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कविता

सहज़ता में संस्कार उगते हैं
कविता

सहज़ता में संस्कार उगते हैं

किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया (महाराष्ट्र) ******************** अपने आपको सहज़ता से जोड़ो सहज़ता में संस्कार उगते हैं सौद्राहता प्रेम वात्सल्य पनपता है लक्ष्मी सरस्वती का आशीर्वाद बरसता है जिंदगी की दुर्गति की शुरुवात अहंकार रूपी विकार से होती है अहंकार दिख़ाने को छोड़ो, परिणाम मानसिक असंतुलन की शुरुआत होती है क्रोध अहंकार दिखावा छोड़ सहज़ता जोड़ो क्रोध के उफ़ान में अपराध हिंसा हो जाती है घर बार जिंदगी तबाह हो जाती है जिंदगी को वात्सल्य रूपी सुयोग्य मंत्रों से जोड़ो क्रोध रूपी विकार को छोड़ो अपने, आपको विनम्रता से जोड़ो इस मंत्र से भारत के हर व्यक्ति को जोड़ो परिचय :- किशन सनमुखदास भावनानी (अभिवक्ता) निवासी : गोंदिया (महाराष्ट्र) शपथ : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं। आप भी अप...
अमर रहे गणतंत्र हमर
आंचलिक बोली, कविता

अमर रहे गणतंत्र हमर

डोमेन्द्र नेताम (डोमू) डौण्डीलोहारा बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** कतिक सुग्घर हे दिन आज, सुनो-सुनो ग संगवारी। नाचो कुदों गीत गावव, देश के सब्बों नर-नारी।। सुग्घर अमर रहे गणतंत्र हमर, आगे सुग्घर देश भक्ती के तिहार। आन बान अऊ शान तिरंगा, नमन् करन धरती अऊ आसमान।। आज हमन आजादी पाऐन, जेमन लढ़िन अड़बड़ लड़ाई। देश के रक्षा खातिर अपन, प्राण ल घलो गवाईन।। हिन्दू मुस्लिम सिख अऊ ईसाई, आपस म सब्बों भाई-भाई। भाई चारा एकता के हाबें संदेश, जन-जन ल सुग्घर मिलिस आदेश।। नमन हे महापुरुष तोला, सुभाष, नेहरु अऊ गांधी जी। आजादी के अलख जगईस, जेन लइस क्रांति के आंधी जी।। वंदेमातरम्, जय हिन्द, जय भारत, जय छत्तीसगढ़ के नारा ल बुलाना हे। आजादी के अमृत महोत्सव म घरों-घरों तिरंगा अब फहराना हे।। परिचय :-  डोमेन्द्र नेताम (डोमू) निवासी : मुण्डाटोला डौण्डीलोहारा जिला-बालोद (छ...
ऐसा भी होता है
कविता

ऐसा भी होता है

आनंद कुमार पांडेय बलिया (उत्तर प्रदेश) ******************** सहसा नम हो जाती हैं आंखें, बिखर जाते हैं सपने सारे। देखते हैं जो रात में अक्सर, दिख जाते हैं दिन में तारे।। अंतर्मन की गहराई में, दिल बेचारा रोता है। तन्हाई के आलम में सुन लो, ऐसा भी होता है।। कुछ अदृश्य घटनाएं घटती, दुख की बदली नहीं है छटती। खुशियों के पीछे गम दिखता, हर कुछ है पैसे पर बिकता।। बढ़ती जाए तड़प इंसा की, लगता पिंजरे का तोता है। तन्हाई के आलम में सुन लो, ऐसा भी होता है।। झूठ व सच का पता ना चलता, बिन बाती का दीप है जलता। यह इक कोरा सच है समझो, बैठे सज्जन हाथ है मलता।। मुश्किल में इंसान लगे हर, काटता कुछ और कुछ बोता है। तन्हाई के आलम में सुन लो, ऐसा भी होता है।। अरमानों का गला घोलते, अक्सर अपने लोग यहाॅ। जिसको एक जगह था रहना, बिखरा पड़ा है जहां-तहां।। है "आनंद" यही जीवन का सच, बोझ ...
दस्तक है बसंत की
कविता

दस्तक है बसंत की

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** शिशिर की चादर ओढ़े सूरज को रही धरा निहार हरी दूब पर तड़के देखो मुस्काती सी रखी निहार। नव अरुण की आभा से निखर रहा किसलय है शीतल पवन में घोल रहा मधुरस की सौरभ मलय है। सुसज्जित होकर बोर से लहरा रही अमराई है ऋतुराज के आगाज से वसुधा भी मुस्काई है। बिदाई की बेला में पहुँच रही अब शीत है परिवर्तन और परिवर्द्धन तो कुदरत की ही रीत है। सुकुमार प्रकृति में देखो दस्तक है बसंत की लौटने वाली हैं खुशियाँ जीवन के अनंत की।। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक...
तैयारी हो चुकी है
कविता

तैयारी हो चुकी है

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** आरंभ कर बार-बार अभ्यास, लड़ाई का आगाज हो चुकी है। ज्ञान महायुद्ध में जीतने के लिए, परीक्षा की तैयारी हो चुकी है ? जीवन कुरुक्षेत्र में उतर अकेला, कृष्ण सदृश स्वयं को उपदेश दो। भ्रम और पराजय कौरव दलों की, धनुर्धारी अर्जुन बन वध कर दो।। अंतरात्मा की शक्ति को पहचान तू, ज्ञानमणी को मस्तक में कर धारण। उमड़-घुमड़ रहे हैं संशय के बादल, प्रचंड सूर्योदय कर करो अवदारण।। तुम्हारी सोच पर निर्भर है कामयाबी, जीत की माला जप जीत-जीत सोचो। तूलिका कुदाल से धीरे प्रहार करके, यदि प्यासा हो तो स्वयं कुआं खोदो।। तेरी मंजिल महबूबा तुझे पुकार रही है, तिमिर के स्वप्न छोड़ नींद से अब जाग। नयी उम्मीद और नया उत्साह के साथ, नित कर्म कर लक्ष्य की ओर अब भाग।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहाय...
आव्वाहन… महान आत्माओं का
कविता

आव्वाहन… महान आत्माओं का

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हे विवेकानंद पुनः आकर जगाओ नौजवानों को लक्ष्य याद दिलाओ क्या वे भूल गए अपने जोशीले इरादों को हे भगत आज़ाद बिस्मिल कहाँ हो वंदे मातरम का नारा फिर से गुन्जाओं क्या भूल गए हैं फांसी के उन फंदों को हे लाल, पाल, बाल और एक बार दहाडो अन्याय सहना भी अन्याय है, याद दिलाओ जन्म सिद्ध जीने के अधिकारों को दुहराओ संसद अक्षरधाम २६/११ के हमलों को कभी उरी कभी पुलवामा-बरसते गोलों को हे नेताजी आकर ईंट का जवाब पत्थर से दो यह बसंत भूल याद करो वीरों के वसंत को आतंकियों के हर मनसूबे का अंत करो अभी नहीं कभी नहीं ईंट का जवाब पत्थर दो बलिदानी सैनिकों को यूँ श्रद्धांजलि दो परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
कंटक
कविता

कंटक

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मैं तुम्हें तोड़ती हूं कंटक क्यों बार-बार उग आते हो तन्हाईयों में यादों को कुरेदने के लिए मेरे जख्मों को हरा कर, तुम्हें क्या मिलेगा सुख, संतोष, या मुझे तड़पन। अतीत की यादों की जंजीर लंबी है कहीं कोई गांठ नहीं, कोई फास नहीं तुमसे तो हरी घास की कोंपल अच्छी जो आंखों को ठंडक, मन को संतोष देती है। एक ही धरा पर जनित हो तुम दोनों पर कर्मानुसार फल लेने में तुम्हारा कोई सानी नहीं तुम्हारा कोई सानी नहीं। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों...
देश गान
कविता

देश गान

कुंदन पांडेय रीवा (मध्य प्रदेश) ******************** ओजस्व नहीं मेरे अंदर, तू स्वयं ओज गुण दाता है। संपूर्ण कलाधर हे जननी, तू हीं इस जग की त्राता है। हर क्षण-क्षण, हर पल पूजा हो, बस यही आश मन धरती हूं। तेरे कारण मेरा वजूद, मैं तुम्हें नमन नित करती हूं। है लिया जन्म जिस धरती पर, न उसको नित निश प्राण करो। तुम जग के कुल उद्धारक हो, इस वसुधा का सम्मान करो। जो त्याग अरति इतिहास रचे, नव युग उसके गुण गाता है । संपूर्ण कलाधर हे जननी,तू हीं इस जग की त्राता है। उठ जाओ शुखमय आश्रय से, तुम नित त्रासों का वरण करो जग-मग कर डालो वशुधा को, कुल दीपों का तुम तरण करो। हो कर अब निश्चल अविरल तुम, भारत माता का ध्यान करो। गर राष्ट्र प्रेम तुम करते हो, हर प्राणी का सम्मान करो। जो कण-कण तज दे धरणीं पर, हर शब्द उसे हीं ध्याता है। संपूर्ण कलाधर हे जननी, तू हीं इस जग ...
बेटी तो वरदान है
कविता

बेटी तो वरदान है

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** बेटी तो वरदान है नही हे अभिश्राप, दोनों कुल को तारती बेटी तो हे महान, बेटी लक्ष्मी बेटी दुर्गा सीता सयानी राधा सी प्यारी, मीरा कर्मा द्रोपति उत्तरा और अहिल्या शबरी अनुसूया, कोई रक्षा भारत की करती, कोई पिता का मान बढ़ाती, कोई प्यार को हे तज देती, कोई खिचड़ा भात खिलाती, कोई कृष्ण को है पुकारे, कोई गर्भ के प्राण बचावे, कोई पत्थर की नारी बनती, कोई झूठे हे बेर खिलाती, कोई बचपन सा लड़ाती, कोई देश की रक्षा करती, कोई न्याय का पाठ पढ़ाती, कोई ब्रह्म को धरती पर लाती, पुत्र रूप में गोद खिलाती, हर शास्त्र बेटी की वंदना, सरस्वती मीणा की वंदना, बेटी के कितने एहसान, धरती पर परब्रह्म का निवास, हर क्षेत्र में परचम भारी, कलम शस्त्र से लिखती हे भारी, धरती से आकाश उसी का, नहीं करो अपमान उसी का, नहीं कोख मे...
ईश्वर का अनुपम वरदान है बेटी
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ईश्वर का अनुपम वरदान है बेटी

गायत्री ठाकुर "सक्षम" नरसिंहपुर, (मध्य प्रदेश) ********************  ईश्वर का अनुपम वरदान है बेटी, सरस्वती और लक्ष्मी का रूप है बेटी। घर रोशन करने वाला चिराग है बेटी। नसीब वालों को ही मिलती है बेटी। दोनों कुलों की लाज निभाती है बेटी, माता, बहन, भार्या का रूप है बेटी । माता का तो अरमान होती है बेटी । पिता का सम्मान भी होती है बेटी । माता के साथ काम कराती है बेटी। भाई बहनों का ध्यान रखती है बेटी। खुद को भूल सबकी चिंता करती बेटी सुख-दुख में भी साथ निभाती है बेटी। कभी घरों में बंद रहती थी रानी बेटी, पंछी की तरह उड़ रही है आज बेटी। कदम मिलाकर साथ चल रही है बेटी जमीं से आसमां तक उड़ रही है बेटी। समंदर की लहरों पर चल रही है बेटी। देश और राष्ट्र को भी चला रही है बेटी। घर एवं काम का समन्वय है आज बेटी। सौम्य, शांत, सुशील तो होती है बेटी। पर समय पर दुर्गा भी बन जाती बेटी। सा...
जय हिन्द
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जय हिन्द

प्रतिभा दुबे ग्वालियर (मध्य प्रदेश) ******************** तुम मुझे खून दो ... मैं तुम्हें आजादी दूंगा।। "बलिदानी" इस नारे से युवाओं में नेताजी ने जोश जगाया था। मातृभूमि की आजादी के लिए रक्त अभिषेक से भी न, अपना कदम पीछे हटाया।। मातृभूमि पर वालीदानी यहां, सर्वस्व न्यौछावर करने से नही डरते! आजादी अभिव्यक्ति कि यहां हर पल स्वतंत्रता ही एक संग्राम है।। अपनी आजादी की खातिर बलिदानी सुभाष जी ने जब अंग्रेजों को हर जवाब में, ईंट से पत्थर दे डाला महात्मा गांधी भी चकित रहे सुभाष ने अपने अंदाज में कुछ बेहतर ही कह डाला जोश जुनून जगाया भारत के वीर कुमारों में आजाद हिंद फौज गठित कर क्रांतिकारी वीर सपूतों का देश की माटी से किया तिलक इसी को चंदन, इसी को केसर कह डाला।। परिचय :-  श्रीमती प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका) निवासी : ग्वालियर (मध्य प्रदेश) ...
हिंदी में समझाना है आपको
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हिंदी में समझाना है आपको

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** आधुनिकता में डूबे ये युवाओं के दिल में हिंदी बसाना है आपको दुनिया में हिंदी बोल कर अपनी पहचान बनाना है आपको दुनिया में कितनों को हिंदी भाषा बोलना सिखाना है आपको ना देखो अपनी अनजान मंजिल मे आने वाली बाधाओं को मंजिल मे मिलने वाली ये बाधाओं से भी निजात पाना है आपको हमें हिंदी सिखाने की कला आ जाती है तो मंजिल अब दूर नहीं जो हिंदी बोलने से कतराते हैं उन्हें हिंदी में समझाना है आपको फिरंगीयो ने अंग्रेजी यहां बोलकर अंग्रेजी जबरदस्ती हम पर थोपी है थोपी हुई अंग्रेजी को युवा भारतीयो की जुबान से हटाना है आपको काम बहुत ही मुश्किल है मगर यह काम हमारे लिए नामुमकिन नहीं आधुनिकता में डूबे ये युवाओं के दिल में हिंदी बसाना है आपको अंग्रेजी बोल तो लेते हैं ये मगर इन्हें हिंदी अनुवाद अभी नहीं आता ऐसी अंग्रेज...
पिंजरा इश्क़ का
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पिंजरा इश्क़ का

डॉ. वासिफ़ काज़ी इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************** हर पल.... उन्हें बस याद करते हैं। हम वक़्त..... कहाँ बर्बाद करते हैं।। बस...... उनके तसव्वुर से अपना। आशियाना........ आबाद करते हैं।। चुपचाप..... सह लेते हैं सारे सितम। ख़िलाफ़ उनके कहां जेहाद करते हैं।। ख़ुद रहते हैं....... इश्क़ के पिंजरे में। बस परिंदों को हम आज़ाद करते हैं।। "काज़ी"......... चाहत की जादूगरी से। रंज के लम्हों को भी..... शाद करते हैं।। परिचय :- डॉ. वासिफ़ काज़ी "शायर" निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ल...
बसंत का स्वागत
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बसंत का स्वागत

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ओ ओ नई सदी के नए बसंत कैसे करूं स्वागत तेरा पहले तुम आते थे स्वागत में शाखाएं झुकती बंदनवार सजाते आम्रपणृ पलाश अगन लगाते कुंद, कदंब, कचनार लजाते चंपा चमेली चहुं ओर महकते वृक्षावल्ली यौवन पर होती तो पाषाणो फूल थे खिलते।। पर वर्तमान में। आम्रकुंज में कम बौराऐ आम्र वृक्ष है नहीं कोयल की कूक कहीं चकवा, चातक, चकोर चन्चु भी नहीं मारते पत्तों पर शायद उन्हें विश्वास नहीं वृक्षवल्ली पर तज, तज कर नीड अपने नील गगन में उड़ते हैं सोच है यही, गगन तले प्राणवायु मिल जावे। तुम आए हो हे बसंत स्वागत तुम्हारा करती हूं। पुनः परंपरा दोहराओ यही इच्छा रखतीं हूं अमराई में बौराऐ आम्र वृक्ष और गूंजे कोयल कूक केसरिया, पीला बाना पहने अमलतास टेसु फूल चटक-चटक चटकेसब कलियां कुंदा चांदनी की डाली मोगरा, गुलाब, जूही गंध बिखेरे न...
नेताजी
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नेताजी

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जन्मदिन आज आपका नेता जी सुभाषचंद्र बोस पराक्रम की गाथाओ से दिवस पराक्रम कहलाया गरम दल के अग्रणी नेता ईंट से ग़र प्रहार करे कोई पत्थर से ज़वाब वे देते थे अपने मन के मालिक थे ख़ुद के दम पर लड़ते थे क्रांतिकारियों को मिलाके जर्मनी जाकर गुपचुप से रासबिहारी संग मिल के आज़ाद हिंद फ़ौज बनाई दुर्गा सी अनेक वीरांगनाएँ निकल पड़ी देशसेवा को जयहिंद नारा वो दोहराते आज़ादी के सब दीवाने तुम मुझे खून दो वे कहते आज़ादी का वचन थे देते दुर्घटना विमान में नेताजी देश के नाम शहीद हुए थे वीर सपूत भारतमाता के करते हम शत शत नमन जयहिंद जयहिंद जयहिंद परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ल...
प्यासी आत्मा
कविता

प्यासी आत्मा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** प्रेम स्नेह की प्यासी आत्माएं। परमात्मा प्रेम बिन तरसे नित। बिन परमात्मा प्रेम। आत्माओं की प्यास बुझती ही कहां है। आत्माओं की अभिलाषा यही सदा। परमपिता परमात्मा से आत्माओं का मिलन। हो अद्भुत, अनमोल, अतुलनीय, अनुभूति। परमपिता परमात्मा हम। सब आत्माओं का पिता। उसके लिए सभी संतानों के लिए एक। समान प्रेम वह तो प्रेम का सागर है। परमपिता परमात्मा सदा ही सकल। आत्माओं को हर्षित देख-देख मुस्काए। प्रतिदिन मीठे बच्चे, प्यारे बच्चे कह। अमृतवेला वरदान देने आए नित। ज्ञान अमृत का प्याला पिला। प्यासी आत्माओं की प्यास बुझा कर। हर आत्मा को सशक्त, निश्चिंत और निर्भीक बनावे। परम पिता परमात्मा को जो नित पल-पल। स्मृत कर सत्कर्म करे। पंच विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार तज पावन बने। तभी परमपिता परमात्मा सब। ...
शेष है
कविता

शेष है

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मृत्यु का पता नहीं मगर श्रेष्ठ जीवन अभी शेष है। नफ़रत का पता नहीं मगर मोहब्बत की अभिलाषा अभी शेष है। आत्मसमर्पण का पता नहीं मगर आत्मबलिदान का बोध अभी शेष है। मन में पनपते क्रोध का पता नहीं मगर ह्रदय के आँचल में शांति अभी शेष है। आत्मग्लानि का पता नहीं मगर आत्म साक्षातकार का बोध अभी शेष है। जीवन में लगी ठोकरओं का पता नहीं मगर खड़े होकर मार्ग पर चलना अभी शेष है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचि...
गुहार लगा रहीं हैं बेटियांँ
कविता

गुहार लगा रहीं हैं बेटियांँ

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** देश का परचम लहराने वालीं, तिरंगे की शान बढ़ाने वालीं, न्याय-न्याय पुकार रहीं हैं, बेटियांँ वो कुश्ती में नाम कमाने वालीं, एक दांव से जो चित कर देतीं, देश के लिए जो जान झोंक देतीं, बजवा कर राष्ट्रीय गान देश का, भारत का गौरव ऊंँचा कर देतीं, सफ़ेद पोशोकों में छिपे उन भेड़ियों के, काली करतूतों के किस्से के सुना रहीं हैं, अपना सम्मान बचाने के खातिर बेटियांँ, देश चलाने वालों तुमसे गुहार लगा रही हैं, ए, देश की सत्ता के रहनुमाओं, कुछ तो शर्म-हया दिखाओ, जो नारा तुमने दिया देश को, उस नारे की तो तुम लाज बचाओ परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ...
म्हारो राजस्थान
कविता

म्हारो राजस्थान

मानाराम राठौड़ जालौर (राजस्थान) ******************** रंग बिरंगे धोरों का हरे भरे द्रुमो का सदन है राजस्थान म्हारो प्यारो राजस्थान पुराने तकनीकों का पुराने किलो का जन्म सदन है राजस्थान म्हारो प्यारो राजस्थान नई-नई सरकारो का बुरे-बुरे विचारों का जन्म सदन है राजस्थान म्हारो प्यारो राजस्थान सम्राट है राजस्थान के बुरे विचार है सरकार के म्हारो प्यारो राजस्थान परिचय :- मानाराम राठौड़ निवासी : आखराड रानीवाड़ा जालौर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...
ऐसा क्यों…?
कविता

ऐसा क्यों…?

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** इतिहास में तुम ही तुम, हर अच्छी बात में तुम ही तुम, हर जगह बजती तेरी धुन, कल्पित गाथाओं में भी तुम, सबके माथाओं में भी तुम, शक्तिशाली भी तुम ही तुम, और बलशाली भी हो तुम, क्या तब और अब तुम ही तुम हो हमें पटल से क्यों कर दिए गुम, हुआ बहुत हमरा भी नाव, लो पढ़ लो भीमा कोरेगांव, पच्चीस हजार कैसे आ गए थे लोटने को पांच सौ के पांव, लिख डाले हो कर कर कुकर्म, देव खुद को कह रहा तेरा ग्रंथ, क्यों भूले हो पाखंड काटने आते रहे हमारे संत, सीरियलों और फिल्मों में भी सदपात्र बनाते रहे हो खुद को, खल चरित्र में दिखा दिखा झुठलाते रहे हमारे वजूद को, कब तक रहोगे पर्दे के पीछे दिखा बता कर लाखों झूठ, तब भी अब भी पल्लवित ही हैं समझते मत रहना हमको ठूंठ, शसक्त हो रहे हम भी अब ये कभी मत जाना भूल, सम की राह में नहीं चलोग...
मधुर ताल में
कविता

मधुर ताल में

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** मधुर ताल में बजने वाली तुम्हारी ढोल का पोल कहीं न खोल दूँ।। सील दो जबान मेरी तुम्हारे खिलाफ कहीं न बोल दूँ। बहुत हो गया तेरा नाच गाना। अब चलेगा न तेरा कोई बहाना।। देख फड़फड़ा रहे हैं लब मेरे, कह रहे तेरे हर नब्ज को टटोल दूँ।। सील दो जबान मेरी तुम्हारे खिलाफ कहीं न बोल दूँ। चलाके प्यार से एक तीर तूने कई शेरों का शिकार किया है। बड़े मनमोहक अंदाज से तूने, खंजर सीने पे वार किया है।। बताके बाजार में औकात, तेरी असल कीमत बोल दूँ। सील दो जबान मेरी तुम्हारे खिलाफ कहीं न बोल दूँ। परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर ...
हाय रे हाय नौकरी
कविता

हाय रे हाय नौकरी

राज कुमार साव पूर्व बर्धमान (पश्चिम बंगाल) ******************** हाय रे हाय नौकरी आज की यह कैसी विडंबना है जिसके पास नौकरी है वह पढ़ा-लिखा और सभ्य इंसान समझा जाता है और जिसके पास नहीं है वह अशिक्षित और असभ्य इंसान समझा जाता है हाय रे हाय नौकरी।। हाय रे हाय नौकरी आज की यह कैसी विडंबना है जिसके पास नौकरी है उसका समाज में बहुत अधिक सम्मान किया जाता है और जिसके पास नहीं है उसका तिरस्कार किया जाता है हाय रे हाय नौकरी।। परिचय :- राज कुमार साव निवासी : पूर्व बर्धमान पश्चिम बंगाल घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानिया...
आबे संगी मोर गाँव
आंचलिक बोली, कविता

आबे संगी मोर गाँव

डोमेन्द्र नेताम (डोमू) डौण्डीलोहारा बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** आबे संगी मोर गाँव, ‌ हावय मया पिरीत के ठाँव। अमरय्या हर निक लागे सुग्घर बर पीपर के छाँव।। आबे संगी मोर गाँव..... मोर गाँव के खरखरा बाँध के निरमल पानी, डुबकी लगाथन हम जम्मों परानी । शिव भोला म पानी चढ़ाके , मिलथे सब्बों ल‌ भोले बबा के आशीष ।। आबे संगी मोर गाँव..... खेती खार सुग्घर लागे, बाहरा खार के धनहा डोली । निक लागे सुग्घर अरा तत्ता के बोली, कारी कोयली कुहुके बन म कौवा के कांव -कांव।। आबे संगी मोर गाँव..... जागर ठोर मेहनत करे , सुख-दुख के सब संगवारी हे । देवता धामी इहां बिराजे, बैंइठे हावय इहां ठाँव- ठाँव ।। आबे संगी मोर गाँव..... चैतु, बुधारु, अउ हावय इतवारी, मया पिरीत के हाबें फूलवारी । झुनुर-झुनुर पैंरी बाजे, भुरी नोनी के सुग्घर पाँव।। आबे संगी मोर गाँव..... नदिया, नरवा, ड...
भक्तों का विश्वास
कविता

भक्तों का विश्वास

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** भक्तों का विश्वास है रहता एक दिन प्रभु तो आएंगे, डूबती नैया भक्तों की देखो आकर प्रभु बचाएंगे, ध्रुव प्रहलाद को आकर तुमने अपने गले लगाया है, खंब फाड़ नरसी अवतारे भक्तों को गले लगाया है, नानी बाई का भात हे भरने प्रभु तो तुम जब आए हो, नरसिंग जी का मान बढ़ाकर भात प्रभु भर जाते हो, कर्माबाई का खिचड़ा प्रभु तुम आकर रूप रूच पाते हो, मीराबाई के विरह गायन में आकर तुम बस जाते हो, दुर्योधन का मेवा त्यागा, साग विदुर घर पाते हो, विदुरानी के हाथ से देखो, केल का छिलका पाते हो, द्रोपति का प्रभु चिर बढ़ाते, कलयुग में कहां बिसराये हो, असंख्य दुशासन खड़े यहां पर, कब सुदर्शन धारी आओगे, असंख्य द्रोपति तुम्हें पुकारती, कब आकर लाज बचाओगे, किरण की प्रभु यही विनती, कब आकर दर्श दिखाओगे, तेरे दरस की अखियां प्यासी,...
नव वर्ष कहाँ
कविता

नव वर्ष कहाँ

आनंद कुमार पांडेय बलिया (उत्तर प्रदेश) ******************** जब रोम-रोम गुलाम लगे, बहे सर्द हवाएँ सन सन सन। घर के अंदर भी ठिठुरन है, कहे चीख-पुकार के अंतर्मन।। पल भर भी नहीं है हर्ष यहां। नव वर्ष कहाँ नव वर्ष कहाँ।। अपना नव वर्ष तो बाकी है, नव अंकुर आने वाले हैं। सूखे पत्ते गिर जाएंगे, खुलने वाले सब ताले हैं।। केसरिया सब हो जाएगा, होगा तब अमृत पर्व यहाँ। नव वर्ष कहाँ नव वर्ष कहाँ।। जैसे बसंत ऋतु आएगी, कलियाँ कलियाँ खिल जाएगी। हर्षित तब घर आंगन होगा, मन में उमंग नव आएगी।। तब हरा-भरा उपवन होगा, कोयल नव तान सुनाएगी। ऐसी अद्भुत ऋतु में लगता, खुद पर सबको है गर्व यहाँ। नव वर्ष कहाँ नव वर्ष कहाँ।। अंग्रेजो की लाई हुई, संस्कृति को क्यों अपनाना है। हम हिंदू हिंदुस्तान के हैं, हिंदू नव वर्ष मनाना है।। अरमानो के नव पर होंगे, खुशियों के पल घर-घर होंगे। आनन्द कलम भ...