एक दिन वो मुस्कायेगी
निर्मल कुमार पीरिया
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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हाँ! हूँ जानता मैं की,
वो फिर से मुस्कायेगी,
खिल उठेंगे, अधर कमल,
नेह के सुर सजाएँगी.
तब वो फिर मुस्कायेगी...
अलसाई - सी भोर में,
रश्मि चुनर लहरायेगी,
तज खुमार, जलज खिले,
वात अतर बिखरायेगी.
तब वो फिर मुस्कायेगी...
भृमर टटोले कुसुमरज,
तित्तरी रँग उड़ाएगी,
कोकिल कुहू के लता लता,
पिहू पिहू राग सुनायेगी.
तब वो फिर मुस्कायेगी...
गोधूली रज से भीगी संझा,
जब चितचोर सँग निहारेगी,
निशि पिछौरी तब उर्वी ओढ़े
मन ही मन जब लजाएँगी.
तब वो फिर मुस्कायेगी...
उजयारी में ताके, पी जब,
जा वलय बंध समाएगी,
हिय में उठे हिलोरें जब,
नयन कमल कुम्हलायेगी.
हाँ! तब तो वो मुस्कायेगी...
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परिचय :- निर्मल कुमार पीरिया
शिक्षा : बी.एस. एम्.ए
सम्प्रति : मैनेजर कमर्शियल व्हीकल लि.
निवासी : इंदौर, (म.प्र.)
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित औ...