उपहार नवरात्रि का
किरण पोरवाल
सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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त्रेता में सीता हरण हुआ,
दशमुख ने रूप छुपाया है,
अब कलयुग में कितने
सीता हरण हुए ,कितने
दुष्टो ने नाम छुपाया है।
श्री राम ने रावण मारा है,
अब कौन राम पैदा होंगे
इन दुष्टों के संहार ने को?
इन आतताईयों के मारने को?
सीता ने मृग की गलती की,
अब तुम कितनी गलती करती हो,
अपने दिल से तुम भी पूछो,
तुम भी तो गलती करती हो?
पैसा सोना सौंदर्य ऐश
इसके खातिर तुम बिकती हो।
क्यों मां की कोख लजाती हो,
क्यों अपने धर्म से विचलित होती हो।
धर्म ग्रंथों को पढ़कर देखो, तुम
सीता राधा द्रोपति बनो।
अपने धर्म का आदर करना,
तुम शास्त्र से पढ़कर हे सीखो।
अपनी शान से तुम जियो,
रोशन कर दो तुम मातृभूमि को,
जग में नाम "उज्ज्वल" कर दो।
बन जाओ झांसी की रानी
अहिल्या रजिया द्रोपति प्रतिभा।
छूने ना दो इन दुष्टों को,
बन जाओ रणचंडी ...