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कविता

धर्म का युद्ध
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धर्म का युद्ध

आयुषी दाधीच भीलवाड़ा (राजस्थान) ******************** धरा पर स्वर्ग देखने चला था, तुने वो क्या दृश्य दिखा दिया, चंद पल खुशी के ढूंढने निकला था, तुने तो गमो का बोझ बांध दिया। तू भी इसी धरा का, मैं भी इसी धरा का, तुने धर्म के नाम पर, मुझे कुचल ही डाला। धर्म का युद्ध तुने रचा, अपनो को हमने खोया, हिन्दुस्तान के हिन्दु को, धर्म के नाम पर तुने ललकारा है। अब धर्म का युद्ध तु भी देखेगा, मैं भी देखूगां, तु भी इसी धरा का, मैं भी इसी धरा का। धरा पर स्वर्ग देखने चला था, तुने वो क्या दृश्य दिखा दिया। परिचय :-  आयुषी दाधीच शिक्षा : बी.एड, एम.ए. हिन्दी निवास : भीलवाड़ा (राजस्थान) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने प...
रंगमंच
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संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** विश्व रंगमंच की दुनिया देखो कोई अमीर कोई गरीब देखो हंसता-रोता हुआ चेहरा देखो मदद करता लुटता हाथ देखो कोई फैल कोई हुआ पास देखो सूरज देखो चांद को साथ देखो बेवफाई संग प्यार का खेल देखो झूट को कभी सत्य के पास देखो फूलों की खुशबू का साथ देखो रंगमंच के अभिनय को हर बार देखो परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन : देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक", खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता सम्मान : राष्ट्रीय...
विज्योति
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विज्योति

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** बहुत मुद्दत के बाद उकेरे है कुछ लफ्ज़ हृदय आघात से बचाकर किताब-ऐ- पन्नों पर। बहुत मुद्दत के बाद अंकित किए हैं कुछ किस्से हृदय स्थल से उतार धरातल की मन:स्थली पर। बहुत मुद्दत के बाद छाया है सहस्रार पर आत्मज्ञान का महाप्रकाश मोह की प्रकाष्ठा को लांघकर। बहुत मुद्दत के बाद अनाहत से आया है कोई स्वर विशुद्धा को लांघकर अंतर्दृष्टि को सचेत कर। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाच...
थोड़ा सा प्यार बांटे
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थोड़ा सा प्यार बांटे

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** कहते हैं बांटने से खुशी बढ़ती है और दर्द कम हो जाता है, तो चलो आज कुछ मुस्कराहटें बांटे, रिश्तों में थोड़ी सरसराहट बांटे! पसरा है जिनके जीवन मे सन्नाटा उनमे थोड़ी पवित्रता बातें, जीवों....में मुस्कान बांटे! जीवन जीने का खुशनुमा अंदाज ना जाने कहाँ खो गया द्वेष और दिखावा छोड़ थोड़ा सा प्यार बांटे! सब कुछ पाने की चाह में चैन-शांति कहीं गुम हो गई क्यों ना थोड़ा सा सुख बांटे! नीरस सी हो रही जिंदगी जिनकी उनमे थोड़ी शरारतें थोडा सी शुभकामनाएं बांटे!! प्रकृति ने उपहार दिए हमे, नभ-जल-थल, इन्द्रधनुषी रंगों से सजे पशु-पक्षी, इनमे थोड़ी करुणा-थोड़ी ममता इनको थोड़ा सम्मान बाटें!! परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी शिक्...
हमने ‌क्या सीखा
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हमने ‌क्या सीखा

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** रवि सिखाता ‌अनुशासन नदी सिखाती आगे बढ़ना पर्वत दे सीख‌ अडिगता की वृक्ष सिखाता है देना। सीख लता की, तन्वी कोमल सी ले संबल आगे बढ़ती कुछ देने को तना सहारे पत्ते हिलते प्राणवायु सबको देने को। मानव मानव को सभ्य बताते लड़ते झगड़ते बढ़ते जाते प्रकृति मां की गोद में पलते पर उससे कुछ सीख भी पाते? चींटी पक्षी कीट पतंगे न लड़ते न द्वेष वो करते न लूट न पत्थरबाजी अपने दल में घूमा करते। मानव सीखें इनसे अनुशासन क्यों इतना आतंक‌ मचा है क्यों धरती विव्हल है क्यों धरणी रोती पल पल है? कहां तहजीब और नफासत संस्कार वो लुप्त हुए हैं वो पौरुष के भाव कहां, किसी गुफा में सुप्त पड़ें हैं? प्रभु सृष्टि तुम्हारी है कुछ तो करना भयभीत हिरन सी व्याकुल है कुछ कोमल भाव स्नेह सने से यहां वहां बिखरा देना। परि...
मै समझूँ
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मै समझूँ

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आँखों से देखु रुप तुम्हारा पलके बंद हो तो सपन तुम्हारा हवाओं मे जब भी लताएं झूमें मै समझूँ कि आंचल तुम्हारा। गगन मे कोई विदुत चमके मैने जाना बिन्दिया चमकी गगन में जब घटा गहराई लगा यूँ तुमने अलको को बिखेरा। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं आप राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा "हिंदी रक्षक राष्ट्रीय सम्मान २०२३" से सम्मानित व वर्तमान में राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मं...
क्या कसूर था मेरा
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क्या कसूर था मेरा

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** क्या कसूर था मेरा जो मेरे सिन्दुर को उजाडा़ गया, अभी तो मेंहदी भी नही धूली थी और सिंदुर मिटता माँगो का। क्या कसूर इतना था मेरा कि मै एक हिन्दु की कोख से पैदा है हुई। कितने निर्दय अत्याचारी है वो क्या बीबी बच्चे नही उनके? किसी ने माँ को खोया है किसी ने पिता को खोया है किसी की राँखी जो सुनी है किसी की कलाई जो सुनी है। किसीका घर जो उजडा है किसी की मांग जो उजडी है। किसी ने कृष्ण खोया है, कहीं राधा जो बिछुडी है। यदि थोडा भी प्रेम होता यदि थोडी भी दया का भाव भी होता, नही वो कृत्य ये करते। उठो अब देश के वासी नही छोडो इन दुष्टो को अब तो काट दो इनके होथो को की अब ये भीख भी ना ले सके, नही वो ये कुकृत्य ये करते बस इन्सान वो रहते, ये तो इंसान के वेश में नर पिशाचर से कर्म है उनके, जो मानव होकर के मानव...
ये कलम वाले
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ये कलम वाले

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** ये कलम वाले दो धारी तलवार लिए फिरते हैं, शरीर तो शरीर अंतस पर वार किये फिरते हैं, इनका नजरिया नजरानों के अनुसार होता है, पराए दुखी तो खुश और अपने दुखी तो जार जार रोता है, समाज से प्रताड़ित को प्रताड़ित करना अपना धर्म समझते हैं, समाज के प्रतिष्ठित की चापलूसी करना परम कर्म समझते हैं, कोई वंचित गुनाह करे तो उनकी जाति बता हर पल चिल्लायेंगे, कोई इनके लोग गुनाह करे तो उन्हें दबंग या बाहुबली बताएंगे, किसी अन्य धर्म वाले की गलती पर आतंकवाद वाला एंगल निकालेंगे, अपनों के देशद्रोह पर भी सामान्य घटना बता पर्दा डालेंगे, किसी गैर जरूरी बातों पर दिन भर ध्यान भटका भौंकते जाएंगे, जनता जो जानने चाहिए उन मुद्दों को बिल्कुल ही नहीं बताएंगे, कुछ खतरनाक किस्म के बढ़िया पत्तलकार दिखे हैं, आम चूसते हैं ...
चलो ‘नार्को टेस्ट’ करवाते है…
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चलो ‘नार्को टेस्ट’ करवाते है…

डॉ. संगीता आवचार परभणी (महाराष्ट्र) ******************** वो सब लोग गौर से सुन ले जरा जो अक्सर बौखलाते हैं, सोने से पहले रोज जरा खुद का 'नार्को टेस्ट' करवाते है! छुपाए हुए किरदारों से खुद ही को जरा रुबरू करवाते है, खुद के देह से तो यहाँ सब अच्छे से वाकिफ़ हो चुके हैं, उसमें छुपे देव-दानवों से भी खुद की पहचान करा लेते है। इंसानी लिबासों में न जाने भेड़ियों ने कितने घर बनाए है? औरों पे उंगली उठाने में खुद के जाने कितने ऐब छुपाये है! चलो 'नार्को टेस्ट' करवाते है इसमें सब राज बयां होते हैं। असली चेहरे उसकी हर रेखा के साथ उजागर हो जाते है! जब औरों के दर्द नाटक एवं खुद के बेशकीमती लगते हैं, चलो 'नार्को टेस्ट' में रोज एक बार खुद से मिल ही लेते है। अब शिकायतों के ये दौर हमेशा के लिए खत्म कर देते है, क्या कहाँ, " आप 'नार्को टेस्ट' करने से बहुत घबराते है?" क्यों...
बाय यूज़र
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बाय यूज़र

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** ब्रह्मा और मनु की धरती हम उनकी संतान हैं मनु से ही मानव और मनुष्य हम कहलाए मनु के आगे राजर्षि इक्ष्वाकु उनके पुत्र भरत कहलाए चक्रवर्ती राजा, यह धरा उन्हीं की हम भारतवंशी कहलाए। राजा दिलीप, रघु, दशरथ, राम, कृष्ण की हम संतानें हैं वही हमारे पूर्वज कहलाए। देवी प्रकृति सनातन है प्रकृति के हम उपासक‌हैं सदियों से हम इस पर खेती करते वेदों की ऋचाएं, ऋषिकुल चलते। शृंगी ऋषि और भरद्वाज ने बौधायन और कश्यप ऋषि ने और अगणित ऋषि मुनियों ने यह धरा हमें दान कर दी शिक्षा‌ सहित हमें दे दी। सहस्त्रों वर्ष का इतिहास हमारा यहां सनातन राज हमारा हमने ब्रह्मा और मनु से पाई इतनी प्राचीन लिखा पढ़ी नहीं कोई हो पाई यहां आर्य सभ्यता कहलाई। हम है यूज़र इसके हम इसके स्वामी ‌हैं राम कृष्ण के अनुगामी हैं। आए विदेशी आक्रांता ...
मेरी भी उड़ाने हैं
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मेरी भी उड़ाने हैं

श्रीमती अनीता गौतम राजनांदगांव भरका पारा ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" उत्कृष्ट सृजन पुरस्कार प्राप्त रचना बस गीतों में ढलती रही कहानियों में मिलती रही कागजों में उतरती रही उभरती रही रंगों के साथ मेरी भावनाएं छपती रही पत्रिकाएं और अखबारों में और बिकती रही बाजारों में एक-एक हर्फ में बेचारी बनी कभी फूल तो कभी चिंगारी बनी मेरे दर्द की करुण कहानी पर बूंदे भी आंखों से बहाई गई कभी मोहब्बत के अफसानों में नायिका बन प्रेम लुटाती रही क्या कोई मुझे रूह में उतार पाया क्या कोई सही में समझ पाया मेरी भावनाओं और जज्बातों को क्या कोई सही में जान पाया मेरे सपने और अरमानों को क्या कोई पंख दे पाया मेरी भी उड़ानों को परिचय :-  श्रीमती अनीता गौतम जन्म दिनांक : १४ दिसम्बर १९७५ निवासी : राजनांदगांव भरका पार...
नारी और स्वतंत्रता
कविता

नारी और स्वतंत्रता

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" उत्कृष्ट सृजन पुरस्कार प्राप्त रचना शक्ति का नाम नारी, आज की आत्मनिर्भर नारी, कई रूप है उसके, मृत्यु भी उस से हारी ! आजाद देश की नारी है, किन्तु अबला कहलाती है, हर जिम्मेदारी अपनी बखूबी निभाती है !! सजग है सचेत है, सबल और समर्थ है, आधुनिक युग की नारी है सक्षम बलधारी है !! झुका सके ना उसको वो प्रचंड आसमान है, संघर्ष के शिलाओं का पूर्ण होता आकाश है!! स्नेह-प्रेम-ममता की ये तो भंडार है, हर युद्ध जीतने, अभियान उसका जारी है! चाहरदीवारी के हर बंधन तोड़, आज बनती युग निर्मात्री है, पथ है पथरीली, हर बाधा उससे हारी है !! टूटती है, बिखरती है, फिर से संवरती है, हर युग की नारी सम्मान की अधिकारी है !! स्वावलंबी बन जीवन ...
नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान
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नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" उत्कृष्ट सृजन पुरस्कार प्राप्त रचना नारी उड़ना चाहती स्वतंत्रता की वो शिक्षा के बल पर लगा चुकी उड़ने के पंख हर क्षेत्र में स्वतंत्रता के जरिये विकास के द्वार पुरुषों के संग खोल रही वे चाहती है कि दुनिया से उत्पीड़न, शोषण ओर बलात्कार हो बंद उसकी आक्रोशित आंखे कुप्रथाओं के खिलाफ आग उगल रही जल, थल ओर नभ में शासन कर दिखा रही स्वतंत्रता से उपजी नारी की शक्ति उन्मुक्त उड़ान भर विश्व में कर रही अपना नाम रोशन यही सोच हर नारी में स्वतंत्रता का मन में भर रही हौंसला। परिचय : संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता : श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि : २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा : आय टी आय निवासी : मनावर, धार (मध्य प्रदेश) व्यवसाय : ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) ...
रामभक्ति में कंचन कुंवरी
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रामभक्ति में कंचन कुंवरी

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" उत्कृष्ट सृजन पुरस्कार प्राप्त रचना नारियों में नारी कंचन कुँवरी भक्तिमय जीवन में खूब तरी श्रद्धाभक्ति जगायी श्री राम की खुशियां भक्ति में पायी खरी।। श्रद्धा से श्रीराम को बसा ली बाल्यकाल से महिमा पा ली श्रीराम के चरण की भक्ति में रामभक्तिमय जीवन बना ली।। काव्यात्मक रस का प्रेमभाव रामभक्ति का रखा खूब चाव चित्तएकाग्र में पाया रामभाव सदैव बसाया रामभक्ति भाव।। भक्ति की तृष्णा बुझाती राम से गुनगुनाती गाती नितगीत राम के जीवनकर्म को अनन्य बनाया राम आराध्यदेव सुख सब पाया।। बेतवाँ की लहरों में नित बैठ रामभक्ति भाव पाती ठेठ महिमा राम की जान जीवन अर्पण समर्पण रामभक्ति में प्राण करती गई रामभक्ति सेवा सर्वस्व मान ली कंचन कुंवरी, राम...
अद्भुत आधुनिक नारी
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अद्भुत आधुनिक नारी

सतीशचंद्र श्रीवास्तव भानपुरा- भोपाल (म.प्र.) ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" उत्कृष्ट सृजन पुरस्कार प्राप्त रचना स्वतंत्रता जिसकी आभारी है, अद्भुत आधुनिक नारी है। अजब-गजब परिधानो में भी, नारी की महिमा न्यारी है।। गृहस्थी की आधारशिला है, कर्तव्य पथ स्वीकारी है। थी, चौका-चुल्हा जिसकी सीमा, आज, वही बनी दरबारी है।। सृजना है तो संहारक भी है, दुष्टों को सदा ललकारी है। जीवन की चुनौतियों पर, ये, रही सर्वदा भारी है।। नारी से जग, जगमग-जगमग, गरिमा इसकी झलकारी है। रंग, उमंग, तरंग से सज्जित, सदैव रही बलिहारी है।। परिपूरित ये विशेषताओं से, उन्नति की यात्रा जारी है। स्वतंत्र परिवेश, बुलंद हौसले, आसमां छूने की तैयारी है।। परिचय :- सतीशचंद्र श्रीवास्तव निवासी : भानपुरा- भोपाल म.प्र. घोषणा पत्र : मैं यह प्रमा...
नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान
कविता

नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान

श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" उत्कृष्ट सृजन पुरस्कार प्राप्त रचना अपनी क्षमताओं को पहचानकर, विस्तृत गगन में उड़ान भरना तुम। आत्म-सम्मान और स्वाभिमान के साथ जीवन जीना तुम। अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिये, स्वतन्त्रता की उड़ान भरना तुम। ये उड़ान सभी के लिये सुखद हो, ऐसा प्रयास करना तुम। उड़ान में बाधा आने पर, जरा भी विचलित ना होना तुम। आँधी और तुफान में भी, अपनी उड़ान जारी रखना तुम। दुसरों की सहायता हमेशा करना, सत्य का साथ ना छोड़ना तुम। स्वतन्त्रता तो भाती है सभी को इसका सदुपयोग करना तुम। लेकिन स्वच्छन्दता को ना अपना लेना तुम, ये भ्रम है छलावा है ये तो ‘पर’ काट देती है। स्वतन्त्रता और स्वच्छन्दता के महिन अन्तर को समझकर, अपनी उड़ान को सफल बनाना तुम।। ...
नारी तू नारायणी
कविता

नारी तू नारायणी

नेहा शर्मा "स्नेह" इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" उत्कृष्ट सृजन पुरस्कार प्राप्त रचना जीवन तुम ही देती हो जीवन सवाँरना भी तुम्हे ही आता है प्रेम तुमसे ही प्रकाशित हो निभाना भी तुम ही सिखलाती हो रिश्तो की बागडोर हो या ऑफिस में कोई पद भार हो जाने कैसे सब संभाल लेती हो जैसे तुम दैवीय अवतार हो लोग प्रशंसा नहीं कर पाते तुम्हारे पराक्रम से घबराते है और ये समाज तुम्हे दबाने जाने कितने षडयंत्र रचाते है पर तुम न डरना न दबना किसी से जीना अपने सिद्धांतो से तुम आयी विपदा टल जाएगी मन में हौसला रखो ज़रा तुम प्रिय मेरी बात ध्यान से ये समझ लो नारी हो तो नारी के भरोसे को कभी न तोड़ना जो तुम चाहती हो आगे बढ़ना हाथ किसी सखी का अपने साथ में लेते चलना न किसी को उलाहना देना न किसी की कमज़ोरी प...
देवी स्वरूपा नारी हो तुम
कविता

देवी स्वरूपा नारी हो तुम

राजेन्द्र सिंह झाला बाग जिला धार (मध्य प्रदेश) ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" उत्कृष्ट सृजन पुरस्कार प्राप्त रचना ममता की मूरत, भोली सी सूरत, देवीस्वरूपा नारी हो तुम, अबला नहीं हो मातृशक्ति हो, सृष्टि की रचना सहायक हो तुम आई, जब भी कोई मुसीबत, खड़ग को लहराया तुमने, स्वराज नहीं जाने दिया, जब तक सांस रही तन में, झांसी की रानी, दुर्गावती सी अहिल्या का साहस हो तुम आज रूप बदला हुआ है फायटर प्लैन तुम्ही उडाती परिवार का पालन करने को टैक्सी, रिक्शा भी तुम्ही चलाती बिछेंद्री, कल्पना, मेरीकाम उडनपरी, मनु भाकर हो तुम। सीता, मीरा और सावित्री राधा का मौन श्रृंगार हो तुम यशोदा सा स्नेह बहाती गंगा यमुना सी पावन हो तुम परिचय :-  राजेन्द्र सिंह झाला निवासी : बाग, कुक्षि जिला धार (मध्य प्रदेश) घोषणा ...
ऐ नारी, तू नर से भारी
कविता

ऐ नारी, तू नर से भारी

संजू "गौरीश" पाठक इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" उत्कृष्ट सृजन पुरस्कार प्राप्त रचना ऐ नारी ! सच में तू नर पर भारी कहां रही अब बेचारी? क्षेत्र नहीं है कोई अछूते थामी डोर स्वयं बलबूते बन जाती है रणचंडी भी जहां मिले व्यभिचारी। सच में तू नर पर भारी।। तोड़ बेड़ियां आगे आई। शिक्षा पाकर अलख जगाई।। सकल जगत की जन्म दात्री, तू ही जग की पालनहारी।। अब आया है समझ सभी के बदल दिए हैं तौर तरीके भरी उड़ान गगन छूने की बनी बड़ी अधिकारी।। सारे तेरे रूप है सुंदर मिल जाए गर कोई पुरंदर सीमा में अपनी रहकर तुम देना दंड दुराचारी।। मत बनना तुम बेचारी!! परिचय :- संजू "गौरीश" पाठक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलि...
नारी की उड़ान: स्वतंत्रता की ओर
कविता

नारी की उड़ान: स्वतंत्रता की ओर

डॉ. सोनल मेहता भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" तृतीय पुरस्कार प्राप्त रचना सीता-सावित्री की भूमि में, नारी ने इतिहास रचाया, और झाँसी की रानी बन, पराक्रम का दीप भी सजाया। मीरा का भक्ति प्रेम और अहिल्या की शक्ति महान, हर युग में नारी ने किया नेतृत्व सभी तरह का स्वतंत्रता अभियान। गांधी संग कस्तूरबा चलीं, सत्याग्रह की राह, सरोजिनी, कमला, विजयलक्ष्मी ने बढ़ाया देश का प्रवाह। आज की नारी तकनीक में, विज्ञान में दे रही योगदान, चंद्रयान से मंगल तक, पहुँचा रही अपनी पहचान। पर मनमानी, स्वतंत्रता का सही अर्थ नहीं, इसका का करो प्रस्थान, स्वतंत्रता तो है आत्म-सम्मान, और कर्तव्यों का ज्ञान। अपने अधिकारों संग, न भूलें कर्म- धर्म महान, मन के संतुलन से ही संभव है, समाज का उत्थान। बेहतर भविष्य की ओर ...
नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान
कविता

नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान

आशा जाकड़ इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" द्वितीय पुरस्कार प्राप्त रचना नारी जग गौरव बने, नारी से पहचान। हर क्षेत्र में वह आगे, चमका हिन्दुस्तान।। नारी की महिमा बड़ी, ‌बनी देश की शान। उर में दु:ख समेटती, कुल का रखें ध्यान।। दया-ममता की देवी, निज सुख की ना चाह। देश के लिए मर मिटै, कभी न करती आह।। बेटी और बहन बनी, फिर पत्नी अरु मात फर्ज की दीवार चढ़े, चाहे अंधड रात।। नारी शक्ति स्वरूपा, कभी न माने हार। कसौटी खरी उतरती, करती प्राण निसार।। झांसी की रानी बनी, देश हुई कुर्बान। पद्मिनी जौहर करती, कुल की‌‌ रखी आन नारी है नारायणी, करती जग कल्याण। सृजन की सृष्टि करता, प्रकृति का वरदान।। आंँखों में आंँसू भरे, होठों पर मुस्कान। तूफान में डटी रहे, पार करें चट्टान।। अवनि से अम्बर पहुंँच...
नारी भरे उड़ान
कविता

नारी भरे उड़ान

संगीता चौबे "पंखुड़ी" अबू हलीफा (कुवैत) ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" प्रथम पुरस्कार प्राप्त रचना सकल विश्व में अंकित करती, निजता की पहचान। मुक्त गगन में पंख पसारे, नारी भरे उड़ान।। कल तक थी जो सहमी-सहमी, बंद कक्ष दीवारों में। आज गूँजता है स्वर उसका, सच्चाई के नारों में।। नहीं डूबने देती नैया, विपदा के मँझधारों में। है उसको विश्वास स्वयं की, भुजा रूप पतवारों में।। चलती सर ऊँचा रख उर में, स्वाभिमान का भान। मुक्त गगन में पंख पसारे, नारी भरे उड़ान।। नूतन प्रतिमानों को गढ़ कर, करती आविष्कार नवल। नहीं हिचक निर्णय लेने में, करती है वह सार पहल।। लाख चुनौती पथ पर आएँ, कर देती चुटकी में हल। संघर्षों से हार न माने, प्रण पर रहती सदा अटल।। स्वर्णिम छवि नारी की चमके, ज्यों नभ में दिनमान। मुक्त गगन में पंख प...
प्रेम-तरंगिणी:
कविता

प्रेम-तरंगिणी:

भारमल गर्ग "विलक्षण" जालोर (राजस्थान) ******************** तुम शिला बन अरुणाचल पर, मैं निर्झर बहता जल हूँ। तपते तव मौन-तप में, मेरा स्वर सागर-सा ढल हूँ॥ तुम वेदों के अग्नि-सूत्र हो, मैं हवि बन जलता धुआँ। प्रेम यज्ञ की ज्वाला में, दोनों एकाकार हुए आँ॥ तुम्हारी आँखों के तारों ने, नभ का मौन तोड़ा है। मेरी पृथ्वी की गोद में, उनकी ज्योति बिखरा दी है। तुम्हारे स्पर्श की लहरें, वसंत की पुष्प-वृष्टि लायीं। मेरे विरह के शरद में, पत्ते सूखकर राख बन गयीं॥ तुम वटवृक्ष, मैं उसकी छाया, जड़ों में गूँथा सन्नाटा। तुम नभ के गगन-गायक, मैं धरती का अधूरा गाथा॥ तुम सिन्धु हो, मैं तट बन बैठा, लहरों से गूँथे बंधन। बंधन में स्वतंत्रता का रस, यही प्रेम का महामंत्र॥ तुम मेरे नभ के चन्द्रमा, मैं तुम्हारी रात का सन्नाट। मिलन में अमावस्या बनी, विराट व्रत की यह बात॥ तुम्हारे हृदय की गुफा म...
घाम पियास के दिन आगे
आंचलिक बोली, कविता

घाम पियास के दिन आगे

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी कविता) लकलक-लकलक घाम करत हे। घाम पियास म मनखे मरत हे। काटें काबर रुख-राई ल संगी, ताते-तात आज हवा चलत हे..!! बर पिपर के छईयाँ नंदागे । बिन छईयाँ के चिरई भगागे। आगी अँगरा कस भुइयाँ लागे, भोंमरा जरई म गोड़ भुंजागे.!! रुख राई के लगईया सिरागे। डारा पाना सबो हवा म उड़ागे। घाम पियास ले सबला बचइया, हरियर धरती घाम म सुखागे…!! जंगल झाड़ी रुख राई कटागे। तरिया डबरी के पानी अटागे। पसीना चुचवाय के दिन आगे, खोधरा छोड़ के चिरई भगागे। परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्...
जीवन क्रीड़ा
कविता

जीवन क्रीड़ा

डॉ. राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** सोच न बंदे गंदगी तु कर ले ईश्वर की बंदगी। यही तो जीवन की मर्यादा है तु खुद का ही भाग्य विधाता है। अजर अमरता को रहने दें जीवन को विभिन्न सुर में बहने दें। जीवन में जो भी आता है उसको उल्लास से आने दें। जीवन से जो भी जाता है उसको भी मुस्कुराते हुए जाने दें। मस्ती को अपनी हस्ती में रहने दें जीवन को सस्ती बस्ती में बहने दें। परिचय :-  डॉ. राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्...