मिलने का संयोग नहीं
शिवदत्त डोंगरे
पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
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हम-तुम एक धरा पर फिर भी
मिलने का संयोग नहीं है!
प्रेम गणित है ऐसा जिसमें
सुख का कोई योग नहीं है!!
दूरी जिससे कम हो जाए
ऐसी कोई राह नहीं है!
और तुम्हारे बिन मंजिल से
मिलने की भी चाह नहीं है!
पत्थर का सीना पिघलाए
फूलों में वो आह नहीं है!
आज मरें हम, कल मर जाएं,
दुनिया को परवाह नहीं!!
बादल से सावन, सागर से मोती,
नदियों से गंगाजल,
सारे जल-जीवन में केवल
'आंसू' का उपयोग नहीं है!
सांसों का संगीत जिन्हें
लगता है धड़कन की मजदूरी!
मृग से ज्यादा प्यारी होती
है जिनको कस्तूरी!!
कैलेंडर बदले जाने को हैं
जिनके दिन-रात ज़रूरी!
रंग महज लगती है जिनको
दुल्हन जैसी सांझ सिंदूरी!!
उनको ही तो मुस्कानों का
सारा कारोबार फलेगा,
जिनकी आंखों के पानी का
पीड़ा से उद्योग नहीं है!
हमने खुद अपने आंचल ...