मन की डोर
किरण पोरवाल
सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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मन की डोर,
पतंग ज्ञान की,
गुरुवर है आकाश,
कैसे कांटे पतंग को
भाव हमारा जान,
ध्यान हमारा रहे
हमेशा गुरुवर के हैं पास,
ध्यान डोर की,
पतंग प्रेम की,
कैसे काटे गुरुवर महान,
उड़ाओ या इसे काटो
गुरुवर घटे तुम्हारा मान,
नीचे गिरे तो चरण तुम्हारे,
उड़ते मे हे दर्शन आप,
सतरंगी पतंग में गुरुवर,
भर दो सतरंगी रंग,
सतरंगी इंद्रधनुष सा
मै बिछ जाऊं दण्डवत कर,
नहीं आशा की पतंग उड़ाऊ,
नहीं चाह की डोर,
भक्ति प्रेम ज्ञान
मैं गुरुवर तो समर्थ है,
नहीं काटेंगे मेरी डोर,
गुरू आशा और विश्वास हे!
काटे तो नहीं हार गुरूवर,
नही काटे तो भी है जीत,
पंतग (किरण) नीचे हे
झुके गुरुवर के हैं चरण,
ऊंचा उठे तो मिले
गुरुवर के आशीष।
परिचय : किरण पोरवाल
पति : विजय पोरवाल
निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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