गाँव/प्रकृति
शिव चौहान शिव
रतलाम (मध्यप्रदेश)
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उसरी भूमि में भी
फल से लद जाती है
ये खजूर भी
बिन बोये उग जाती है
घर-आंगन में नीम
जेठ-मास में
छांव का
मूल्य बताता है
बड़ पर बंधे झुले
सावन के गीत गाते है
पीपल शांतचित्त में
प्राणवायु का दाता है
गांव प्रकृति संग
झुमता रहता है
शहर मुहँ ताकता
नजर आता है!
परिचय :- शिव चौहान शिव
निवासी : रतलाम (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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