मातृ-पितृ भक्त होती बेटी
प्रियंका पाराशर
भीलवाडा (राजस्थान)
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तन से समर्पण
मन से समर्पण
सब कुछ अपना कर दे अर्पण
नयनो में आत्मिक भाव झलकता
हृदय में उपस्थित अति कोमलता
उल्लास का अर्णव होती बेटी
मातृ-पितृ भक्त होती बेटी
दो कुलों की लक्ष्मी और लाज
इस आधुनिकता में भी परायी आज
कहने को सिर्फ शब्द है
आज के युग में, बेटा बेटी एक समान
पर जब अधिकारो का बँटवारा होता
फिर कर्तव्यों के लिए क्यों असमान
दूसरे कुल जाकर, कुल का मान बढ़ाती
संवेदनशील होकर हर रिश्ता निभाती
फिर भी हर गलती की जिम्मेदार वही ठहरायी जाती
क्यों समझी जाती हैं वह परायी बेटी
जबकि मातृ-पितृ भक्त होती बेटी
हो चाहे धर्म माता-पिता या जन्मदाता
हृदय दोनों से स्नेह, अपनत्व है चाहता
ससुराल में भी जब बेटी मुस्कुराये, सम्मान पाए
तो हर माता-पिता बेटी के जन्म से न घबराए
सभी खुशी की अनुभूति से बेटी दिवस मनाएं
सर्व गुणों की खान, प्रत्येक क्षेत्र में अ...