभी। आपस में न द्वेष हो, दूर सबके क्लेष हों, यत्न अब विशेष हों, दुविधा तज दें सभी। नहीं तनातनी रहे, मित्रता भी बनी रहे, प्रीति नित...
वंदना …
छंद, धनाक्षरी

वंदना …

शरद मिश्र 'सिंधु' लखनऊ उ.प्र. ********************** वीणा वादिनी विभव वारिए विकल वत्स वंदना विडंबना वरंच विलगाईये। लाल लाल लहू लक्ष्म लोचन ललाम लुप्त लूला लाल लग लक्ष्य लकुट लड़ाईए। स्वर सुधा सरिता सलिल सरसाए स्याम सूत्र सार सबको सुदामा सा सुनाईए। कामना कि कमलासिनी कपट कलुषों को काटके कलंकहीन कीर्ति करवाईए। . लेखक परिचय :-  नाम - शरद मिश्र 'सिंधु' उपनाम - सत्यानंद शरद सिंधु पिता का नाम - श्री महेंद्र नारायण मिश्र माता का नाम - श्रीमती कांती देवी मिश्रा जन्मतिथि - ३/१०/१९६९ जन्मस्थान - ग्राम - कंजिया, पोस्ट-अटरामपुर, जनपद- प्रयाग राज (इलाहाबाद) निवासी - पारा, लखनऊ, उ. प्र. शिक्षा - बी ए, बी एड, एल एल बी कार्य - वकालत, उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ सम्मान - सर्वश्रेष्ठ युवा रचनाकार २००५ (युवा रचनाकार मंच लखनऊ), चेतना श्री २००३, चेतना साहित्य परिषद लखनऊ, भगत सिंह सम्मान २००८, शिव सिंह सरोज ...