बिरवा हम लगाबो
अशोक पटेल "आशु"
धमतरी (छत्तीसगढ़)
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आवव संगी आवव, बिरवा हम लगाबो
आवव संगी साथी, भुइया हम सजाबो
गांव के गली पारा म
चउक-चउक हटवारा म
धरती म बिरवा जगाबो
आवव संगी आवव....
खेत-खार सुन्ना होंगे, मेड़ घलो सुन्ना
बनिस नावा डाहर त, कटगे पेड़ जुन्ना
छइहा ह नोहर होंगे, कहां सुख पाबो
आवव संगी आवव....
चिरई-मन खोजत हावे, रुखुवा के थइहा
तरसत हे छइहा बर, गांव के हे गंवतरिहा
झिलरी अउ झाड़ी छईहा रद्दा ल बनाबो
आवव संगी आवव..
घर-अंगना खोर गली, अउ जमो मोहाटी
खेत-खार, मेड़-पार अउ घलो चौपाटी
गोकुल के धाम सही चला अब सुघराबो
आवव संगी आवव....
नरवा के तीर घलो, पारे-पार तरिया
फुलवारी लागे कलिन्दी कछार नदिया
गाँव-गाँव शहर-नगर ल मधुबन बनाबो
आवव संगी आवव....
धरती के तापमान तभे तो सुधरही
झमाझम रुखुवा म धरती सवँरही
आही बादर करिया अउ पानी बरसाबो
आवव संगी आवव....
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