होली पर चौपाई
धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
बालोद (छत्तीसगढ़)
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हिरण्यकश्यप पापी राजा, काम क्रोध का मृदंग बाजा।
विष्णु भक्त घर में अवतारी, दिये जन्म कयाधु महतारी।।
प्रहलादा मारे किलकारी, किया नरेश जब अत्याचारी।
मंत्र जाप सुन नहीं सुहाया, पापी होलिका को बुलाया।।
बहन यंत्र जल्द सीख पाया, भैया का कह मान बढ़ाया।
मिली होलिका को वरदाना, आग दहन से जल ना पाना।।
राजा का आज्ञा वो पायी, जलती ज्वाला में बैठायी।
असुरी भक्तिन स्वाहा होई, अजर अमर पुत्र श्री हरि कोई।।
नाम प्रहलाद संतति पाया, ब्रह्म ज्ञान से मन हर्षाया।
सत्य धर्म पथ जो चल पाया, विष्णु भक्त विजयी हो आया।।
आत्म शुद्धि का पर्व मनाया, शक्ति भक्ति से भाव जगाया।
मन पवित्र तब हो बढ़ पाया, परब सफलता गुण सिखलाया।।
मिलजुल कर उत्सव मनाया, प्रेम रंग सब जन को भाया।
रंग भरो मारो पिचकारी, भींगे चाहे गोरी कारी।।
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