देखने की तमन्ना तुम्हें
आलोक रंजन त्रिपाठी "इंदौरवी"
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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देखने की तमन्ना तुम्हें फिर हुई
तेरी गलियों से जब मैं गुजरता रहा
खिड़कियों से जो देखा तुम्हें रूबरू
दर्द दिल में जो था फिर उभरता रहा
देखने की तमन्ना ...
छू गया एक झोंका मुझे प्यार का
अनसुनी एक आवाज आने लगी
दिल ने दिल से कहा पास आओ मेरे
प्रीत की रीत मुझको लुभाने लगी
जब से तेरे खयालों में जीने लगा
कोई सागर हृदय में उमड़ता रहा
देखने की तमन्ना ...
तेरी पहली छुवन याद आने लगी
इश्क का मुझ को पहला ये एहसास था
तन बदन में जो सिहरन उठी उस घड़ी
तेरी चाहत का कैसा यह आभास था
सांस तेरी मुझे छू गई इस तरह
ख्वाब की वादियों में उतरता रहा
देखने की तमन्ना ...
तेरी खुशबू का अंदाज मुझको मिला
और मादक बदन ये नशीला हुआ
कैसी बरसात में तन ये भीगा हुआ
आंख का रंग फिर से रंगीला हुआ
तेरे मेरे मिलन की घड़ी आ गई
तुम म...