समानता
ममता श्रवण अग्रवाल (अपराजिता)
धवारी सतना (मध्य प्रदेश)
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ज्यों स्कूल के यूनिफार्म में,
दिखते हैं बच्चे एक समान।
इसी तरह इस कोरोना ने भी,
दिया है सबको एक सा मान।।
न भेद भाव अमीर गरीब का,
न भेद रखा है ऊँच नीच का।
न ज्यादा खाओ न भूखे रहो,
मार्ग बताया है उसने बीच का।।
कहीं अमीर के घर शादी में,
फिंकता था पकवानों का अम्बर।
और कहीं गरीब के घर का,
भूखा सोता था सारा परिवार।।
प्रकृति हमारी माता है,
कैसे सहन करे पक्षपात।
अतः साम्यता लाने सबमें,
दिया कोरोना का आघात।।
रोक दिये धनपतियों के व्यापार,
कि, तुम भी समझो धन की व्यथा।
सीमित कर आयोजनों की शान,
एक सी कर दी सबकी मनोव्यथा।।
किसी गरीब की मिट्टी में,
जाना थी लोंगों की शान नही।
और अमीर के घर, गरीब,
होता कभी मेहमान नहीं।।
अब सब कुछ होगा वैसा ही,
जैसा चाहे प्रकृति हमारी।
देने अपने हर सुत को सुख,
उसने ही यह लीला धारी।
उसने ही ...