सपने सजने लगे
बबली राठौर
पृथ्वीपुर टीकमगढ़ (म.प्र.)
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धीरे-धीरे हौले-हौले
हवा के झोके चलते रहे
खुशी के पैगाम दिल में लिए
हम मन के दामन समेटने लगे
सपने सजने लगे।
चाँद तारो की चादर ओढ़कर
उनकी बातें अमल करने लगे
खुशी के पैगाम लिए
हम तकदीर पढ़ने लगे
सपने सजने लगे
शाम ढली रात आई लम्हों की
ख्वाब सजे थे दिल में मेरे
खुशी अपनी पहलू में लिए
हम हाथ की लकीरें पढ़ने लगे
सपने सजने लगे।
जिन्दगी की जब सुबह आई
हम अपनी धुन में मग्न रहे
खुशी का सावन लिए
हम अरमान ले बरसने लगे
सपने सजने लगे
दिन गुजरे साल गए
गुलिशता में फूल खिले
खुशी का एहसास लिए
हम जिन्दगी के मायने पढ़ने लगे
सपने सजने लगे
परिचय :- बबली राठौर
निवासी - पृथ्वीपुर टीकमगढ़ म.प्र.
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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