खुद को, खुद से ही समझाया जाए
रामेश्वर दास भांन
करनाल (हरियाणा)
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रख कर दिल में, जज़्बात अपने,
ना किसी और को, बताया जाए,
दर्द जो उसने दिया, दिल को मेरे,
अब खुद ही इसे, तड़पाया जाए,
वादे तो हमसे, हसीन किए थे उसने,
मगर उन सबको, अब भुलाया जाए,
दिया है ग़म उसने, तो ग़म ही सही,
अपने दर्द को अब, दिल में समाया जाए,
ज़माने से कह, हसीं उड़वानी है अपनी,
ज़ख्म जो मिले, खुद ही मरहम लगाया जाए,
उसने तो जो किया, समझ है उसकी,
अब खुद को, खुद से ही समझाया जाए,
बड़ा दर्द दिल में, दे जाता है प्यार करना,
आंसुओं को अब, ज़माने से छिपाया जाए
परिचय :- रामेश्वर दास भांन
निवासी : करनाल (हरियाणा)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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