बाबुल का घर
रचयिता : संजय वर्मा "दॄष्टि"
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निहारती रहती हूँ बाबुल का घर
कितना प्यारा है मेरा बाबुल का घर
आँगन ,सखी,गलियों के सहारे बाबुल का घर
लोरी, गीत ,कहानियों से भरा बाबुल का घर |
बज रही शहनाई रो रहा था बाबुल का घर
रिश्तों के आंसू बता रहे ये था बाबुल का घर
छूटा जा रहा था जेसे मुझसे बाबुल का घर
लगने लगा जेसे मध्यांतर था बाबुल का घर |
बाबुल से जिद्दी फरमाइशे करती थी बाबुल के घर
हिचकियों का संकेत अब याद दिलाता बाबुल का घर
सब आशियानों से कितना प्यारा मेरा बाबुल का घर
रित की तरह तो जाना है एक दिन, छोड़ बाबुल का घर |
परिचय :- नाम :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन )
शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग )
प्रकाशन :- देश - विदेश की विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार...