समय
धैर्यशील येवले
इंदौर (म.प्र.)
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दूर सुदूर
आकाश के उस छोर
को ताकता,
या कहे शून्य निहारता
मैं,
हा मैं
साथ होगा भी कौन,
मैं तो है ही,
शाश्वत अकेला,
नितांत अकेला।
एक भ्रम होता है,
हम, होने का
वही बुनता है,
भ्रमजाल
मायाजाल
मै,
उलझता है
उलझता जाता है,
महसूस करता है
अपने,
चहु और, अपने
जागती आंखे दिखती है
सपने।
खो जाता है,
मै,
भूल कर मै।
दौड़ता है,
कस्तूरी मृग सा
मरुस्थल में।
दौड़ खत्म नही होती,
भ्रम सिर्फ भ्रम
समय,
शिकारी सा
बाट जोहता,
दिखाई नही देता।
और
जब तक मैं ये जान जाता
मृगतृष्णा,
शून्य से
ताकता समय
त्रुटि नही करता।
वो जनता है,
वो शिकारी है
और हैं सामने
शिकार।
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परिचय :-
नाम : धैर्यशील येवले
जन्म : ३१ अगस्त १९६३
शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से
सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर...