सपने
सुरेखा सुनील दत्त शर्मा
बेगम बाग (मेरठ)
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सर्द हवा का झोंका,
छू जाता है,
और अचानक उठा देता है,
मीठे सपनों से,
जो बुने थे हमने,
साथ साथ रात भर लेटे-लेटे,
सुबह दिला देती है,
फिर अकेलेपन का एहसास,
सर्द हवा का झोंका,
ले जाता है,
तुम्हारे सपनों से दूर....
बहुत दूर...
जहां सघन होने लगता है,
फिर अकेले होने का एहसास,
और मैं अपने सपने समेटे,
मन के किसी कोने में,
सिमट उठती हूं।
.
परिचय :- सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा
जन्मतिथि : ३१ अगस्त
जन्म स्थान : मथुरा
निवासी : बेगम बाग मेरठ
साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास
प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :-
पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल, हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, अमर उजाला अखबार, सौराष्ट...



















