हम कब जिम्मेदार बनेंगे
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रचयिता : मंजुला भूतड़ा
क्यों करें प्रदूषित अपने जल संसाधन,
अमूल्य निधि में फैला रहे प्रदूषण।
स्वयं गलती कर,दोष देना दूसरों को
बंद करें,आओ कुछ हम भी करें।
मूर्ति विसर्जन हम करेंगे,
पर प्रभु मूरत, अपने संग रखेंगे।
भगवान भरोसे हैं, कहते हैं हम
भगवान को किसी ओर के भरोसे, छोड़ देते हैं हम।
नहीं हो पाती मूर्तियां विसर्जित,
यहां वहां पड़ी देख,मन होता व्यथित।
सब मिलकर पूजन करें,भोग लगाएं
सब मिलकर यह गाएं,
गणपति बप्पा मोरया
खेतों में आ के बस जा।
मन में मूरत एक बिठा लें,
चाहे मूर्ति गमले में बिसरा दें।
प्रभु सानिध्य का लाभ छोड़ो मत
जिम्मेदारी किसी ओर पर ढोलो मत।
समझें और समझाएं
वरना हम कब जिम्मेदार बनेंगे।
लेखिका परिचय :-
नाम : मंजुला भूतड़ा
जन्म : २२ जुलाई
शिक्षा : कला स्नातक
कार्यक्षेत्र : लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता
रचना कर्म : साहित्यिक
लेखन विधाएं ...