होली खेलूं कैसे
श्रीमती शोभारानी तिवारी
इंदौर म.प्र.
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तुम बिन मांग सूनीहुई,
सूना दिन सूनी रात,
आंखें गंगा जमुना बहती,
बुझ गई सारी मन की आस,
रंगीन दुनिया बेरंग हुई,
अपने मन को बहलाऊँं कैसे?
किसे रंग लगाऊँ सजनवा?
बताओ होली खेलूं कैसे?
कहा था होली पर आऊंगा,
सब के लिए कुछ ना कुछ ना, लाऊंगा,
मुन्नी के लिए गुड़िया,
तुम्हारे लिए चूड़ियां लाऊंगा,
आए तो तीन रंग में लिपटे,
मन को ढांढस बंधाऊँ कैसे?
मैं होली खेलूं कैसे?
पापा तो जैसे पत्थर हो गए,
शून्य में देखा करते हैं,
उदासी चेहरे पर छाई,
मुंह से कुछ ना कहते हैं,
गर्व है शहादत पर उनके,
पर दिल को समझाऊं कैसे?
मैं होली खेलूँ कैसे?
मैं होली खेलूँ कैसे....?
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परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी
पति - श्री ओम प्रकाश तिवारी
जन्मदिन - ३०/०६/१९५७
जन्मस्थान - बिलासपुर छत्तीसगढ़
शिक्षा - एम.ए समाजश शास्त्र, बी टी आई.
व्यवसाय - शासकीय शिक्षक सन् १९७७ ...