अम्मा मोहे पईसा दे दे
अमित राजपूत
उत्तर प्रदेश
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अम्मा मोहे पईसा दे दे जा रहा भूरा खायवेको!
झगड़ा वगरा नहीं करूंगा जा रहा बहुए लायवेको!
ससुरो मेरो इतना खराब पव्वा बोतल पीवत है!
साली मेरी इतनी सुंदर बोली सी वा की सूरत है!
अम्मा मोहे पईसा दे दे जा रहा भूरा खायवेको!
झगड़ा वगरा नहीं करूंगा जा रहा बहुए लायवेको!
सालों मेरा इतनो अच्छा हाथ पैर सर जाते ही दबाबत है!
सासु मां भी सेवा भाव से हलवा पूरी भर भर खिलावत है!
अम्मा मोहे पईसा दे दे जा रहा भूरा खायवेको!
झगड़ा वगरा नहीं करूंगा जा रहा बहुए लायवेको!
चचिया ससुर जी के क्या कहने नोट १००० विदाई में देवत है!
ससुराल से मिले इतना सम्मान देख मन मेरा प्रसन्न होवत है!
अम्मा मोहे पईसा दे दे जा रहा भूरा खायवेको!
झगड़ा वगरा नहीं करूंगा जा रहा बहुए लायवेको!
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परिचय :- अमित राजपूत उत्तर प्रदेश गाजियाबाद
आप भी अपनी कवि...