Sunday, December 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

कथा

अपने विवेक का इस्तेमाल करें
कथा

अपने विवेक का इस्तेमाल करें

अतुल भगत्या तम्बोली सनावद (मध्य प्रदेश) ******************** राधा बहुत ही सुशील एवं गुणवान कन्या थी जब वह रघुवीर जी के घर उनके छोटे बेटे की वधु बनकर आई थी। लोग उसकी तारीफ करते ना थकते थे। कोई उससे गुणवंती कहता तो कोई सुकन्या। दोनों बहुओं की तुलना होने लगती कि जैसी बड़ी बहू है वैसी ही छोटी भी। हर कोई रघुवीर जी को यही कहता कि उन्हें जो बहुएँ मिली है लाखो में एक है। ऐसी बहुएँ तो सिर्फ किस्मत वालों को मिलती है। बड़ी बहू के चाल चलन व व्यवहार देखकर राधा भी हर व्यक्ति का बराबर सम्मान करती थी चाहे उसके परिवार के हो या कोई अनजान व्यक्ति। दोनों के पति भी बिल्कुल उन्हीं की तरह थे। ऐसा लगता था मानो दोनों के उनकी पत्नियों से पूरे छत्तीस के छत्तीस गुण मिलते हो। अनगिनत संपत्ति खेत-खलियान, धन-दौलत सबकुछ होने के बावजूद वह कभी किसी से गलत व्यवहार या हीन भावना नही रखता था। अहंकार उससे कोसों ...
पुतला
कथा

पुतला

विश्वनाथ शिरढोणकर इंदौर म.प्र. ****************** मुग़ल बादशाह औरंगजेब को जिसने नाकों चने चबाएं, जिसने हिन्दवी स्वराज्य की नीव रखी, ऐसे राष्ट्रभूषण और महाराष्ट्र में घर घर पूजे जाने वाले, छत्रपति श्री शिवाजी महाराज का यहाँ इस शहर में इस चौराहे पर काले घोड़े पर विराजमान सुन्दर ऐसा मनमोहक बड़ा सा पुतला गर्व के साथ आने जाने वालों का बरबस ही अपनी ओर ध्यान आकर्षित कर लेता हैं। घोडा भी दो पावों को ऊपर कर, गर्दन ऊंची कर, मानों युद्ध में जाने के लिए तैयार हो इसी अंदाज में अकड के साथ खडा है। चौराहे के बायीं ओर थोडा ऊपर की ओर चढ़ने के बाद हनुमानजी का मंदिर हैं, और थोडा आगे जाने के बाद मेरा ऑफिस था। एकदम बायीं ओर मुड़ते ही कुछ झोपड़ियाँ थी। अब मेरा ऑफिस में जाने का रोज का यहीं रस्ता था। मैं भी क्या कर सकता था? रोज मुझे छत्रपति श्री शिवाजी महाराज और बजरंगबली के दर्शन अनायास हो ही जाते थे। हाल ही में मेरा तब...
संकल्प
कथा

संकल्प

मंजिरी पुणताम्बेकर बडौदा (गुजरात) ********************                               वीणा शहर के नामी विद्यालय की अध्यापिका थी। उसे अपने विद्यार्थियों को शहर के वृद्धाश्रम में ले जाना था। विद्यालय की महानिर्देशिका ने उसे बच्चों को लेके जाने से पहले वृद्धाश्रम जाकर मुआयना कर आने का निर्देश दिया। वहाँ पहुँच कर वीणा वृद्धाश्रम की मैनेजर श्रीमती सुशीला जी से मिली। सुशीला जी से विद्यार्थियों को लाने की बात कर ही रही थी तभी दरवाजे पर लाल रंग की ब्रीजा में से एक स्त्री की आवाज सुनाई दी जो चौकीदार से जल्दी दरवाजा खोलने को कह रही थी। देखते ही देखते वह गाड़ी उन दोनों के सामने आ खड़ी हुई। उसमें से एक दंपत्ति और एक बूढ़ी स्त्री उतरी। वो जरूर उस लड़के की माँ थी। उन्हें देख सुशीला ने वीणा से कहा ये एक आम नजारा है यहाँ का। अपने ही अपनों को छोड़ जाते हैं। आप यहीं रुकिए में थोड़ी देर में आई। वीणा ने देखा कि ल...