न जाओ… रुक जाओ…
बृजेश आनन्द राय
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
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न जाओ,
रुक जाओ...!
तुम रुक गई तो
'जीवन' यूँ ही
नहीं बीत पाएगा...
बल्कि, ये अपना
एक-एक पल
आत्मा द्वारा
मन व प्राणों संग
अत्यंत सुकून
से जी जाएगा !
प्रतिदिन सुबह होगी
चाहे साँझ होगी, पर
ये दुनिया न एक पल
को भी बाँझ होगी!
तुम्हारी आँखों से होकर
हर बसन्त और सावन
हरियाला हरसेंगे!
तुम्हारे होठों पर से
हो आने को कभी
फाल्गुन तथा
कभी चैता करषेंगे!
तुम्हारे माथे से
छिरकेगी जेठ-अषाढ़ी-
नमकीनी- बारिश...
तुम्हारे केशो में
कभी हेमन्त तथा
शिशिर के तुहिन-पाँव
वर्तुल होंगे!
और चेहरे से फिसलेगी
फिर-फिर शारद-
कार्तिकी पूनो यात्रा।
परिचय :- बृजेश आनन्द राय
निवासी : जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र.द्वारा शिक्षा शिरोमणि सम्मान २०२३ से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्र...