गीत साहस का
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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साहस को यदि पंख लगाओ,
तो मिट जाये उलझन।
असफलता मिट जाये सारी,
भरे हर्ष से जीवन।।
बने हौसला गति का वाहक,
प्रीति-नीति सिखलाता।
कर्मठता का ज्ञान कराता,
जीवन-सुमन खिलाता।।
अंतर्मन जो दीप जलाते,
उनका महके आँगन।
व्यथा, वेदनाएँ सब मृत हों,
भरे हर्ष से जीवन।।
साहस की महिमा है न्यारी,
चमत्कार करता है।
पोषित होता जहाँ उजाला,
वहाँ सुयश बहता है।।
शुभ-मंगल के मेले लगते,
जीवन बनता मधुवन।
व्यथा, वेदनाएँ सब मृत हों,
भरे हर्ष से जीवन।।
नित्य हौसला रखे दिव्यता,
जो तेजस मन करता।
अंतर को जो आनंदित कर,
खुशियों से है भरता।।
कर्मों को देवत्व दिलाता,
कर दे समां सुहावन।
व्यथा, वेदनाएँ सब मृत हों,
भरे हर्ष से तन-मन।।
साहस लाता सदा दिवाली,
नगर- बस्तियाँ शोभित।
उजला आँगन बने देव दर,
सब कुछ होता सुरभित।।
अंतर्...