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कविता

मन में दूरी हो भले
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मन में दूरी हो भले

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** मिल जुल रहना सीखिए तजिए व्यर्थ गुमान वरना जीवन समझिए ऊसर और मसान रिश्तों बिन यह ज़िंदगी रहती सदा अपंग संकट की आयी घड़ी लगती कटी पतंग मन में दूरी हो भले मिटे न शिष्टाचार व्याप्त वरन हो जाएगा मत वैभिन्य विकार कभी समर्पण के बिना रिश्ता निभे न कोय सम्बंधों में यदि खटास कष्ट असीमित होय अनुपम मणि है मित्रता रखिए सदा संभाल करिए जब भी स्मरण मन होइ जात निहाल जीवन में मिलते रहे भाँति-भाँति के लोग भली-भाँति से जाँच लें नदी-नाव संयोग परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्तकें प्रकाशित, ११ काव्य स...
प्रेरणा
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प्रेरणा

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** परमेश की कृपा है, गुरुवर की प्रेरणा है। बाहर की प्रेरणा ही, अंतर की प्रेरणा है। गंभीरता परम है, विस्तृत है रूप उसका। अस्तित्व है धरा पर, अद्भुत अनूप उसका। अविरल मनुज-मनुज को, सागर की प्रेरणा है। बाहर की प्रेरणा ही, अंतर की प्रेरणा है। होता उदित समय पर, करता है भू प्रकाशित, अवकाश पर न जाता, करता है नित्य प्रेरित। आकाश के अनोखे, दिनकर की प्रेरणा है। बाहर की प्रेरणा ही, अंतर की प्रेरणा है। बदले सदा कलाएँ, संसार को ख़ुशी दे। बिन भेदभाव सबको, शीतल सी रोशनी दे। जग को युगों-युगों से, हिमकर की प्रेरणा है। बाहर की प्रेरणा ही, अंतर की प्रेरणा है। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, ...
कविता पर कविता
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कविता पर कविता

शिवेंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** अन्तर्मन के भावों का, स्पन्दन कविता होती है l दुखित हृदय की पीड़ा का, क्रंदन कविता होती है l लोभ लुभावन शब्दों से, न कविता निर्मित होती है l पोथी, पुराण के पढ़ने से, कविता लिखी न होती है ह्रदय से निकले भावों को, शब्द, पंख मिल जाते हैं l तब सतरंगी आसमान में, ज्ञान का शंख बजाते हैं l जब अनीति और अधर्म, यहाँ हावी होने लगता हैं l शोषण, अत्याचारों पर, जब खून उबलने लगता है l जब घोर निराशा के बादल, ऊपर मंडराने लगते हैं, रोते-रोते जब पीड़ित के, नैना पथराने लगते हैं l जब दुखियारी जनता भी, दो रोटी पाने तरसती है l पालक, पोषक प्रकृति ही, जब आँसू झरने लगती है l तब कवि ह्रदय की पीड़ा, कविता बन कर आती है l लाने समाज में परिवर्तन, अपना धर्म निभाती है l परिचय :-  शिवेंद्र शर्मा पिता : स्व. श्री भगव...
गवाह
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गवाह

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** फूल ही तो होते प्रेम के गवाह ये भी सच है फूलों की खुश्बू भी देती मौसम में प्यार की यादों का संकेत। जब उसे तुम्हारी याद आती और तुम्हें उसकी। बहारें इन्तजार करवाती उसी तरह जिसका तुम इन्तजार हर मौसम में एक दीदार पा जाने के लिए करते थे। अब प्यार के फूल गवाह बनकर कर रहे इंतजार। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान - २०१५, अन...
आया बसंत ऋतु का मौसम
कविता

आया बसंत ऋतु का मौसम

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** आया बसंत ऋतु का मौसम, ठंडी हवाये शीतल वातावरण लेकर, कोयली कुकुहावत हे, मयुर पंख फैलावत हे.! रूख-राई मन हरियावत हे, सुन्दर नजारा दिखावत हे, घाव-छाव दोनो सुहावत हे, गोरसी अगेठा के दिन हा जावत हे.! बबा-दाई गोठियावत हे, फागुन के दिन आवत हे, लइका मन खेलत-कुदत दिन ला पहावत हे बसंत ऋतु सबके मन ला लुभावत हे.! मनमोहक, उत्साह, बसंत ऋतु प्रकृति के सिन्गार हे, आया शांति अउ खुशीयो का बौझार है, ऋतुओ के राजा बसंत ऋतु का उपकार है.!! परिचय :- परमानंद सिवना "परमा" निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने प...
शूरवीर भारत के
कविता

शूरवीर भारत के

डॉ. निरुपमा नागर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** शूरवीर तुम भारत के जिस पथ पर तुम चल दिए वीर गति को पा गए कण-कण को नतमस्तक कर गये शूरवीर तुम भारत के जान हथेली पर रख मुस्काए ना देखे दिन और रात तुम केवल रिपुदमन बन गए शूरवीर तुम भारत के देश के दिल की धड़कन बन जन-गण को तुम जिला गये ध्वज तिरंगे में लिपट भारत मां का अंक पा गए शूरवीर तुम भारत के परिचय :- डॉ. निरुपमा नागर निवास : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@...
शिवरात्रि महापर्व
कविता, भजन

शिवरात्रि महापर्व

प्रतिभा दुबे ग्वालियर (मध्य प्रदेश) ******************** शिवरात्रि महापर्व पर बरस रही कृपा कैलाशी की, घट-घट में विराजे शिव शंभू कृपालु शिवा के साथ ।। गंगा विराजे शीश प्रभु के, विष धारण किया है कंठ नंदी करते पहरेदारी शिव प्रभु की प्रिय वासुकी साथ ।। शिव शक्ति के स्वरूप है, शिव ही सृष्टि के मूल आधार गुरुओं के भी गुरु है शिव शंकर, है ऊर्जा अनंत अपार ।। अविनाशी शिव अनंत हैं, सच्चिदानंद सदैव ही सत्य यह सृष्टि विलीन है शिव में ही, है समाहित पूर्ण संसार ।। श्रावण मास का माह प्रिय बहुत शिव शंकर को मेरे, मेघ रूप में अंबर से बरसे प्रभु की कृपा जब अपार ।। महा शिव रात्रि पर हरे शिव भक्तों के दुख, पाप, संताप करके प्रभु की आराधना भर लो भक्ति से मन का थाल ।। है बहुत ही यह सुन्दर काम आज चलो सब शिव के धाम महा शिवरात्रि पर विल्बपत्र चढ़ाकर लेंगे प्रभ...
दर्द से रिश्ता पुराना
कविता

दर्द से रिश्ता पुराना

डॉ. भगवान सहाय मीना जयपुर, (राजस्थान) ******************** दर्द से रिश्ता पुराना, हर किसी का रोना है। दुःख में सुख तराना, घोड़े बेचकर सोना है। अरे! दुःख से कह दो अपनी हद में रहे, दुनिया में क्यों फ़िक्र करूं, मुझे क्या खोना है। खाली हाथ आए है खाली हाथ जायेंगे, आज को छोड़कर, कल में जीना बेगाना है। ना साथ है किसी का, ना हमसफ़र है कोई, झूठे संसार में क्यों मतलबी रिश्ते निभाना है। दर्द से कह दो सितम कर तेरी हद तक, मुझे भी अपने हौसले का सब्र दिखाना है। क्यों बनाते हो चिंता को चिता का रास्ता, जिसे मिली है चोंच उसे चुग्गा खिलाना है। उषा की लाली सूर्यास्त को मत सौंफिए, पंख देने वाले ने, बख्शा आसमां सुहाना है। जी भर कर जिओ जब तक जिंदगी है, आपको कम खुशी में, अधिक मुस्कुराना है। ख्वाबों को रोकना महलों तक जाने से, नज़र में उन्हें रख, झोंपड़ी जिनका ठिकाना है। ...
मुहब्बत चाहिए अगर तो
कविता

मुहब्बत चाहिए अगर तो

गरिमा खंडेलवाल उदयपुर (राजस्थान) ******************** मुहब्बत चाहिए अगर तो नफरत ना फैलाओ मिलेगा अमन तुम्हे शांति से बात समझाओ ये कौन सा रास्ता तुमने अपनाया है तीसरी पारी का विश्व युद्ध खेल कर तुमने इतिहास के पाठ को भुलाया है। सियासी राजनेता के लिए सिर्फ अंकड़ो के खेल हुए युद्ध में मरने वालो के कभी निश्चित आंकड़े नहीं हुए। पहले भी विश्व युद्ध की चिट्टिया सुनाई थी शांति के लिए हो रहा ये कैसा युद्ध भाई धरा गगन के बीच खालीपन छोड़ जाएगी सैनिक अपाहिज बन जीने को मजबूर हो जाएंगे कुछ मर जायेंगे तो कुछ अपनो को खो जायेंगे मातृ भूमि से पलायन का दर्द झेलेंगे औरतों और बच्चों पर क्या क्या गुजरेगी सहोदर रहे दो मुल्क शत्रुता झेलेंगे। कीमतों में इजाफा महंगाई बोझ बढ़ते जाएंगे पटरी से उतरती अर्थव्यवस्था रास्ते पर वापस कैसे लायेंगे। दुनियाभर की अर्थव्यवस्थ...
जिन्दगी आपसे
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जिन्दगी आपसे

शत्रुहन सिंह कंवर चिसदा (जोंधरा) मस्तुरी ******************** ये संसार हमारे बिन ना है अधूरी ना हम है संसार बिन अधूरी तन्हाई का आलम है बरक़रार सिवा उसका इंतजार का आलम हैं ख़ामोश ये जिंदगी की डोरी जो तोड़े से भी ना टूटे ये डोरी करवाए भी बदलती है जिंदगी की आरजू भी है बदलती जिन्दगी की ना कोई शिकवा है आपसे है शिकवा जिन्दगी आपसे। परिचय :-  शत्रुहन सिंह कंवर निवासी :  चिसदा (जोंधरा) मस्तुरी घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak...
चूड़ियां
कविता

चूड़ियां

डॉ. जबरा राम कंडारा रानीवाड़ा, जालोर (राजस्थान) ******************** नारी के हाथ की शौभा, सौभाग्य की प्रतीक। पर्वों पर सज-संवर के, जाय होती सरीक।। रंग-बिरंगी चूड़ियां कई, मिलती है बाजार। कांच प्लास्टिक दांत की, ओर अनेक प्रकार।। बेशकीमती आकर्षक, नग जुड़े कई भांत। चलन नही महंगा बहुत, चुड़ला हाथी दांत।। चूड़ी की खनक सुन के, उमड़े प्रीत अपार। नारी के लिए खास गहना, सौंदर्य का निखार।। चूड़ी खनके मस्त लगे, खनक सुहावै खूब। चूड़ी के संग मुस्कान हो, बेहद खुश महबूब।। परिचय :- डॉ. जबरा राम कंडारा पिता : सवा राम कंडारा माता : मीरा देवी जन्मतिथि : ०७-०२-१९७० निवासी : रानीवाड़ा, जिला-जालोर, (राजस्थान) शिक्षा : एम.ए. बीएड सम्प्रति : वरिष्ठ अध्यापक कवि, लेखक, समीक्षक। रचना की भाषा : हिंदी, राजस्थानी विधा : कविता, कहानी, व्यंग्य, लघु कथा, बाल कविता, बाल कथा, लेख। प्रकाशित : ...
नहीं मिटाये कोई अंधेरा
कविता

नहीं मिटाये कोई अंधेरा

प्रीति तिवारी "नमन" गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** नहीं मिटाये कोई अंधेरा, स्वयं ही मन में दीप जलाओ, बीते रात सुबह आयेंगी, अपना सोया भाग्य जगाओ। नहीं किसी को पड़ी किसी की, दुनियां निज स्वार्थ में डूबी, चलो हार मानेगी मंजिल, अपनी सभी निखारो खूबी।। जीवन के पथ तूफाँ दलदल, और काँटे भी आयेंगे, विचलित नहीं जो होंगे इनसे, वे ही जग को भायेंगे। अपने ही तुम बनो खिवैया, स्वयं की नैया पार लगाओ, नहीं मिटाये कोई अंधेरा.... पंख लगाओ आशाओं के, उड़ों गगन उड़ने को है, अपना मोल स्वयं पहचानो, सृजन नये करने को है। सूरज को ना,बहुत देर तक, कोई बदली ढकने पाती, सत्य की राह में चले जो हरदम, बाधा ना टिकने पाती। मैला ना हो पाये दर्पण, मन दर्पण की धूल हटाओ, नहीं मिटाये कोई अँधेरा, स्वयं ही मन में दीप जलाओ। पिया है जिसने, गम हालाहल, उसने जग को जीत...
सांसों के सितार पर
कविता

सांसों के सितार पर

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** सांसों के सितार पर भी यह गीत मेरे यार बजते है" सांसों के सितार पर ही दिल के तार तार बजते हैं सरगम की इस लय पर जाने कितने ही सितार बजते है पता नहीं तुम्हारी नजरों में इतनी कशिश क्यों है तुम्हारे देखने से दिल में मेरे घुंघरू हजार बजते हैं। मैंने तो सिर्फ गीत लिखे थे तुम्हारी सूरत देखकर तुमने वही गीत गाए जो मेरे कानों मे वो बार-बार बजते हैं। मैंने तो तुम्हें गीतों में ढालने की कोशिश की थी अब तो मेरे गीत इस दुनिया में बेशुमार बजते हैं। गली और चौबारो में शहर हो या फिर हो बाजारों मे गूंज सुनाई देती है इन गीतों की जो कभी त्योहार में बजते हैं। सांसों के सितार पर जब भी मैं अपने ये तराने सुनता हूं खिलखिलाते किसी झरनो के यहा धार बजते है। इन गीतों को सुनकर दिल भी मस्त हो ही जाता है ...
तेरी यों ही गुजर जायेगी
कविता

तेरी यों ही गुजर जायेगी

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** मत कर निज प्रसन्नता की बात, तेरी आत्मा बिखर जायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || भाव-भावना रौंदी अब तक, आगे भी रोंदी जायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || भुलाना जीवन अनुभवों को, तेरी मूर्खता ही कहलायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || करेगा स्व- सुख की बात तो, परछाई भी दूर हो जायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || बदला यदि तू नहीं अब तक, तो दुनियाँ क्यों बदल जायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || कटुता भरे तेरे जीवन में, अब मधुरता नहीं चल पायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || चली है सृष्टि शिव-शक्ति कृपा से, आगे भी शक्ति ही चलायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेग...
रिती गागर
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रिती गागर

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मन की रीति गागर में आ गया समंदर का घेरा इन अलकों मैं इन पलकों में।। भटक गया चंचल मन मेरा। कंपित लहरों सी अलके है दृ ग के प्याले मधु भरे तिरछी चितवन नेदेखो कर दिए दिल के कतरे कतरे। द्वार खुल गए मन के मेरे मन भावन नेखोल दिए बैठ किनारे द्वारे चोखट दृग पथ में है बिछा दिए। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ीआप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं व वर्तमान में इंदौर लेखिका संघ से जुड़ी हैं। घोषणा पत्र : मैं यह ...
मन कैसे वश में करूं
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मन कैसे वश में करूं

डॉ. सुलोचना शर्मा बूंदी (राजस्थान) ******************** मेरा मन मेरा जन्म का बैरी.. क्यों मेरे बस में नहीं आए! गर ये मन घोड़ा होता तो.. ले चाबुक बस में कर लेती! गर ये मन हाथी होता तो.. ले अंकुश सवार हो जाती! गर ये मन सांप होता तो.. बजा बीन फण से धर लेती! गर ये मन बैल होता तो.. नथनी डाल नाक कस लेती! गर ये मन सुव्वा होता तो.. सोना गढ़ा चोंच मढ़ लेती! गर यह मन प्रेत होता तो झाड़-फूंक वश में कर लेती! गर ये मन बिच्छू होता तो बांध डंक गरल हर लेती! एक विधि है यही विधाता इस तन के भीतर सोए खोए अंतस को साधूं तो.. आकुल व्याकुल मन सध जाए!! परिचय :- डॉ. सुलोचना शर्मा निवासी : बूंदी (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि...
मुहब्बत के हंसी पल
कविता

मुहब्बत के हंसी पल

आलोक रंजन त्रिपाठी "इंदौरवी" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मुहब्बत के हंसी पल जब भी मुझको याद आते हैं मुझे उस प्रेम की रस्सी में कसकर बांध जाते हैं कदम बढ़करके मुझको आसमां तक लेके आया है यहां हम अपनी दुनिया के नए नगमें सुनाते हैं मुहब्बत की कई तस्वीर मुझको और गढनी है कसमकस है बहुत फिर भी यहां हम मुस्कुराते हैं निभाकर फर्ज हमनें मुश्किलों को खूब देखा है मगर इसके सिवा रस्ता कहां हम देख पाते हैं चलो कुछ दूर तक चलकर यहां आबोहवा देखें सुना है आदमी ही आदमी को काट खाते हैं यहां दुख दर्द को सुनकर नहीं कुछ फर्क पड़ता है मुसाफिर हैं सभी फिर भी मुसाफिर को सताते हैं न जानें कौन सी मंजिल पे जाने की कवायत है भटकते लोग भी रस्ता यहां सब को बताते हैं परिचय :- आलोक रंजन त्रिपाठी "इंदौरवी" निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एमए (हिंदी साहित्य) लेख...
किताब घर
कविता

किताब घर

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** मानवीय सभ्यता के विकास का किताब-घर जीवन के किस्से-कहानियों वृतांत का किताब-घर जीवन के रस को जिसने पान किया है। काव्य धारा के अमृत धारा का किताब-घर कहानी घर-घर की हो या सभ्यताओं की, अनगिनत सोपानो का सफर करता है किताब-घर कितने पहलू जिंदगी से अनबूझ रहे। हर पहलू का जानकार किताब-घर। जिंदगी सदियों से जिन रास्तों से वह के आई है। इतिहास का स्वर्णिम साक्षरताकार किताब-घर वक्त भूल जाएगा जिन किरदारों को, नये किरदारों का भी होगा किताब-घर मौत के बाद भी जिंदा मिलूंगा। अमर आत्माओं का है किताब-घर। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय ह...
प्राण के बाण
कविता

प्राण के बाण

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण" इन्दौर (मध्य प्रदेश)  ******************** १ दुख देती है जब दरिद्रता आती विपदा घड़ी घड़ी। बड़ी बड़ी प्रतिभाएँ पागल हो जातीं पड़ी पड़ी ।। २ कापुरुषों के लगे निशाने महासशूरमा चूक गए। कोयल रही टापती मौका पाकर कौए कूक गए।। ३ जब कवियों ने बढ़ाचढ़ा कर, कौओं को खगराज कहा। व्याख्या करने वालों ने तब, गर्दभ को गजराज कहा।। कहा बटेरों को ब्रजरानी, बगुले को ब्रजराज कहा। "प्राण" गिलहरी को गुलबदना, बिल्लड़ को वनराज कहा।। ४ हारे नहीं हिम्मती राणा ऐसा काम विराट किया। कटता काठ कुल्हाड़ी से जो नाखूनों से काट दिया।। ५ जो न बता पाते थे अन्तर केले और करेले में। वे रस के मुखिया बन बैठे प्रजातंत्र के रेले में।। ६ जिनकी शक्ल देखते रोटी के लाले पड़ जाते हों। कौओं की क्या कहूँ कबूतर तक काले पड़ जाते हों।। उनके सम्मुख अपना माथा रोज टेकना पड़ता ...
मतदान
कविता

मतदान

रोहित कुमार हाथरस (उत्तर प्रदेश) ******************** हे ! हाथरस के प्यारे मतदाता, बनो देश के भाग्य विधाता। लोकतंत्र की तुम सुनो पुकार, मत खोना मत का अधिकार। जब-जब आती है दिवाली, नहीं भूलते तुम दीप जलाना। होली जब फाल्गुन में आती, मन होता जाता है दीवाना। फिर लोकतंत्र के महापर्व पर मत से क्यों करते हो इंकार ? धूप हो या छाँव हो जागो अब तुम प्यारे मतदाता करो प्रतिज्ञा तुम अबकी बार, मत डालेंगे सब परिवार। अपने फर्ज का रखो तुम ध्यान, देश हित में करो तुम कुछ काम। जाकर सुबह करो मतदान, नहीं बड़ा इससे कोई दान। २० फरवरी दिन रविवार, बूथ पर पहुँचो सब परिवार। परिचय :-  रोहित कुमार निवासी : नरहरपुर, हाथरस, (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानिय...
बचपन कि वो यादे
कविता

बचपन कि वो यादे

परमानंद सिवना "परमा" बलौद (छत्तीसगढ) ******************** बचपन कि वो यादे, याद बहुत आती है, हंसना रोना मिलकर रहना वो पल बहुत सताती है.! बचपन के वो खेल खिलौने गिल्ली-डन्डा, भौरा-बाटी, दादा-दादी, नाना-नानी कि गोद मे बैठ कर कहानी सुनना .! उम्र बढ़ी बचपना घटी सपने पुरे करने कि दिन है आई, बिताये पल वो याद आते है, आंखों मे मे आंसू दे जाते है.! बचपन मे झगडना फिर दोस्तों से मिल है जाना, अब तो दुरीया इतनी बढी बस दोस्तों कि यादो मे दिन है पहाना.! काश को बचपन फिर से लौट आये फिर से खुशीयो कि बौझार है छाय, चंदा मामा, कि कहानी दादी-नानी फिर से सुनाये.! बचपन कि वो यादे, याद बहुत आती है, हंसना रोना मिलकर रहना वो पल बहुत सताती है.!! परिचय :-परमानंद सिवना "परमा" निवासी - मडियाकट्टा डौन्डी लोहारा जिला- बालोद (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ ...
सच तो केवल एक है
कविता

सच तो केवल एक है

प्रीति तिवारी "नमन" गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) ******************** मंजिल तक जाने के होते, जैसे पंथ अनेक हैं। द्वार अनेकों होते सच के, सच तो केवल एक है।। मानव जीवन सेतु एक है, पशुता से प्रभुता की ओर। घबराकर चलना ना छोड़े, छूना है, विभुता का छोर।। पाना है यदि दिव्य उजाले, अन्तर में भर लो आलोक। सूर्य स्वयं से है आलोकित, करे उजाला तीनों लोक।। देख द्वार की शोभा में, खोकर रुक जाना नहीं विवेक। शक्ति समर्पित लक्ष्य में जिनकी, होता है उनकाअभिषेक। सच तो केवल..... यदि आदर्श नहीं जीवन में, जीवन नौका डगमग है। दृढ़ संकल्प प्रीति संग चलते, उन्हीं के सपने जगमग हैं। तारे बहु चमके अम्बर पे, किन्तु" चांद"तो एक है। कल-कल बहती नदिया देखो, देती सन्देशा नेक है। द्वार अनेकों होते सच के, सच तो केवल एक है..... परिचय :- प्रीति तिवारी "नमन" निवासी : गा...
अपने सपनो के लिए
कविता

अपने सपनो के लिए

आयुषी दाधीच भीलवाड़ा (राजस्थान) ******************** अपने सपनों के लिए हार को कभी हार ना मानना तुम, जीत को कभी जीत ना मानना तुम, अपने ऊपर विश्वास रखना तुम, कर दिखाओगे अपना सपना पूरा एक दिन तुम। अपने सपनों के लिए... जब चारो ओर तुम्हारा ही नाम गूंजेगा, सब को तुम्हारे ऊपर फक्र होगा, अपनो से अपना सा प्यार मिलेगा , चारों ओर तुम्हारी ही मेहनत का गुंज होगा। अपने सपनों के लिए ... तुम वो सब कुछ पा सकोगे एक दिन, जो तुम पाना चाहते हो, हर वो सपना जो तुम्हारी आखों में तैरता है, एक दिन वो तुम्हारी मुस्कान बनेगा । अपने सपनों के लिए ... बस एक ही बात याद रखना तुम, ज़िन्दगी की राह के राही हो तुम, हँसते-मुस्कराते हुए दुनिया का सामना करो तुम, कर दिखाओगे अपना सपना पूरा एक दिन तुम, अपने सपनों के लिए ... परिचय :-  आयुषी दाधीच शिक्षा : बी....
नही आती है चिड़िया
कविता

नही आती है चिड़िया

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** घर के चौखट में टँगी है धान की बालियाँ घर-आँगन सुनी है नही आती हैं चिड़ियाँ। खन-खनाती झालर में लगे धान के दाने ज्यों का त्यों है, नही आती चिड़िया खाने। अब शांत हो गई है चिड़ियों का कलरव आँगन में बेला पुष्पित है पर छाई नीरव। ये चिड़िया हमसे नाराज हैं,सहमी हुई है ये चिड़िया हम से लोगों से जख्मी हुई है। ये चिड़िया हमारे हितैषी हमारे साथी हैं इससे प्रकृति के उषा में खनक आती है। चिड़ियों से प्यार करो, घर को घर बनाओ प्रकृति गुलजार करो, इन्हें भी चहकाओ। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर...
आया न्यू नूतन
कविता

आया न्यू नूतन

शत्रुहन सिंह कंवर चिसदा (जोंधरा) मस्तुरी ******************** आया न्यू नूतन लेकर अपने संग उमंग करें अच्छे कर्मों का आरंभ ना करें बुरे काम लेकर अपने संग विश्वास बनाए भाईचारा एकता का मिशाल लेकर अपने जीवन में बसाए खुशियों का महल ना करें चारी द्वेष कपट शांति प्रेम का समाज में हो नित्य नूतन सवेरो का आगाज आया न्यू नूतन लेकर अपने संग उमंग अपनो में हो सद्विचार हो नाश पाप हिंसा क्रोध का खिले प्रेम प्यार का फूल नित्य नूतन पले बढ़े सत्कर्मों का पुजारी हो नाश पाप पुजारो का आया न्यू नूतन लेकर अपने संग उमंग। परिचय :-  शत्रुहन सिंह कंवर निवासी :  चिसदा (जोंधरा) मस्तुरी घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित...