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यात्रा वृतांत

मेरी पहली पदयात्रा
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मेरी पहली पदयात्रा

आयुषी दाधीच भीलवाड़ा (राजस्थान) ******************** आज तो पुरे परिवार का शाम का भोजन मौसी के घर पर था। सभी एकत्रित हुए मिल-जुल कर भोजन किया और हम सब बाते करने लगे तभी अचानक मेरी माँ ने कहा कि गढ़बोर चारभुजा की पैदल यात्रा करनी है, तो वहा चले क्या तो सभी ने एक बार तो हाँ कर दी। सभी यात्रा की योजना बनाने लगे कि सुबह कितनी बजे निकलना है कैसे क्या करना है, यहाँ से कितना दूर है। सब कुछ जैसे ही तय हुआ की एक-एक करके ना जाने के कुछ बहाने बनाने लगे। ये सब कुछ दो घण्टे तक ऐसे ही चलता रहा कोई चलने के लिए हाँ करता तो कोई ना करता, समय बितता गया और वापस सभी अपने घर जाने लगे। सभी ने एक दूसरे को शुभ रात्रि कहा और तभी मेरी भाभी ने कहा कि आपके भैया ने हाँ कर दी तो मै चलने के लिए तैयार हूँ, फिर कुल मिलाकर हम पाँच ने हाँ की जाने के लिए। घर पर आए तब तक रात के दस बज गये थे, फिर थोड़ी देर बाद हमने जो व्हा...
आते जाते खू़बसूरत
यात्रा वृतांत

आते जाते खू़बसूरत

राजेश गुप्ता तिबड़ी रोड, गुरदासपुर ********************                दिल्ली एक उस शरारती बच्चे-सी है जो कभी चैन से न बैठता है और न ही किसी को बैठने देता है। दिल्ली अपने वेग से ही चलती है और अपने वेग से ही उठती है, बैठती है, न कोई इसे थाम सका है और न ही कोई शायद इसे थाम सकेगा। यह विचित्र-बहाव से बहने वाली नदी की तरह है जिस तरह एक चँचल बच्चा जिस के पास ऊर्जा का असीम भंडार होता है जिस से वह उत्प्रेरक होता है। उसी प्रकार दिल्ली भी असीम ऊर्जावान है उसके पास भी असीम कार्य करने की, दौड़ने-भागने की क्षमता है। वहां के दिन-रात एक ही जैसे हैं, हालाँकि रात को वह कुछ शांत होती है परन्तु रुकती याँ थमती वह तब भी नहीं है, यह उसकी विशेषता है। मैं अपनी पत्‍‌नी के साथ लगभग रात दस बजे के आस-पास घर से निकला क्योंकि मुझे ग्यारह बजे की गाड़ी पकड़नी थी। मैं और मेरी पत्‍‌नी कैब में आपस में आनन्दपूर्वक बातें कर...
अपना अपना देश प्रेम
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अपना अपना देश प्रेम

बाबुलाल सोलंकी रूपावटी खुर्द जालोर (राजस्थान) ******************** गांव से अहमदबाद जा रहा हूं। मेहसाणा बस डिपो पर दस मिनिट के लिए बस रुकी है। थोड़ी आरामदेही के लिए डिपो के चौड़े आंगन से टहलता हुआ हाइवे तक पहुँचा। कोई १०-१२ साल का एक लड़का और फटे-पुराने कपड़ो से लदी उसकी माँ तिरंगी टोपी व तिरंगा झंडा लिए जोर जोर से चिल्ला रहे थे .....तिरंगा लेलो .......झंडा लेलो.......! देश प्रेम नी एकज ओळखान.......(आगे की पंक्तिया समझ नही आई)......! हाइवे पर सरपट दौड़ती मारुति आल्टो ८०० से बी एम् डब्लू जैसी कारो वाले देश भक्त लोग भी है तो साइकिल से लेकर रॉयलफील्ड व महंगी स्पोर्ट्स बाइको पर सवार लोग भी है। कोई ईधर नजर घूमाता कोई न भी। कोई महँगी कारो की ए.सी. से हल्का सा ग्लास नीचे कर पूछता - अल्या केटला पइसा ? सेठ...ए....क....ना दस रुपिया, बीस रुपया ! देशप्रेम महंगा हो गया, ग्लास ऊंचा हो जाता और गाड़ी रवाना ! ल...
जम्मू उधमपुर
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जम्मू उधमपुर

केशी गुप्ता (दिल्ली) ********************* कुदरत बेहद ही खुबसुरत है , मगर उसकी खुबसूरती को बनाए रखना मानव पर निर्भर करता है . जम्मू उधमपुर शहर हमारे भारत का हिस्सा है . पहाड़ों की नगरी . जम्मू का नाम सदैव कश्मीर घाटी से जोड़ा जाता है , जिसे कभी धरती का स्वर्ग माना जाता था मगर बटवारे के बाद से राजनैतिक लिए गए फैसलों ने कश्मीर मुद्दे को कभी खत्म होने नही दिया .देखते देखते धरती का स्वर्ग उजड़ता चला गया . हर वक्त खौफ के साय में ऱहती आवाम की हालात किसी से छूपी नही है , जिसका असर जम्मू , उधमपुर में देखने को भी मिलता है . हर गली चौहारे पे फौजी दिखाई देते है. अभी हाल ही में भांजे की शादि में उधमपुर जाना हुआ क्योंकि हमारे पूर्वज कौटली , मीरपूर से है तो हमारी बिरादरी के बहुत से लोग जम्मू , उधमपुर शहर में बसते है . दिल्ली से जम्मू हम अपनी कार में ही गए . हाई वे का रास्ता अच्छा है , किसी तरह की कोई प...