अब तो चेतो…
भारत भूषण पाठक
धौनी (झारखंड)
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लावणी छंद- १६-१४ की मात्रा पर यति, चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत तथा चरणांत गुरु अनिवार्य
अब तो चेतो भारतवासी,
अपनों को वो मार रहा।
क्या पैसों का होगा बोलो?
जब संबल ही हार रहा।।
अजी नौकरी बहुत हुई अब,
श्रम स्वदेश को दान दो।
कुछ कौड़ी वो देकर तुमको,
खाए मलाई जान लो।।
नहीं मित्र वो कभी हुआ था,
वैरी था, वो वैरी है।
लौटो, देखो हाल हमारा,
कैसी अब जी देरी है।।
परिचय : भारत भूषण पाठक
लेखनी नाम : तुच्छ कवि 'भारत '
निवासी : ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड)
कार्यक्षेत्र : आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक
योग्यता : बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है।
काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास : साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में।
सम्मान : र...