अनमोल हीरा बेटियाँ
सपना आनंद शर्मा
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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मेहँदी रोली कंगन का सिंगार नही होता
रक्षाबंधन भाईदूज का त्योहार नही होता
रह जाते है वो घर सुने आँगन बन कर
जिस घर मे बेटियों का अवतार नही होता
जन्म देने के लिए माँ चाहिये
राख़ी बांधने के लिए बहन चाहिये
कहानी सुनाने के लिए दादी चाहिये
जिद पूरी करने के लिए मौसी चाहिये
खीर खिलाने के लिए मामी चाहिये
साथ निभाने के लिए पत्नी चाहिये
पर यह सभी रिश्ते निभाने के लिए
बेटियाँ तोह ज़िन्दा रहनीं चाहिये
घर आने पर दौड़ कर जो पास आए
उससे कहते है बेटियाँ....
थक जाने पर प्यार से जो माथा सहलाए
उससे कहते है बेटियाँ....
"कल दिला देंगे" कहने पर जो मान जाए
उससे कहते है बेटियाँ.....
हर रोज़ समय पर दवा की जो याद दिलाएं
उससे कहते है बेटियाँ.....
घर को मन से फूल सा जो सजाए
उससे कहते है बेटियाँ....
सहते हुए भी अपने दुख को चुपा जाए
उससे कहते है बेटियाँ....
दूर जान...