बैरी जग में
बैरी जग में
रचयिता : मित्रा शर्मा
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बैरी जग में आने के बाद
कौन भला देखेगा तुम्हे,
नियति है यह समझे नही तुम
आने को ब्याकुल हो गए।
दुनिया की रीत यही है
रोते देख और रुलाना
रस्म यही सोचकर
अपने मनको समझाना।
जब खबर लगेगी दुनिया को
टूट चुके हो भीतर से
ओर तोड़ेंगे चोट करेंगे
वॉर करेंगे शिद्दत से।
सच की नाव हिलती पर
कभी डूबती नही है
यह सोचकर अपने मनको
समझाना रोना नही है
परिचय :- मित्रा शर्मा
महू (मूल निवासी नेपाल)
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