मेरा जीवन ऋणी है जिनका
दामोदर विरमाल
महू - इंदौर (मध्यप्रदेश)
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मेरा जीवन ऋणी है जिनका,
जो खुद ईश्वर कहलाते है।
हम चाहे उन्हें भूल भी जाएं,
वो हमें कभी ना भुलाते है।
बचपन मे जो उंगली पकड़,
हमको चलना सिखाते है।
क्या है सही गलत जीवन मे,
यह सब हमको बताते है।
दया धर्म और संस्कार का,
वो हमको पाठ पढ़ाते है।
रूठे अगर कभी जो हमतो,
वो हमको आके मनाते है।
हर इच्छा हर ज़िद को जब,
हम उनको जाके बताते है।
अपनी इच्छा मारके वो तो,
हमको खुश कर जाते है।
ऐसी मां और पिता को क्यों,
हम पास नही रख पाते है।
जन्मों जन्मों तक हम उनका,
ये ऋण चुका ना पाते है।
ऐसे मात पिता को हम तो,
प्रतिदिन शीश झुकाते है।
वही हमारे सच्चे शिक्षक,
जो हमको ज्ञान दिलाते है।
परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्...