जिंदगी का सफर
रुचिता नीमा
इंदौर म.प्र.
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अगर जिंदगी है तो मुश्किलें आती रहेंगी,
अगर आगे बढ़ना है तो मुश्किलें आती रहेंगी...
जैसे नदियां बहती जाती है, पर्वतों को काटकर,
जैसे सूरज निकलता है रोज, अंधेरे को मिटाकर।।
जैसे चंदा बढ़ता पूनम को, अमावस को पारकर,
वैसे ही मन्ज़िल को पाना है, तो मुश्किलों को हराकर।।
हार कर यूं बैठ जाना किसी समस्या का हल नहीं,
ऐसे मुश्किलों से घबराना, जिंदगी का मक़सद नही।।
थककर बैठने वालों को मंजिल कहा मिलती है,
और कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती है।।
अगर जिंदगी है तो मुश्किलें तो आती ही रहेंगी,
तू मुश्किलों का सामना कर,
और कर्म पथ पर बढ़ता चल, बढ़ता चल।।
परिचय :- रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी...





















