ग़ज़ल
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रचयिता : बलजीत सिंह बेनाम
मिल गई हो जिसे घूँट भर ज़िन्दगी
शब उसी के लिए है सहर ज़िन्दगी
साथ तेरे हो कैसे बसर ज़िन्दगी
संग मैं हूँ तू शीशे का घर ज़िन्दगी
जन्म जिसने लिया उसको मरना पड़ा
कर सका कौन आखिर अमर ज़िन्दगी
जी रहे हैं सभी एक ही ढँग से
बेअदब ज़िन्दगी बेहुनर ज़िन्दगी
मैं तो पलकें बिछा कर थका हूँ बहुत
मेरी राहों से अब तो गुज़र ज़िन्दगी
लेखक परिचय :
नाम : बलजीत सिंह बेनाम
सम्प्रति : संगीत अध्यापक
उपलब्धियाँ : विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित आकाशवाणी हिसार और रोहतक से काव्य पाठ
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