हर मुश्किल से हाथ मिलाता है पिता
गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी"
बमोरी, गुना (मध्यप्रदेश)
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भुला जमाने भर के ज़ख्म मुस्काता है पिता
खुद के लिए कब कुछ यहां बनाता है पिता
रह न जाये ख्बाब अधूरे पूरा करने के लिए
देखो हर मुश्किल से हाथ मिलाता है पिता
लगाना न इल्जाम निस्वार्थ त्याग पर उसके
दाना-दाना घर-परिवार हित कमाता है पिता
भीड़ भरी दुनियां में जाए न भटक संतति
कदम -कदम हरपल खुद को जगाता है पिता
मचलता कहां मन नित नये शौक के लिए
जरूरतों की खातिर हस-हस मिटाता है पिता
लादे हुए है बोझ बेसुमार जबाबदेहियों का
भाई--मित्र--पुत्र-पति भी कहलाता है पिता
मान लूं भगवान भी तो मान कम पड़ जायेगा
"गोविमी" बन बरगद शीतल इठलाता है पिता
परिचय :- गोविन्द सरावत मीणा "गोविमी"
निवासी : बमोरी जिला- गुना (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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