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पद्य

निंदा शिकवा शिकायत
दोहा

निंदा शिकवा शिकायत

डॉ. बीना सिंह "रागी" दुर्ग छत्तीसगढ़ ******************** बुराई दूजे की ना करो जो मुझ में कछु अच्छाई ना होय निंदा पर निंदा क्यों करें जो जग में आप ही नींदीत होय देख-देख ईर्ष्या मन में धरे जो औरन की तरक्की होय धीर धरे जो मन में आपन आप हो आप उन्नति होय छोटे नीच लघु ना समझो जो तुमसे लघु होय मान आदर सभी का करें चाहे वह गुरु या लघु होय मनका मनका फेर कर दोष पराये की ना देखो कोय शिकायत की गठरी बना तुम काहे आपन सिर पर ढोय कहे बीना सुनो भाई लोगों जिंदगी चार दिनों की होय तोल मोलके बोलिए दिल में पीड़ा ना किसी की होय . परिचय :- डॉ. बीना सिंह "रागी" निवास : दुर्ग छत्तीसगढ़ कार्य : चिकित्सा रुचि : लेखन कथा लघु कथा गीत ग़ज़ल तात्कालिक परिस्थिति पर वार्ता चर्चा परिचर्चा लोगों से भाईचारा रखना सामाजिक कार्य में सहयोग देना वृद्धाश्रम अनाथ आश्रम में निशुल्क सेवा विकलां...
सूर्य
मुक्तक

सूर्य

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर म.प्र. ******************** हुई प्रकृति में उद्घोषित भोर! धीरे-धीरे बढ़ा धरा पर शोर! हुआ तिरोहित तम आया आलोक, सूरज की किरणें छाईं चहुँ ओर! धीरे-धीरे बीती रात! आख़िर तम ने खाई मात! फैली लाली चारों ओर, दिनकर लाया सुखद प्रभात! पूर्व में हो रहा है रवि उन्नत ! रश्मियों से हुआ तिमिर आहत! जागृत-प्रकाशित हैं जड़-चेतन, कर रहे हैं प्रभात का स्वागत! किरणों से संसार सजाया सूरज ने। अंधियारों को दूर भगाया सूरज ने। जीव धराशाई थे और अचेतन भी, महा जागरण गीत सुनाया सूरज ने। हो गई है यामिनी की हार तय! तिमिर का होने लगा है सतत् क्षय! प्राणियों में चेतना का शोर है, हो रहा है पूर्व में दिनकर उदय! कोई दीपक अगर चाहे तो दिनकर हो नहीं सकता! बड़ा हो ताल कितना भी समन्दर हो नहीं सकता! कुटी हो या गगनचुम्बी निकेतन या हवेली हो, बिना परिवार के कोई भवन घर हो नहीं सकता! नियमित भू पर आलोकित...
दहेज
कविता

दहेज

आस्था दीक्षित  कानपुर ******************** किसी का सेहरा सज रहा, किसी का चूड़ा जम रहा। किसी के घर बारात खड़ी, किसी की थी उम्मीदें बढ़ीं। किसी की ग़रीबी से जेब फटी, किसी नजरें पैसे में सटी। किसी ने दिल खोल जलील किया, किसी ने सिर झुका सब सह लिया। किसी की बदनामी है किसी की शान बढ़ीं, किसी की पगड़ी फिर किसी के जूतों में पड़ी। किसी का दिल फिर बेटी में उलझा रहा, किसी को बस दहेज दिखता रहा। किसी की दुनिया फिर बिक गयी, किसी की चौखटें फिर तन गयी। किसी के फिर अरमां कुचले, किसी और की जुबां के तले। किसी के लब्ज दूसरो को गढ़े, किसी की हसरतों के दाम बढ़े। किसी की सहनता ने आह भरी, किसी की लालसा फिर भी न डरी। किसी ने फिर अपनी जान गंवायी, किसी के जीवन के आड़े फिर दौलत आयी। . परिचय -  आस्था दीक्षित पिता - संजीव कुमार दीक्षित निवासी - कानपुर आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अप...
राह दिखाएगी
कविता

राह दिखाएगी

वीणा वैष्णव कांकरोली ******************** मेरी लेखनी हर जन ह्रदय, एक दिन छा जाएगी। जिंदगी कब तक, तू खुद को आईने से बचाएगी। अभी चूभ रही हूँ जिन्हें, नुकीले कांटों की तरह। उन घावों पर, सुकुं औषधि बन वो लेप लगाएगी। क्या हश्र होगा, जब हकीकत तेरी सामने आएगी। चेहरा नकाब हटा, वो हकीकत रुबरू कराएगी। तेज झंझावत से उजड़े है, बागबान ऐ गुलशन। कर इंतजार, पतझड़ बाद बसंत बहार आएगी। ठोकर लगेगी, जिन्होंने पांव अंजान राह बढ़ाया। पूछ कर जो चले, मंजिल उनके करीब आएगी। गुजरती जिंदगी, और तू रंगीनियों में भटकता रहा। तेरी हसरतें ही, तेरा एक दिन जज्बा आजमाएगी। सपने आंखों में बहुत, पर नींद तुझे नहीं आएगी। दर्दे आशिया बनाया, ख्वाब में रात गुजर जाएगी। मौत हकीकत जान, जिंदगी आसां बन जाएगी। बची है थोड़ी, वह तो अपनों संग गुजर जाएगी। कहे वीणा नेक राह, सफलता करीब लाएगी। महल नहीं घर बना, जिंदगी जन्नत बन जाएगी। . ...
आज फिर याद आये
गीत

आज फिर याद आये

संजय जैन मुंबई ******************** मेरे दिल मे बसे हो तुम, तो में कैसे तुम्हे भूले। उदासी के दिनों की तुम, मेरी हम दर्द थी तुम। इसलिए तो तुम मुझे, बहुत याद आते हो। मगर अब तुम मुझे, शायद भूल गए थे।। आज फिर से तुम्ही ने, निभा दी अपनी दोस्ती। इतने वर्षों के बाद, किया फिरसे तुम्ही याद। में शुक्रगुजार हूँ प्रभु का, जिन्होंने याद दिला दि तुमको। की तुम्हारा कोई दोस्त, आज फिर तकलीफ में है।। में कैसे भूल जाऊं, उन दिनों को में। नया-नया आया था, तुम्हारे इस शहर में। न कोई जान न पहचान, थी तुम्हारे इस शहर में। फिर भी तुमने मुझे, अपना बना लिया था।। मुझे समझाया था कि, दोस्ती कैसी होती है। एक इंसान दूसरे का, जब थाम लेता है हाथ। और उसके दुखो को, निस्वार्थ भावों से सदा। करता है उन्हें जो दूर, वही सच्चा दोस्त होता है।। . परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्...
रिश्ते
कविता

रिश्ते

राम प्यारा गौड़ वडा, नण्ड सोलन (हिमाचल प्रदेश) ******************** समाज की जड़ हैं रिश्ते, रसातल से गहरे है रिश्ते, गगन की ऊंचाई को छूते रिश्ते, हवा के झोंकों में तैरते रिश्ते, पुष्पों सी सुगंध बिखेरते रिश्ते, सलिल सदृश् प्यास बुझाते रिश्ते, स्नेह सिक्त एहसास कराते रिश्ते, मृदा से जोड़ते रिश्ते, प्रकृति की गोद में बसे रिश्ते,, इंसान को इंसान से जोड़ते रिश्ते, अलौकिकता का एहसास कराते रिश्ते, जीवन भर साथ देते रिश्ते, जीवन पर्यंत स्मरण होते रिश्ते, हमारी आन और शान हैं रिश्ते, हमारा गौरव हैं रिश्ते, विश्वास स्तंभ पर टिके हैं रिश्ते, व्यक्तित्व की पहचान हैं रिश्ते, श्रद्धा के पुंज हैं रिश्ते ....   परिचय :-  राम प्यारा गौड़ निवासी : गांव वडा, नण्ड तह. रामशहर जिला सोलन (सोलन हिमाचल प्रदेश) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित ...
आ पिला दे आंखों से
कविता

आ पिला दे आंखों से

दिलीप कुमार पोरवाल (दीप) जावरा म.प्र. ******************** आ पिला दे आज आंखों से इतनी दीप न नाम ले मयखाने का कभी हो जाए मदहोश पी के नजर का जाम हो जाए तो हो जाए यह बात आम नैन तेरे जैसे दो प्याले होठों पर है जो बात आज कह डाले जी रहे हैं तन्हाई में तेरी यादों के सहारे चूम लूं लबों को लेकर बाहों में अपने मन से जो तू मिल जाए जला दे प्यार का दीप प्यार का दीप कर दे जीवन में उजियारा हुई शाम तो तेरा ख्याल आया जुबां पे सिर्फ तेरा नाम आया आ पिला दे आज आंखों से इतनी दीप न ले नाम मयखाने का कभी . परिचय :- दिलीप कुमार पोरवाल “दीप” पिता :- श्री रामचन्द्र पोरवाल माता :- श्रीमती कमला पोरवाल निवासी :- जावरा म.प्र. जन्म एवं जन्म स्थान :- ०१.०३.१९६२ जावरा शिक्षा :- एम कॉम व्यवसाय :- भारत संचार निगम लिमिटेड आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा...
बचपन
कविता

बचपन

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** कुछ धुंधली सी याद है बचपन की कुछ टूटी हुई निशानियां, कुछ अनकही कहानियां, बेदर्द जिंदगी की यादों की लड़ियां। वह परियों का देश वह ख्वाबों की दुनियां वह सात समुंद्र पार राज कुमार की दुनियां। चंदा मामा को यह कहते सोना, कल सोने कि छोटी सी कटोरी गिरा देना। वो भोर सुबह में कटोरी ढूंढ ना ना मिलने पर उम्मीदों की चादर में तारे गिनना। ढूंढा करती है आंखे और मन अब भी वह पल छीन, वह मासूम सुबह और खुशनुमा दिन। ए जिंदगी ले चल मुझे वही बचपन में न रहे कोई कोई खौफ सफ़र में। . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमे...
दोस्त
कविता

दोस्त

डॉ. बी.के. दीक्षित इंदौर (म.प्र.) ******************** दोस्त हैं ज़िंदगी पर सभी तो नहीं। ढूँढ़ इक मित्र, जिसमें कमी तो नहीं? जो सभी के रहें, मत मानो उन्हें। दोस्त हैं ये नहीं, थोड़ा जानो इन्हें। जो हवा देख कर रुख़ बदला करें। वह किसी के नहीं, आप समझा करें। बात हर बात में, वो जो बदला करें। दोस्ती ये नहीं जी, क्यों सज़दा करें? यूँ तो दुनिया में होता, फ़क़त स्वार्थ है। हुआ और न होगा .... कोई निस्वार्थ है। महज़ पहिचान को, तुम दोस्ती मत कहो। जश्ने शिरक़त रहे, खुशक़िस्मती भर रहो। जो छुपाएं सभी कुछ, न बतायें कभी। मिलें वो सभी से .... न मिलायें कभी। महफ़िलों में बुलाकर ... तबज़्ज़ो न दें। है दोस्ती खूब गहरी, पर इज़्ज़त न दें। दोस्त दुश्मन में , जो फ़र्क़ जाने नहीं। बिजू दोस्त उनको, कभी माने नहीं।   परिचय :- डॉ. बी.के. दीक्षित (बिजू) आपका मूल निवास फ़र्रुख़ाबाद उ.प्र. है आपकी शिक्षा कानपुर में ग्रहण क...
कुछ आपको भी सुनाऊँ
कविता

कुछ आपको भी सुनाऊँ

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** लालसा है मन मे आपके दिल मे जगह बनाऊँ बातें है अपने मन की कुछ आपको भी सुनाऊँ। मुझे स्वीकार है अपनी त्रुटियां बुरा न मानना अगर आपकी भी गिनाऊँ। मैं आपसे अलग नही प्रतिबिंब हूँ आपका विश्वास नही होता क्या आईना दिखाऊँ हमारे बीच ये दूरियां क्यो नज़दीक आने में डर सा क्यो दर्जे तो हमारे बनाये हुए है क्या समय का पहिया घुमाऊँ कुछ आपको भी सुनाऊँ कुछ आपको भी सुनाऊँ . परिचय :- नाम : धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आद...
उनसे जब टकराई आँखें
ग़ज़ल

उनसे जब टकराई आँखें

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** उनसे जब टकराई आँखें। तब कितनी घबराई आँखें। देखे उनके आँसू थोड़े, अपनी भी डबराई आँखें। दुःख के लम्हों में लगती है, हो जैसे पथराई आँखें। थाह नहीं मिल पाया इनका, सागर सी गहराई आँखे। भीतर कितना हाल छुपाये, रहती जग बिसराई आँखें। पाकर सब कुछ खोया उसने, जिसने ख़ूब चुराई आँखें। . परिचय :- नाम - नवीन माथुर पंचोली निवास - अमझेरा धार मप्र सम्प्रति - शिक्षक प्रकाशन - देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन। तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान - साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.c...
तुम चांद में नजर आए
कविता

तुम चांद में नजर आए

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा बेगम बाग (मेरठ) ********************** तुम मुझे चांद में नजर आए मेरे जज्बात में नजर आए तेरे मेरे दरमियां हुई जो मुलाकातें हर मुलाकात में नजदीकियां नजर आए जब भी मेरे तुम नजदीक आए मैंने हर लम्हा अपने आप से चुराए धड़कन ए रफ्तार पकड़ लेती है तुम्हारे छूने से तुम्हारा हाथ लगते ही तुम मुझ में समाते नजर आए कशिश है जो तेरी आंखों में तेरी बातों में तेरी उन आंखों में डूबती नजर आई तू मुझे चांद में नजर आए मेरे जज्बात में नजर आए।। . परिचय :-  सुरेखा "सुनील "दत्त शर्मा जन्मतिथि : ३१ अगस्त जन्म स्थान : मथुरा निवासी : बेगम बाग मेरठ साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :- पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्...
देश प्रेम दिवस
कविता

देश प्रेम दिवस

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** आधुनिकता की होड़ में। वैलेंटाइन डे .........नहीं। देश प्रेम दिवस मनाएंगे। आज के दिन देश की खातिर। जिन शहीदों को हुई फांसी। उन्हीं देशभक्त भगत सिंह-राजगुरु- सुखदेव की याद में देश प्रेम दिवस मनाएंगे। आधुनिकता की होड़ में , वैलेंटाइन डे .........नहीं। देश प्रेम दिवस मनाएंगे। आज के दिन...... देश की खातिर। पुलवामा में ... जो शहीद हुए। उन शहीदों की शहीदी पर। नतमस्तक हो जाएंगे। वैलेंटाइन डे ........नहीं। देश प्रेम दिवस मनाएंगे। मत खोने दो मूल्य प्रेम का। प्रेम को एक दिन में, नहीं समा पाओगे....? यह तो अनंत..... हर दिन का आधार है। हम हर दिन को, मूल्यवान बनाएंगे। आधुनिकता की होड़ में , वैलेंटाइन डे ..........नहीं। देश प्रेम दिवस मनाएंगे।। . परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं,...
प्रेम
कविता

प्रेम

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** प्रेम से भरी चान्दिनी रात प्रेमान्जली सी ओश की बुंदे प्रेमहरित दरख्त के पत्ते प्रेम व्यार की मदहोशी प्रेम सुधा से भरी ये नदियाँ प्रेम कुसुम हर डाल खिले प्रेम गीत पंछी की गुंजन प्रेम रंग सा इन्द्रधनुष प्रेम एक है ऐसा भी प्रेम जो तेरा मुझसे है प्रेम प्रभा से चमकीला प्रेमान्जली से निर्मल प्रेम हरित से हरा है जो प्रेम व्यार से स्वच्छ है वो प्रेम सुधा से ज्यादा अमृत प्रेम कुसुम से ज्यादा कोमल प्रेम गीत से मीठा ज्यादा प्रेम रंग से रंगीला है प्रेम जिसका कोई नाम नही प्रेम अनोखा तेरा मेरा प्रेम दिवस के इस प्रेम भरे उत्सव में प्रेमोपाशक मैं कंचन प्रेम हृदय अपने विकास को प्रेमोपहार यह अपनी प्रेम कविता सौहार्द्र्पूर्ण प्रेम भेंट करती हूँ . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hind...
घने कोहरे
कविता

घने कोहरे

ओमप्रकाश सिंह चंपारण (बिहार) ******************** घने कोहरे की बीरानंगी में- छिपी दुबकी जिन्दगी । सूर्य की प्रखर किरणों की ताप से- उल्लसित, सुवासित, मुखरित हो उठी है। विद्यालय में आज में देखता हूं- छात्र-छात्राओं की संख्या में बेतहासा- बृद्धि समृद्धि सी हो गयी है। खिले धूप में ही पढ़न-पढ़ान कार्य आरंभ हो गई है नामांकन से उत्साहित- छात्र-छात्राएं एक नई जीवन की- उम्मीद बाद एक नई स्फूर्ति के साथ। नए वर्ग में मां सरस्वती की आराधना में- अपने आप को संलग्न जिंदगी की ओर स्नेह और करुणामई याचना से- ओत-प्रोत मां की कर कमलों में समर्पित। अर्पित कर रही है अपनी सब कुछ ..... . परिचय :-  ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा) ग्राम - गंगापीपर जिला -पूर्वी चंपारण (बिहार) सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...
प्रेमदिवस विशेष
कविता

प्रेमदिवस विशेष

सरिता कटियार लखनऊ उत्तर प्रदेश ******************** तू प्यार है हमारा इकरार कर लिया है तेरे इश्क के ही रंग में मैने खुद को रंग लिया है अब ज़िन्दगी का मेरी तू ही बने पिया है ये सपना मैंने तुझसे साकार कर लिया है जज़्बात ए मोहब्बत का इज़हार कर दिया है दुनिया के सारे रिश्तों से तकरार कर लिया है लाइलाज है बीमारी पर बीमार कर लिया अब दवा या तू ज़हर दे स्वीकार कर लिया है अपनाये या तू मेटे ग़म ए दर्द सर लिया है मैनें तो अपना जीवन बर्बाद कर लिया है उलफ़त में दिल बेकाबू कर कर तड़प लिया है सकते ना कर कभी हम वो गुनाह कर लिया है ये जानती न सरिता क्या इसने कर लिया है राहे इश्क़ में ही खुदको रुसवा कर लिया है . परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपन...
शिव स्तुति
छंद, दोहा

शिव स्तुति

अर्चना अनुपम जबलपुर मध्यप्रदेश ******************** संग गौरीश, गंग धर शीश। शिवा के रंग, पान कर भंग।। मनोहर रूप, अखिल के भूप। कंठ धर नाग, वरे वैराग।। काम के काल, वस्त्र सिंह खाल। गरल रस प्रीत, हरि के मीत।। भस्म श्रृंगार, क्रोध विकराल। चंद्रमा भाल, प्रभु महाकाल।। जयति अवनीश, राम के ईश। नमित दशशीश, एव सुरजीत।। नाश कर दंभ, नृत्य बहुरंग। मगन नित योग, भेष जिम जोग।। छंद- भव-स्वामी नमामि हे नाथ प्रभो। अविकार विकार सदा ही हरो।। जड़ बुद्धि जो बैरी रिपु सी लगे। निर्वाण मिले संताप मिटे ।। त्यज भूधर को हिय आन बसो। तुम कोटिक सूर प्रकाश प्रभो।। तम को जिम मन अज्ञान रुँधे। अलोक जिमि हिरदय मा शुभे।। बड़वार बतावत भूल भगत। अभिमान के दंश सराबर हो।। तब क्षीर से नीर को थोथा करे। तुम ऐंसे ही दिव्व मराल प्रभो।। . परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम साहित्यिक उपनाम - अर्चना अनुपम जन्म - २१/१०/१९८७ मूल...
दर्द लिखती हूं
कविता

दर्द लिखती हूं

मनीषा व्यास इंदौर म.प्र. ******************** दर्द लिखती हूं, मनन करती हूं। दुआ मिलती रहे, ऐसी इबादत करती हूं। शब्द गढ़ती हूं, भाव पढ़ती हूं। मन कांच सा हो पारदर्शी, ईश्वर से विनती, करती हूं। बैर हो न किसी का किसी से। आत्म विश्वास इतना संजो दे, प्रभु से यही प्रार्थना करती हूं।   परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान एवं विधालय पत्रिकाओं की सम्पादकीय और संशोधन कार्य  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के ...
चाँद खामोश है
कविता

चाँद खामोश है

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** चाँद खामोश है चांदनी उदास है यादों को तरसती हर सांस को किसी आहट का इंतज़ार है लम्हों को थामकर जो चिराग रोशन किये उस रोशनी को किसी मुलाकात का इन्तज़ार है रात की तनहाइयों में फ़िज़ा भी उदास है भीगी पलकों से बहते सैलाब को सुहाने ख्वाबों का इन्तज़ार है अरमानों की राह पर जिस मोड़ पर ठहर गए उस मोड़ पर किसी हमसफर का इंतज़ार है . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान सहित ४७ सम्मान पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित अध्यक्ष रंजन कलश, इंदौर  पूर्व उपाध्यक्ष वामा साहित्य मंच, इंदौर ...
ना जाने क्यों ?
कविता

ना जाने क्यों ?

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी उदयपुर (राजस्थान) ****************** ना जाने क्यों? धरती का अक्ष मेरे घर को कुछ डिग्री झुका देता है। ना जाने क्यों? मेरे हिस्से का चाँद किसी और की छत से दिखाई देता है। ना जाने क्यों? सातों घोड़े सूरज के मेरे निवास की खिड़की में हिनहिनाते नहीं। ना जाने क्यों? ब्रह्मांड के चेहरे की झुर्रियां मेरे मकां की नींव को कंपकंपाने लगती हैं। ना जाने क्यों? अनगिनत सितारों की अपरिमित ऊर्जा मेरे छप्पर पर बिजली बन कर गिरती है। ना जाने क्यों? अनन्तता में स्थित तिमिर मेरे गृह-प्रकाश को लील लेता है। ना जाने क्यों फिर भी! मानस में जलता उम्मीद का दीपक मेरे घरौंदे में इक लौ पैदा कर देता है। ना जाने क्यों... सब-कुछ मिलकर भी यह दीपक बुझा नहीं पाए..... . परिचय :-  नाम : डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी शिक्षा : पीएच.डी. (कंप्यूटर विज्ञान) सम्प्रति : सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान) साहीत्...
नाम की चाह नहीं मुझे
कविता

नाम की चाह नहीं मुझे

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** नाम नहीं बस वह अनुभव चाहता हूँ जिससे नाम बनाई जाती है यहाँ सीखता रहूँ बस मात्र ये आशीर्वाद चाहता हूँ वो महाविद्या चाहता हूँ मैं जो मुर्दों में भी प्राण फूँक जाए वो विलक्षण शक्ति परमात्मा की वह असली भक्ति चाहता हूँ मैं जो निर्जीव में भी प्राण ढूँढ ले बस वही जादूगरी सीख लेना चाहता हूँ मैं सम्मान अपमान का ध्यान नहीं मुझ को बस केवल बस इस छोटी उम्र में ही सब सीख लेना चाहता हूँ मैं . परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है...
मेरी इबादत
कविता

मेरी इबादत

रुचिता नीमा इंदौर म.प्र. ******************** आज भी तेरे दिल में अगर सबके लिये मुहब्बत है जो छलकते है किसी के दर्द में तेरे आँसू, तो यही इबादत है जरूरत नही तुझे कहि जाकर सजदा करने की तेरा दिल ही मंदिर, मस्जिद और चर्च की इमारत है मत घबरा इन धर्मों के दिखावों से, झूठे आडम्बरो से, बड़े बड़े तीर्थों और दिखावे के अनुष्ठानों से, अगर तेरा मन साफ है, तो यही सबसे बड़ा धर्म और सबसे पवित्र तेरी काया है.... मिलता नहीं है खुदा कभी, किसी को सताने से, किसी को नीचा दिखाने से अगर वो मिलता है, तो सबको अपनाने से सबमें उसकी झलक पाने से इतिहास गवाह है, कहि भी देख लो राम, कृष्ण, बुध्द, महावीर, नानक हो या क्राइस्ट इन सबने भी यही समझाया है, कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म और प्रेम ही परमात्मा की प्रतिछाया है.... . परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी ...
बाल विवाह
कविता

बाल विवाह

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** बाल विवाह करना अब तो बन्द करो जल्दी विवाह को रोकने का प्रबंध करो नादान कली को पूर्ण रूप से खिलने दो शिक्षा में ऊँचा अस्तित्व उन्हे मिलने दो सही उम्र पर विवाह का प्रबंध करो बाल विवाह करना अब तो बन्द करो बच्चों के बचपन को ना छीनो तुम मत अन्धविश्वास का ताना बाना बीनो तुम जन जन को जागरूकता का प्रबंध करो बाल विवाह करना अब तो बन्द करो जल्दी विवाह को रोकने का प्रबंध करो . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहान...
सानंद
दोहा

सानंद

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’ जौनपुर (उ.प्र.) ******************** लगे पूछने आजकल हमसे सारे लोग रहते क्यों ख़ामोश हो छुआ कौन सा रोग हर चौराहे पर दिखे दिल में घुसता तीर प्रेम हुआ मृग जल हरण होत नित चीर भोगवाद में देश का ऐसा पसरा पाँव हँसते लोग शरीफ़ पे कहीं न मिलता ठांव गुमराहों के हाथ में हो गया तीर कमान मुश्किल में दोनो पड़े मज़हब और ईमान अवगुण भी गुण होत है मिले राह में संत दुर्जन से दूरी रखो देगा कष्ट अनंत परजीवी बन देखिए है कितना आनंद पोषण लेहु समाज से स्वस्थ रहो सानंद . परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’ निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्तकें प्रकाशित, ११ काव्य संग्रह सम्पादित, अध्यक्ष साहित्यिक संस्था जौनपुर ...
हमारे विवाहोत्सव
कविता

हमारे विवाहोत्सव

मंजुला भूतड़ा इंदौर म.प्र. ******************** जीवन भर के इस उत्सव को, आओ हम समृद्ध बनाएं। दिखावे के पर्याय बने जो, ऐसे विवाह पर रोक लगाएं। बनें किसी जरूरतमंद के मददगार, नि:सहाय के लिए खोलें शिक्षा द्वार। यूं पवित्र बंधन बने यादगार, जरूरी तो नहीं है वैभव प्रचार। स्वागत में हो आत्मीयता, नहीं केवल औपचारिकता। अतिथि भी जब हों समुचित, तभी दे पाते सम्मान उचित। बड़ी बारातें, सड़क पर व्यवधान, राहगीरों का नहीं है ध्यान। बोझिल-सा यदि हो आभास, फिर कैसा उत्सव ये खास। छोड़ें अनावश्यक रूढ़ी-रिवाज, हम ही तो करेंगे बदलाव आज़। समयानुसार परिवर्तन होगा, तभी तो समाज सुधरेगा। सच, पाणिग्रहण की पवित्रता को रुढियों दिखावों में मत जकडो़। जितना हो अति आवश्यक, वही करो, नई राह पकड़ो। परिचय :-  नाम : मंजुला भूतड़ा जन्म : २२ जुलाई शिक्षा : कला स्नातक कार्यक्षेत्र : लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता रचना कर्म ...