युग नया आ रहा है
मनोरमा जोशी
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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प्रभाती कोई दूर पर,
गा रहा है।
बढ़ो सामने युग नया,
आ रहा है।
नयी रुपरेखा बनी,
जिंन्दगी की,
नयी चाँदनी अब,
खिलेगा खुशी की।
हर्दय मानवों का भरेगा,
नमन शत धरा को,
गगन अब करेगा।
नया चंन्द्रमा शान्ति,
बरसा रहा है।
बढ़ो सामने...
नया ज्ञान का सूर्य,
मुस्का रहा है।
पगों में सभी के,
अतुल शक्ति होगी।
मनों में सभी के,
नवल भक्ति होगी।
सुधा धार में वे,
सा आ रहा है।
बढ़ो सामने...
तृषित सा मनुज शान्ति
कुछ पा रहा है।
जगेगी नवल चेतना,
मानवों की,
मिटेगी असद कल्पना,
दानवों की।
धरा पर नया स्वर्ग,
बस कर रहेगा।
तुम्हारी कथा विश्व,
मानव कहेगा,
कि इतिहास नूतन,
रचा जा रहा है।
बडो़ सामने युग
नया आ रहा है।
परिचय :- श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दि...