हर्जाने हैं
आशीष तिवारी "निर्मल"
रीवा मध्यप्रदेश
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हमने भी सुनें
लाखों अफसाने हैं
हुस्न वालों के यहां
हजारों दीवाने हैं।
हराम की कमाई में
कोई सरचार्ज नहीं
ईमान की कमाई पे
लाखों जुर्माने हैं।
राह चलते बहन
बेटियां सुरक्षित नही
खुलवा रहे थाने की
बजाय मयखाने हैं।
रुलाने को आतुर
दिखता है हर कोई
हंसने, हंसाने की
खताओं में हर्जाने हैं।
साला बना है उनका
मंत्री जी का खास
अब झूठे मुकदमें
थानेदार पे चलवाने हैं।
जनता ने चुना पर
जनता की नहीं सुनते
ऐसे नेताओं को
डंडे मार भगाने हैं।
कैसे अपने दिल का
हाल सुनाओगे तुम
अपनों से ज्यादा तो
दिखते यहां बेगाने हैं।
परिचय :- आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ...