भाई के अरमान हैं
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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नेह मंगलमय हुआ है, राखियाँ शुभगान हैं।
दे रहीं बहनें दुआएँ, भाई के अरमान हैं।।
हो गया मौसम सुनहरा, चेतना उल्लास में।
आन रिश्तों को मिली है, पर्व है विश्वास में।।
आ रहा है याद बचपन, आ रहा सब ध्यान में।
दे रहीं बहनें दुआएँ, भाई के अरमान हैं।।
प्रीति हर्षित हो रही है, रीति है नव आस में।
नीतियाँ संदेश देतीँ, धर्म है अहसास में।।
भावनाएंँ हैं चरम पर, दिव्यता सम्मान में।
दे रहीं बहनें दुआएँ, भाई के अरमान हैं।।
पल बड़े भावुक हैं आये, प्रेम पर अति वेग में।
सूत के बदले सुरक्षा, मिल रही है नेग में।।
बंध ऐसा बँध गया जो, जा बँधा है आन में।
दे रहीं बहनें दुआएँ, भाई के अरमान हैं।।
डाक ने तो साथ देकर, मार दीं सब दूरियाँ।
नेह पर हावी नहीं हैं, आज तो मजबूरियाँ।।
है समर्पण और निष्ठा, आज हर अनुमान में।
दे रहीं बहनें...