वो बचपन की याद फिर आयी
रूपेश कुमार
(चैनपुर बिहार)
********************
वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी,
ज़हाँ चिड़ियों की की चहचाहात रही चांदनी,
खेतो मे खिलखिलाती रही रोशनी,
भँवरो मे मुस्कुराहट भरी है,
वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी!
सूर्य की किरणे चमकता ही रहता है,
पेड़ो मे फल लदा ही रहता है,
चिड़ियों मे गुज गुजता ही रहता है,
मन मे सांस चलता ही रहता है,
वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी!
नैनो मे मैना चहकता ही रहता है,
मेहनत मे रंग आती ही रहती है,
हर जगह हरियाली बढती ही रहती है,
वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी!
ज़हाँ पूरा देश शांति ही शांति है ,
नेताओं के सर पे खादी की टोपी है,
विद्यार्थी का जीवन रोशन होता है,
वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी!
.
लेखक परिचय :-
नाम - रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार
शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिट...