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पद्य

खत हजारों मुझे
कविता

खत हजारों मुझे

============================= रचयिता : शिवम यादव ''आशा'' तूने लिखे थे खत   हजारों मुझे... मगर उस वक़्त एक भी न मिल सका मुझे... आज देख रहा हूँ तेरे पुराने से पुराने खत में रखी हैं छिपी तेरी यादें उन्हीं में उलझकर दिल ने तेरी याद दी मुझे... तेरी यादों ने मज़बूर   कर दिया अब तेरे साथ बीते पल    के लम्हों को लिखने को मुझे... लेखक परिचय : नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !! काव्य संग्रह :- ''राहों हवाओं में मन " आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्...
हम कब जिम्मेदार बनेंगे
कविता

हम कब जिम्मेदार बनेंगे

======================= रचयिता : मंजुला भूतड़ा क्यों करें प्रदूषित अपने जल संसाधन, अमूल्य निधि में फैला रहे प्रदूषण। स्वयं गलती कर,दोष देना दूसरों को बंद करें,आओ कुछ हम भी करें। मूर्ति विसर्जन हम करेंगे, पर प्रभु मूरत, अपने संग रखेंगे। भगवान भरोसे हैं, कहते हैं हम भगवान को किसी ओर के भरोसे, छोड़ देते हैं हम। नहीं हो पाती मूर्तियां विसर्जित, यहां वहां पड़ी देख,मन होता व्यथित। सब मिलकर पूजन करें,भोग लगाएं सब मिलकर यह गाएं, गणपति बप्पा मोरया खेतों में आ के बस जा। मन में मूरत एक बिठा लें, चाहे मूर्ति गमले में बिसरा दें। प्रभु सानिध्य का लाभ छोड़ो मत जिम्मेदारी किसी ओर पर ढोलो मत। समझें और समझाएं वरना हम कब जिम्मेदार बनेंगे। लेखिका परिचय :-  नाम : मंजुला भूतड़ा जन्म : २२ जुलाई शिक्षा : कला स्नातक कार्यक्षेत्र : लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता रचना कर्म : साहित्यिक लेखन विधाएं ...
वो शहर कब हमारा था
कविता

वो शहर कब हमारा था

====================== रचयिता : ईन्द्रजीत कुमार यादव वो शहर कब हमारा था, वहाँ तो बस बंजारों की तरह गुजारा था, लाख समंदर था तेरे पास, फिर भी तेरे कूचे से मैं गुजरा प्यासा था, ये गुल गुलिस्तां हो तुझे मुबारक, मुझे तो बस तेरे काँटो का सहारा था। वो शहर कब हमारा था, सड़क पर वो बंगला तुम्हारा था, वो सड़क जो जंगल से होकर गुजरती थी, उसी विराने में एक छोटा सा मकान हमारा था, ये रात,ये चाँद, ये ठंडी हवाएं हो तुझे मुबारक, मुझे तो बस आसमां का चादर और एक खाट का सहारा था, वो शहर कब हमारा था, वो आंधी बेवफ़ाई की जो हर रात आती थी मेरा घर तोड़ने को, उसके पास पता सिर्फ हमारा था, ये महफ़िल, ये नगमे, ये शामे रंगीन हो तुझे मुबारक, मुझे तो बस ये मशान और एक जुगनु की रौशनी का सहारा था। लेखक परिचय :-  नाम : ईन्द्रजीत कुमार यादव निवासी : ग्राम - आदिलपुर जिला - पटना, (बिहार) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ले...
कविता
कविता

कविता

====================== रचयिता : मनीषा व्यास आत्मा के सौंदर्य का ख़्बाव है कविता काग़ज़ रूपी खेतों में शब्द रूपी क़लम से बीजों  का अंकुरण  है  कविता आत्मीय सौंदर्य का काव्यदीप है कविता पल पल संजोकर सपने  भी सच कर हौसलों की उड़ान भर जाती है कविता मन जब अकेले पन के आग़ोश में छिपा हो तो उस अकेलेपन का   भी साथी  बन न जाने कब साथ आ जाती है कविता मन जब भावना के अधीन बहक रहा हो तो भावना के साथ अश्रु बन कर बह जाती है कविता आसमान सी नीली धवल चाँदनी बन चंचल मन की चपलता में भी भाव गढ़ जाती है कविता तिमिर में जब राह भूल जाय कोई राही तो पथिक की राह में भी दीप जला जाती है कविता   लेखिका परिचय :-  नाम :- मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा क...
देखता रहता हूँ मैं छत से तुम्हें देर तलक
कविता

देखता रहता हूँ मैं छत से तुम्हें देर तलक

========================== रचयिता : मुनीब मुज़फ्फ़रपुरी याद आजाए तो एक बार बता भी देना शहर तो देख लिया दिल का पता भी देना मेरी आँखों ने तुम्हें देख लिया है यारा पास अजाऊँ तो आवाज़ सुना भी देना देखता रहता हूँ मैं छत से तुम्हें देर तलक ऐसे मौक़ों पे कभी हाथ हिला भी देना ये बड़ा काम है इसका भी अजर पाओगे रह चलते हुए पत्थर को हटा भी देना बेज़बाँ को भी शजर याद तो आता होगा यार पिंजरे से परिंदो को उड़ा भी देना हर घरी चुप नही रहना ज़रा मूनीब सुनो ज़ुल्म होता हो तो आवाज़ उठा भी देना लेखक परिचय :- नाम: मुनीब मुजफ्फरपुरी उर्दू अंग्रेजी और हिंदी के कवि मिथिला विश्वविद्यालय में अध्ययनरत, (भूगोल के छात्र)। निवासी :- मुजफ्फरपुर कविता में पुरस्कार :- १: राष्ट्रीय साहित्य सम्मान २: सलीम जाफ़री अवार्ड ३: महादेवी वर्मा सम्मान ४: ख़ुसरो सम्मान ५: बाबा नागार्जुना अवार्ड ६: मुनीर न...
बांध लिए पग में घुंघरू
कविता

बांध लिए पग में घुंघरू

======================= रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर मैंने बांध लिए पग में घुंघरू, ये सारा जहां ही बहका रे । जब याद में तेरे नाच उठी, सारा ही गुलिस्तां महका रे।।... मेरे अंतर्मन के तारों में, प्रिय, तूने छेड़ा राग नया । धड़कन कुछ गति तेज हुई, अनुराग  सिहर फिर जाग गया।। चाहत का पंछी निकल पड़ा, सारी रात का आलम चहका रे...। मैंने बांध लिए पग में घुंघरू .. ये सारा जहां ही बहका रे...।। मैंने अधरों पर नाम लिया, वीणा से स्वर  सप्तक फूटे। मेरी मांग सजाने को आतुर, अंबर से तारे आ  टूटे ।। तेरी याद में टपके जब आंसू, सारा मधुबन ही दहका रे... । मैंने बांध लिए पग में घुंघरू .. ये सारा जहां ही बहका रे...।। परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी...
16 वर्ण तथा 16 मात्राओं का छंद
छंद

16 वर्ण तथा 16 मात्राओं का छंद

========================== रचयिता : डॉ. इक़बाल मोदी अकबर झटपट चल पनघट पर, तपन बढ़त अब जल भर कर धर। चल हट बस अब मत खटपट कर, मत मर करवट बदल बदल कर। चलत पवन गरम ,अब सरर सर, कल कल जल ,हलक कर तरबतर। अब शबनम शरबत रख भरकर। मत छलकत छल छल डगमग कर। छल व कपट मत कर मरघट पर, रब जप करत तन बदन मल कर।। कदम दर कदम घर घर तप कर, भटक भटक कर जनम सफल कर।। परिचय :- नाम - डॉ. इक़बाल मोदी निवासी :- देवास (इंदौर) शिक्षा :- स्नातक, (आर.एम्.पी.) वि.वि. उज्जैन विधा :- ललित लेखन, ग़ज़ल, नज्म, मुक्तक विदेश यात्रा :- मिश्र, ईराक, सीरिया, जार्डन, कुवैत, इजराइल आदि देशों का भ्रमण दायित्व :- संरक्षक - पत्र लेखन संघ सदस्य :- फिल्म राइटर एसोसिएशन मुंबई, टेलीविजन स्क्रीन राइटर एसोसिएशन मुंबई प्रतिनिधित्व :- विश्व हिंदी सम्मेलन भोपाल आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा ...
सफर
कविता

सफर

======================== रचयिता : वन्दना पुणतांबेकर गर! सफर में साथ हो अपनो का, तो सफर आसां हो ही जाता है। तलाश हो गर! सही मंजिल की, तो कारवाँ बन ही जाता है। वादियां खिली-खिली सी हो। गर! ना हो दोस्त साथ तो। चमन भी, चुभ ही जाता है। गर! साथ हो दोस्त, परिवार तो। विराना! चमन हो ही जाता है। मुक़द्दर सभी का अपना-अपना। लेकिन! कोई मंजिल तो होगी। जहाँ में! जहाँ, हमसाथ हो ही जाता है। मत कर! तलाश बिखरे पन्नो की। कसूर पन्नो का नही। गर! वक्त साथ ना हो तो। हवा का रुख बदल ही जाता है। चलते रहो, मुस्कुराते रहो। सफर में! धूप-छावं तो होगी। गर! सफर हो साथ अपनो का तो। सफर आसां हो ही जाता है।   परिचय :- नाम : वन्दना पुणतांबेकर जन्म तिथि : ५.९.१९७० लेखन विधा : लघुकथा, कहानियां, कविताएं, हायकू कविताएं, लेख, शिक्षा : एम .ए फैशन डिजाइनिंग, आई म्यूज सितार, प्रकाशित रचनाये : कहानियां:- बिमला बुआ, ढलती शाम, प्...
साहित्य और समाज
कविता

साहित्य और समाज

********** रचयिता : रूपेश कुमार हम सभी जानते हैं कि साहित्य समाज का दर्पण होता है ! साहित्य के बिना समाज की कल्पना करना निरर्थक है ! साहित्य से ही समाज का निर्माण होता है एवं समाज की कुरीतियों का विनाश न  होता अगर साहित्य न होता , तो समाज की कुरीति राजनीतिक कुरीति का विनाश भी नहीं होता ! साहित्य समाज को रास्ता दिखाता है किस रास्ते से समाज को चलना चाहिए ! राजनीतिक को भी गिरने से साहित्य ही बचाता है वरना साहित्य नहीं होता तो आज की राजनीतिक और कचरा हो गई होती ! साहित्य के बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है ! वर्तमान में समाज में जितने  कुरीतियां हो रही है वह साहित्य के अनदेखा मे ही हो रहा है समाज से ही साहित्य का उदय होता है और साहित्य से ही समाज का उदय होता क्योंकि साहित्य समाज का दर्पण है मेरी कविता ~~~ समाज को साहित्य का मिला है सहारा , भला उनको कचड़े से बचाओगे कब तक ? जो मिलते हृध्य...
बंद आँखों से सितारों का जहाँ देख रहे हो
कविता

बंद आँखों से सितारों का जहाँ देख रहे हो

=================================== रचयिता : मुनीब मुज़फ्फ़रपुरी यहाँ से तुम खड़े हो कर के कहाँ देख रहे हो पता है किसने दी नज़रें जो जहाँ देख रहे हो बज़मे जाना में जो बैठोगे तो खाओगे ज़ख़्म ये सही है के वहीं देखो जहाँ देख रहे हो इस तरह खोए हुए हो कहाँ आकाश में तुम बंद आँखों से सितारों का जहाँ देख रहे हो तुम बहुत देर से कोशिश में हो पढलो मुझको क्या नजूमि हो,मेरा दर्द ए नहाँ देख रहे हो वो नज़र फेर रहा है अजीब तुम हो मगर तुम यहाँ देख रहे हो के वहाँ देख रहे हो लेखक परिचय :- नाम: मुनीब मुजफ्फरपुरी उर्दू अंग्रेजी और हिंदी के कवि मिथिला विश्वविद्यालय में अध्ययनरत, (भूगोल के छात्र)। निवासी :- मुजफ्फरपुर कविता में पुरस्कार :- १: राष्ट्रीय साहित्य सम्मान २: सलीम जाफ़री अवार्ड ३: महादेवी वर्मा सम्मान ४: ख़ुसरो सम्मान ५: बाबा नागार्जुना अवार्ड ६: मुनीर नियाज़ी अवार्ड आने व...
दर्द लिखते हैं
कविता

दर्द लिखते हैं

=================================== रचयिता : शिवम यादव ''आशा'' हम तो आवाम का दर्द लिखते हैं, दुनियां जिसको भूलती है हम उसका नाम लिखते हैं, सारी खताओ को माफ़ करो मेरी, हम ऐसा इस दुनियां को पैगाम लिखते हैं... ममता रूपी समुन्दर में डुबा सबको देती है लेकिन साहब ये माँ की ममता ही है जिसमें डूबते तो हैं लोग मगर मरते नहीं हैं दुनिया में मानव का सच्चा साथ तो सिर्फ "आँशू" देते हैं... बाकी तो सब दिखावा मात्र होते हैं... मोहब्बत में मेरी आकर वो सियासत भूल जाती है मोहब्बत इश्क की जन्ज़ीर है जो एक दिन टूट जाती है मेरे खिलाफ़ तेरा बड़े से बड़ा सुबूत भी काम नहीं आयेगा... क्योंकि तूने मोहब्बत की है जिसे करने तेरा भाईजान नहीं आयेगा... एक घर जला है गर तो दूसरा जलाने की तुम कोशिश न करो कारण भी हो फ़िर भी किसी को विद्रोह की आग में झोंकने की कोशिश न करो लेखक परिचय : नाम :- शिवम यादव रामप...
आलोक प्रखर होता है
कविता

आलोक प्रखर होता है

======================= रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर अंबर से टकराकर। रविरश्मि कुछ गाकर। वैभव नभ के लाकर। प्रकाश अमर होता है।।... आलोक प्रखर होता है ।।... बचपन में स्वप्न संजोना । धैर्य युवा में खोना। देख बुढापा रोना। जीवन नश्वर होता है।।... आलोक प्रखर होता है ।।... वंशी मधुर बजाना। स्वर साधक बन पाना। चित्त में राग सजाना। मनमोह असर होता है।।... आलोक प्रखर होता है ।। परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मेलन में भी सहभागिता रही है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके ह...
बहक जाता था
कविता

बहक जाता था

============================= रचयिता : आशीष तिवारी "निर्मल" खिलता गुलाब थी, तू खिलता गुलाब है सूरत तेरी लाजवाब थी, लाजवाब है। तुझे देख के अक्सर बहक जाता था मैं मेरी आदत खराब थी, आदत खराब है। तू मीठे शहद सी थी, मीठे शहद सी है तेरी कीमत बेहिसाब थी बेहिसाब है। नशा छा जाता है जो तू पास से गुजरे मनमोहक अदाएँ शराब थी शराब है। कोई नही है मिसाल तेरी, बेमिसाल है तू सच में माहताब थी, और माहताब है। यूँ तुझको पाना है द्विवास्वप्न के जैसा तुम एक ख्वाब थी और एक ख्वाब है। रिश्ता सदा पाकीजा था हम दोनों का सब खुली किताब थी खुली किताब है। लेखक परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाण...
मीर सी कोई ग़ज़ल हो
ग़ज़ल

मीर सी कोई ग़ज़ल हो

=================================== रचयिता : मुनीब मुज़फ्फ़रपुरी मीर सी कोई ग़ज़ल हो ये कहाँ मुमकिन है हर महल ताज महल हो ये कहाँ मुमकिन है दुश्मनी भूल के दुश्मन को लगाले जो गले ऐसे इंसाँ का बदल हो ये कहाँ मुमकिन है दिल ए मायूस में ढूँढो न उमंगो की किरण ख़ुश्क झीलों में कँवल हो ये कहाँ मुमकिन है ख़्वाब ए गफ़लत में अगर वक़्त गुज़ारा जाए फिर तो रौशन कोई कल हो ये कहाँ मुमकिन है ग़म के मारों को ख़ुशी ग़म ही अता करती है हर ख़ुशी ग़म का बदल हो ये कहाँ मुमकिन है लेखक परिचय :- नाम: मुनीब मुजफ्फरपुरी उर्दू अंग्रेजी और हिंदी के कवि मिथिला विश्वविद्यालय में अध्ययनरत, (भूगोल के छात्र)। निवासी :- मुजफ्फरपुर कविता में पुरस्कार :- १: राष्ट्रीय साहित्य सम्मान २: सलीम जाफ़री अवार्ड ३: महादेवी वर्मा सम्मान ४: ख़ुसरो सम्मान ५: बाबा नागार्जुना अवार्ड ६: मुनीर नियाज़ी अवार्ड आने वाली ...
अपना सा
कविता

अपना सा

==================== रचयिता : माधुरी शुक्ला एक दोस्त की तरह नायाब हीरा है जिनकी  चमक से चेहरे पर उजाला भर जाये।। बातो के जादूगर है यो मीठे बोल भी मिश्री सी मिठास घोल देती । जब भी आते है कुछ नया रंग नए रूप में आते है जैसे भी आते है उमंग से भरपूर नजर आते हैं।। काश की, काश कि पहले आ जाते तो थोड़ा हम भी आशिकी कर जाते, तो थोड़ा सा सही रुमानियत से हो जाते। वजूद और कद से बहुत बड़े है हम अदने से होकर आपके लिए क्या कहे, नाचीज जो हूँ।। लेखीका परिचय :-  नाम - माधुरी शुक्ला पति - योगेश शुक्ला शिक्षा - एम .एस .सी.( गणित) बी .एड. कार्य - शिक्षक निवास - कोटा (राजस्थान) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने ...
जय श्री गणेश
कविता

जय श्री गणेश

================================= रचयिता :  राम शर्मा "परिंदा" इनकी पूजा पहले करें ये दाता विशेष। जय श्री गणेश ------ जय श्री गणेश।। हरी -हरी  दूब सिंदूर  चढ़ाओ और मोदक का भोग लगाओ पीत रंग इन्हें पसंद धरते जिसका वेश। जय श्री गणेश ------  जय श्री गणेश।। सब कहे इन्हें मंगल मूर्ति गजब की है इनमें स्फूर्ति अपने बुद्धिबल से जीते हर इक रेस। जय श्री गणेश ------ जय श्री गणेश।। गण देवों के ये है स्वामी सब जाने ये अन्तरयामी दस दिवस गणेश रंग में झूमे मेरा देश। जय श्री गणेश ------- जय श्री गणेश। परिचय :- राम शर्मा "परिंदा" (रामेश्वर शर्मा) पिता स्व. जगदीश शर्मा आपका मूल निवास ग्राम अछोदा पुनर्वास तहसील मनावर है। आपने एम.कॉम बी एड किया है वर्तमान में आप शिक्षक हैं आपके तीन काव्य संग्रह १- परिंदा, २- उड़ान, ३- पाठशाला प्रकाशित हो चुके हैं और विभिन्न समाचार पत्रों में आपकी रचनाओं का प्रकाशन...
कुछ भी हो
कविता

कुछ भी हो

=================================== रचयिता : शिवम यादव ''आशा'' मेरे हर प्यार पर वो प्यार को सहने वाले चलो हम साथ चल रहे अपनी जिंदगी से    डरने वाले हक़ीक़त कुछ भी हो   मगर हम नहीं हैं इस दुनियां से डरने वाले कोई अल्फ़ाज़ में अपने    मेरी बातों को    लाकर रख दे चाहें कितना भी कटु हो      मेरा वो सच फ़िर भी नहीं हम उससे    पीछे हटने वाले लेखक परिचय : नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !! काव्य संग्रह :- ''राहों हवाओं में मन " आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां,...
संरक्षण का मतलब क्या है
ग़ज़ल

संरक्षण का मतलब क्या है

=========================== रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" "संरक्षण" का मतलब क्या है ? संघर्षण का मतलब क्या है ? कदम कदम पर कोचिंग क्लासें, फिर शिक्षण का मतलब क्या है ? जब समान हैं सब प्रतियोगी, "आरक्षण" का मतलब क्या है ? रेत, घूस, पशुओं का चारा, इस भक्षण का मतलब क्या है ? "प्रेम" कुपोषण अब भी कायम, फिर पोषण का मतलब क्या है ? लेखक परिचय :  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ -"पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक...
यह है जिन्दगी
कविता

यह है जिन्दगी

==================== रचयिता : मनोरमा जोशी प्यास की दास है जिन्दगी तल्ख आभास है जिन्दगी। दर्द की गीत गाती हुई जिन्दगी। एक अभ्यास है जिन्दगी, भाष्य में व्याकरण की तरह, वाक्य विन्यास है जिन्दगी। मन विधा के लिये सर्वदा, स्वच्छ आकाश है जिन्दगी। द्धन्द को मत समर्पित करो, एक महाराज है जिन्दगी। हमको लगती है सायास ये, कब अनायास है जिन्दगी। लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उ...
जिंदगी की बेरूखी से
कविता

जिंदगी की बेरूखी से

======================= रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर जिंदगी की बेरूखी से ऊब चले हम। सांझ ढले गिरे मगर, खूब चले हम।।.... जो मिला उसीने प्यार इस कदर किया। मेरी चाहतों को लूट दर्द भर दिया।। रूसवाई के भंवर में गहरे डूब चले हम।।.. जिंदगी की बेरूखी से ऊब चले हम। सांझ ढले गिरे मगर, खूब चले हम।।.... सोचा चांद को तो सिर्फ हमसे प्यार है। क्या पता उसके तो आशिक हजार हैं।। आसमां के तारे जैसे टूट चले हम ।।.. जिंदगी की बेरूखी से ऊब चले हम। सांझ ढले गिरे मगर, खूब चले हम।।.... गीत विरह में कभी गाया नहीं था।। प्रेम का बसंत जब आया नहीं था। हरी-भरी साख थे, सूख चले हम।।... जिंदगी की बेरूखी से ऊब चले हम। सांझ ढले गिरे मगर, खूब चले हम।।.... परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिक...
दिल के औराक़ पे
ग़ज़ल

दिल के औराक़ पे

============================= रचयिता : शाहरुख मोईन दिल के औराक़ पे जब अपनी कहानी लिखना दूध को दूध सदा पानी को पानी लिखना पढ़ तो लेता हूँ मैं तहरीर तेरे चेहरे की दास्ताँ फिर भी कभी दिल की ज़ुबानी लिखना तेरे हाथों में है अब मेरे मुक़द्दर का वरक़ मेरी रातों में उजालों की रवानी लिखना कैसे जलते हैं मेरे होंठ तेरी फ़ुर्कत में मेरे होंठों पे कोई शाम सुहानी लिखना मैं महकती हुई आऊंगी किसी शाम ढले यह भी उम्मीद कभी रात की रानी लिखना हमने भी अहदे-मुहब्बत की क़सम खाई थी याद हो तुमको कोई बात पुरानी लिखना उम्र भर तेरी मुहब्बत का यक़ी  पाले रहूँ राहे-उल्फ़त में कोई ऐसी निशानी लिखना जिसको पढ़ते ही महक जायें फ़ज़ाएं *शाहरुख* बात कुछ ऐसी मेरे दोस्त सुहानी लिखना लेखिक परिचय :- नाम - शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी ...
पत्थर
कविता

पत्थर

========================== रचयिता : विनीता सिंह चौहान ज़माने ने जो पत्थर मारे, समेटकर कल्पनाओं में सजा लिया। दोस्तों मैं तो बेआसरा थी, उन पत्थरों से आशियाना बना लिया। ज़माने ने जो पत्थर मारे, जोड़कर हद ए दायरा बना लिया। अपनी तन्हाइयों व ज़माने के लिए, उन पत्थरों से दीवारें दरम्याना बना लिया। ज़माने ने जो पत्थर मारे, इकट्ठे कर करीने से जमा लिया। दिल ए इबादत व ख़ुदा के बीच, उन पत्थरों से पुल दरम्याना बना लिया। ज़माने ने जो पत्थर मारे, तराशकर उनसे मुज़स्समा बना लिया। श्रद्धा से मंदिर में उसे विराजा, भक्तों को मैंने पत्थरों का दीवाना बना दिया। लेखिका परिचय :-  नाम :- विनीता सिंह चौहान पति का नाम :- डॉ ए पी एस चौहान पिता का नाम :- जय कुमार सिंह माता का नाम :-  श्रीमती केतकी सिंह शैक्षणिक योग्यता :- एम.एससी. (प्राणीशास्त्र) , बी.एड. जन्मतिथि :- ०८/०२/१९७४ जन्मभूमि :- भिलाई (छत्तीसगढ़ ) ...
मर्म
कविता

मर्म

========================== रचयिता : भारत भूषण पाठक मृत्यु शय्या पर लेटी। है  करूणा की गाथा।। कहती वो मनुज-मनुज से। निर्मोही निर्मम से कर दो दया अब मुझपर। मेरे बहते इन अश्रुपर।। थी जब जीवन से पूरण। है मुझको वो सब स्मरण।। रहती थी घर में अपने। थे कितने मेरे सपने।। बिखर गए वो सपने। जैसे फँसता कोई है मधुकर। पीते हुए जब वो पुष्परस।। मृत्यु शय्या पर लेटी। है करूणा की गाथा।। कभी मैं थी मासूम सी गुड़िया। अपने बाबुल की चिड़िया।। रहती थी मस्त मलंग में। हो कर बाबुल के संग में।। है तुमने जब से तोड़ा। मेरा अस्तित्व झिंझोड़ा।। तब से प्राण विहीन में। कर दो दया अब मुझ पर। अब तो छिन्न-भिन्न में। मृत्यु शय्या पर लेटी। है करूणा की गाथा।। लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र :- आई.एस.डी., सरैयाहाट मे...
विराम
कविता

विराम

========================== रचयिता : संगीता केस्वानी सदियों पुरानी रीत है बदली, एक तरफा ये जीत है बदली, है विराम मेरी बेबसी का, है लगाम तेरी नाइंसाफी का,, न पर्दे से इनकार है, ना संस्कारो से तक़रार है, अब अपने फैसलों का मुझे भी अधिकार है, रौंद सके मेरे जीवन को तुझे अब न ये इख्तियार है,, अब ना अश्क-ऐ-आबशार होगा, ना हर पल डर का विचार होगा, सुखी -नुष्चिन्त हर परिवार होगा, मेरे भी हक़ में ये बयार होगा,, सायरा, गुलशन इशरत,आफरीन, आतिया का संघर्ष रंग लाया, मजबूरी से मज़बूती की जंग का सुखद परिणाम आया,, ना हूँ केवल वोट-बैंक या ज़ाती मिलकीयत, अब जाके पाई मैंने भी अपनी अहमियत,, तुम सरताज तो मैं शरीके-हयात, पाख ये रिश्ता-ऐ-निकाह ना होगा तल्ख तलाक से तबाह, न तलाक-ऐ-बिददत, ना तलाक-ऐ-मुग़लज़ाह, कर पायेगा इस रूह-ऐ-पाख का रिश्ता तबाह, सो मेरी जीत मैं तुम्हारी जीत, और तुम्हारी जीत में मेरी शान।। लेखिका परिच...
कटू सत्य
कविता

कटू सत्य

========================== रचयिता : संगीता केस्वानी पिता का घर "मायका", पति का घर "ससुराल", मेरा घर है कहाँ?, भाई का घर भाभी ने लिया, बेटे का घर बहू ने लिया, मैं हूँ कहाँ?, जीजा करे बहन से आनाकानी, बिटिया के यहाँ दामाद को परेशानी, मेरी अहमियत किसने पहचानी, मंदिर में पुजारी का डेरा, आश्रम में भी ना मिले बसेरा, कहने को सब अपने, पर कौन यहां मेरा?? ये कैसी विडंबना........ सृष्टि की सिर्जनकर्ता का अपना कोई स्थायी पता ही नही?????? लेखिका परिचय :- संगीता केस्वानी आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www....