कहावतों की कविता – 3
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रचयिता : विनोद वर्मा "आज़ाद"
स्वर-"आ" को लेकर बनाई गई कविता ...
आप न जोगी गीदड़ी कागे न्यौतन जाय,
आस पराई जो तके जीवत ही मर जाय,
आगे पग से पत बढ़े पाछे से पत जाय,
आम फले नीचो नमे एरंड ऊंचो जाय।
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आभा चमके बीजली गधे मरोड़े कान,
आई बहूँ आयो काम गई बहूँ गयो काम,
आप करे सो काम पल्ले हो सो दाम,
आम के आम गुठलियों के दाम,
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आओ रे पत्थर पड़ मेरे पांव,
आदर न भाव झूठे माल खाव।
कहावतों के अर्थ--
* गीदड़ी स्वयम तो जोगन (योगिनी) है नहीं, कौवे को जोगी (योगी) बनने के लिए आमंत्रित करे अर्थात जो काम स्वयम करना न जानता हो वही कार्य दूसरों को करने के लिए प्रेरित
करे।
* जो दूसरों पर निर्भर रहते है उनको तो जन्म लेते ही मर जाना चाहिए--अर्थात दूसरों पर निर्भर रहने वाला कभी सुखी नही रह सकता-सफल नही हो सकता।
* आगे बढ़ने से आबरू बढ़े और पीछे लौटने से आबरू घटे-अर्थात जहां ...