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गद्य

अनाथों की मोक्षदात्री
लघुकथा

अनाथों की मोक्षदात्री

माधवी तारे लंदन ******************** बंद कमरे की खिड़की की मद्धम रोशनी में बैठकर मैं उस ठंडी शाम को ऊर्जा और प्रेरणा से ओतप्रोत थी। विश्वमांगल्य नाम की एक पत्रिका मेरे हाथ में थी और उसमें मैं एक अतिविलक्षण महिला डॉ. भाग्यश्री के बारे में पढ़ रही थी जिसने एक अलग ही तरीके से अपने जीवन को सार्थक किया है। वैसे तो स्त्री शक्ति ने अपनी ताकत का और सफलता का परचम आज चूल्हे-चौके का दायरे सहित आसमान तक फहराया है। तभी तो घर ही क्या सारी दुनिया कहती है कि तुलसी बिना आंगन सूना वैसे स्त्री बिना घर सूना। आज तक एक ही क्षेत्र स्त्री के लिये कोमलांगी, भावनाशील, समझकर अछूता रखा गया था वह स्थान है श्मशान। वैसे आज वहां भी स्त्रियां जाती हैं। लेकिन इंदौर की इस प्रतिभाशाली महिला ने तो अपना कार्यक्षेत्र ऐसी जगह को बनाया है जहां सामान्य लोग जाने का विचार भी नहीं करते. इस प्रेरणास्पद नायिका का विवाह एक चतुर्थ श...
मानवीय संवेदना व प्रकृति के बेहद करीब है काव्य कृति ‘साक्षी’
पुस्तक समीक्षा

मानवीय संवेदना व प्रकृति के बेहद करीब है काव्य कृति ‘साक्षी’

पुस्तक समीक्षा पुस्तक का नाम - साक्षी (मेरी लेखनी से) समीक्षक - आशीष तिवारी निर्मल रचनाकार - साक्षी जैन संस्करण - प्रथम पुस्तक कीमत - १९९ रुपए प्रकाशक - जे.एस.एम पब्लिकेशन आगरा।) पिछले दिनों भोपाल में आयोजित एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में जाना हुआ काव्य पाठ व सम्मान के अतिरिक्त कालापीपल जिला शाजापुर मध्य प्रदेश निवासी कवयित्री व शिक्षिका श्रीमती साक्षी जैन द्वारा काव्य संग्रह साक्षी (मेरी लेखनी से) प्राप्त हुई। काव्य संग्रह का कवर बेहद आकर्षक है जिसमें कवयित्री के आराध्य देव कान्हा जी की तस्वीर व उनके चरणों की सेविका स्वयं साक्षी जैन की तस्वीर लगी है। काव्य संग्रह में कुल ६३ रचनाएं प्रकाशित हैं। सुघड़ साहित्यकार साक्षी जैन द्वारा विरचित कविताओं में संवेदनशीलता का विस्तार है कवयित्री ने अपने लेखन के माध्यम से मानव समाज व प्रकृति के हर पहलू पर बखूबी लिखा है। जिसमें कान्हा के प्रति भ...
देशप्रेम और देशभक्ति का पर्याय – चंदन माटी मातृभूमि की
पुस्तक समीक्षा

देशप्रेम और देशभक्ति का पर्याय – चंदन माटी मातृभूमि की

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** समीक्षक- सुधीर श्रीवास्तव वरिष्ठ कवि डॉ. रवीन्द्र वर्मा जी की पुस्तक "चंदन माटी मातृभूमि की" कुछ माह पूर्व ही मुझे प्राप्त हो गई थी। लेकिन स्वास्थ्य कारणों से कुछ लिखने का विचार आगे बढ़ता रहा। अब जब नवोदय परिवार ने यह अवसर उपलब्ध कराया, तो थोड़ा विवश हो गया। जो अच्छा ही है कि एक विचार को अब साकार करने का समय आ ही गया। देशप्रेम और देशभक्ति रचनाओं का १७७ पृष्ठीय १०८ रचनाओं वाले काव्य संग्रह "चंदन माटी मातृभूमि की" को रचनाकार ने "अपने भारत राष्ट्र को समर्पित सभी बलिदानियों, देशधर्म व स्वतंत्रता को लड़े वीर क्रांतिकारियों, इस देश की अखंडता व स्वाभिमान के लिए जीवन समर्पित करने वाले सभी महान पुरुषों को श्रद्धावनत नमन करते हुए समर्पित किया है। विद्या वाचस्पति मानद उपाधि प्राप्त रवीन्द्र वर्मा के इस पुस्तक की भूमिका म...
पेपर लीक : शिक्षा और राजनीति का नया धंधा
व्यंग्य

पेपर लीक : शिक्षा और राजनीति का नया धंधा

डॉ. मुकेश ‘असीमित’ गंगापुर सिटी, (राजस्थान) ******************** अखबारों और टीवी न्यूज़ में आजकल एक खबर बहुत ज्यादा लीक कर रही है - पेपर लीक का मामला। यूं तो आए दिन कोई न कोई परीक्षा का पेपर लीक होता रहती है। जब लोकतंत्र की गाडी के पहियों पर चढ़े टायर ही लीक हो रहे हैं तो पेपर लीक होना कोई बड़ी बात तो है नहीं । अब ये लीक के मामले ही हैं जो अखवारो की हैडलाइन बनती है, सरकार को भी दो-चार जांच आयोग बिठाने का अवसर मिलता है, सत्ता पार्टी और विपक्ष पार्टियों को एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने का अवसर मिलता है, विरोधी पार्टियों पर दो चार सी बी आई के छापे और इ डी के छापे पडवाकर उन्हें हड्काने का मौका मिलता है, कुल मिलकर आने वाले चुनावों के लिए मुद्दों की फसल बुआई हो जाती है। नेता लोग कहते हैं, लोकतंत्र की चुनरी में ये लीक के दाग अच्छे हैं, इन्हें छुडाना नहीं है, लीक के दागों क...
आखरी साड़ी
लघुकथा

आखरी साड़ी

डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ********************  रेनू एक मध्यम परिवार की बहु थी। उसको कपड़ो का बहुत शौक था। दिन में दो बार कपड़े बदलना उसकी आदत में शुमार था। उसकी अलमारी में कभी खत्म न होने वाले कपड़ो का भंडार था। इसके बाद उसका मन आज एक और साड़ी खरीदने के लिये ललियात था। रक्षा बंधन आने वाला था और उसने सोचा कि यह नई साड़ी मैं रक्षा बंधन को पहनूगी। शाम को उसका पति राजेश जब घर आया। पति को नाश्ता देकर रेनू ने कहा बाजार चलिए आज एक साड़ी लेनी है। राजेश थका हुआ घर आया था इसके बाद भी उसने ना न की और फटाफट रेनू के साथ बाजार को निकल पड़ा। राजेश और रेनू शहर के एक सबसे बड़े शो रूम पर पहुंचे। रेनू ने ढेर सारी साड़ियां देखी। उनमे से एक साड़ी रेनू को पसंद आ रही थी परन्तु रेनू का मन पास वाले एक शो रूम में साड़ियां देखने का था। सेल्समेन को यह अनुभव हो गया कि रेनू को यह साड़ी पस...
भावों की पोटली है : पोटली …एहसासों की
पुस्तक समीक्षा

भावों की पोटली है : पोटली …एहसासों की

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** समीक्षक : सुधीर श्रीवास्तव पिछले दिनों जब अनुजा भारती यादव 'मेधा' का एकल कविता संग्रह "पोटली ...एहसासों की" स्नेह स्वरुप प्राप्त हुई थी, तो बतौर कलमकार से अधिक अग्रज के तौर पर मुझे अतीव प्रसन्नता का बोध हुआ था, तब मन के कोने में यह जिज्ञासा, उत्सुकता अब तक बनी रही कि मुझे कुछ तो अपने विचार व्यक्त करने ही चाहिए। वैसे भी काफी समय से भारती से आभासी संवाद और आभासी मंचों, पत्र पत्रिकाओं में पढ़ने सुनने का अवसर जब-तब मिल ही जाता है। सबसे अधिक प्रसन्नता तब हुई, जबसे यह ज्ञात हुआ कि मेधा के पिता (श्री राम मणि यादव जी) स्वयं एक वरिष्ठ कवि साहित्यकार हैं। तब से लेकर अब तक उनका स्नेह आशीर्वाद मिलता रहने के साथ संवाद भी जब तब हो ही जाता है। गद्य, पद्य दोनों विधाओं में सतत् सृजनशील संवेदनशील मेधा पारिवारिक दायित्...
गहरा गड़ा खूंटा
आलेख

गहरा गड़ा खूंटा

शांता पारेख इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जेंडर समानता की बात बहुत हो रही है, समान काम का वेतन अलग होना बहुत शर्म की बात इसलिए है कि मुर्मू जी राष्ट्रपति हो, सीतारामन सबसे बड़े लोकतंत्र में दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था का बजेट पेश करे, हलवा भी बने, तीखे प्रश्नों के जवाब भी आत्मविश्वास से देवे। पायलेट हो, वायुसेना में विशेष भूमिका में हो, सेना के ट्रूप का पुरुषों की टुकड़ी का गणतंत्र दिवस पर नेतृत्व करते देख सारी नारियां उछलने लगे, तब ऊंचे ओहदों डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर तक मे अंतर हो तो कुछ सोचने वाली बात है। कल एक बिल्डिंग का सिक्योरिटी ठेकेदार से बात हुईं कहने लगा, मैडम इस बिल्डिंग में चालीस प्रतिशत महिला कर्मचारी है, सुरक्षा की दृष्टि से छत आदि पर ताला लगवाना बहुत जरूती है, एक हादसा होने पर मेरी एजेंसी खतरे में पड़ जाएगी। माना एक की कमाई से घर नही चलता है। आज नर्सिंग घोटाले स...
कृष्ण जी की १६ हजार रानियों का सत्य
आलेख

कृष्ण जी की १६ हजार रानियों का सत्य

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** ‌‌ कृष्ण जी के जीवनकाल में एक घटना घटी। नरकासुर नामक राक्षस ने १६ हजार स्त्रियों का अपहरण करके अपने महल में बंदी बनाकर रखा था। उसे कृष्ण जी ने नरकासुर को मार कर उन स्त्रियों को मुक्त कर दिया। इतने वर्षों तक राक्षस के यहां रहने के बाद उन्हें कौन स्वीकार करेगा, यह सोचकर सभी नदी में डूबकर जीवन समाप्त करने के लिए चल पड़ी। कृष्ण जी के पूछने पर उन्होंने अपने मन‌ की बात उन्हें बताई। इसपर भगवान श्रीकृष्ण जी ने उन्हें जीवन त्याग करने से रोका तथा कहा कि आप सबको मैं आश्रय दूंगा, आप मेरे साथ रहेंगी। कृष्ण जी तो बहुत सक्षम थे, उन सबके रहने के लिए महल बनवाकर उन्हें सुरक्षा प्रदान की। कृष्ण जी उस समय के सर्वाधिक शक्तिशाली राजा थे, उनकी सुरक्षा के घेरे में आने का किसी में साहस नहीं था। इस प्रकार वो भगवान की आश्रिता थीं, संरक्षण में थीं...
एक चेहरे पर कई चेहरे
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एक चेहरे पर कई चेहरे

माधवी तारे लंदन ******************** जब भी भारतीयों की प्रगति की बात होती है, विदेशों में बसे भारतीयों के गुणगान गाने को तत्पर रहते हैं और विदेशी लोगों को आमंत्रित करने का मौका हम ढूंढते रहते हैं। वहां रहने वाले भारतीय इस अवसर को संपन्न करवाने में हम जी जान से मदद करते हैं। लेकिन विदेशी समाज में रहकर खुद को साबित करना, अच्छे पद कर काम करना आसान नहीं होता. गलतियां ढूंढने को तैयार लोगों की घाघ नज़रों के बीच हर दिन अपने आप को प्रमाणित करना पड़ता है। कई देशों में भारतीय नर्सें काम करती हैं और उनके काम को काफी सराहा जाता है। लेकिन कई बार ऐसा भी सुनने में आता है कि आप्रवासी नर्से सारी तैयारी करके रखती हैं लेकिन उसका सारा श्रेय स्थानीय नर्सें ले जाती है, डॉक्टरों को जानबूझकर दिखाया जाता है कि स्थानीय कर्मचारी ही बेहतर हैं। अक्सर आयोजन में देखा जाता है कि आज भी हमारी गुलामगिरी की मानसिकता गई न...
अतीतजीवी
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अतीतजीवी

संजय डुंगरपुरिया अहमदाबाद (गुजरात) ******************** हम हिंदुस्तानी स्वभाव से अतीतजीवी हैं। विश्वगुरु सोने की चिड़िया तरह-तरह की शब्दो की अफीम चाट के उसी में मगन। बदलाव के लिए और भविष्य के लिए कभी तैयार नही। हाँ, अगला जन्म सुधारने को बेहद तत्पर आसान रास्तों में चलने को हमेशा तैयार गंगाजी में डुबकी लगा के स्वर्गारोहण, वाह! चरखे और अहिंसा से आज़ादी, वाह भाई वाह! हमारे सपने टूटते ही नही, नींद है कि उड़ती ही नही। अच्छे दिन आएंगे पर लाएगा कौन मोदी जी !!! आप कुछ करेंगे? नहीं वोट दिया है ना ! १५ लाख आये की नही खाते में? सरकारी नोकरी ही क्यों चाहिए !!! प्राइवेट नोकरी में काम करना पड़ता है ये तकलीफ है। हमारे यहाँ करोड़पतियों और हर तरह से सामर्थ्यवान लोगो ने भी कोविड के टीके मुफ्त सरकारी केंद्रों में ही लाइन में लग के ही लगवाए हैं। और बाते समय की कीमत की ही करेंगे ! कथनी और करनी में सर्वाधिक फर्...
ममता
लघुकथा

ममता

कुमुद दुबे इंदौर म.प्र. ********************  रश्मि आज ऑफिस से जल्दी घर आ गई थी राकेश अभी लौटे नहीं थे। राकेश के इन्तजार में वह गलियारे मे टहल रही थी। चहलकदमी करते हुये रश्मि का ध्यान अपने बेटे प्रवीण की ओर चला गया जो जाॅब के सिलसिले मे ५ वर्ष पहले आस्ट्रेलिया गया था ओर वहीं बस गया था। रश्मि विचारों में डूब गई, प्रवीण को देखो पत्नी बच्चे का हो कर रह गया पूरा सप्ताह निकल गया आ नहीं सकता तो क्या फोन पर मां-बाप की खैर खबर लेने के लिये भी वक्त नहीं निकाल सकता। जब बेचलर था रोजाना ऑफिस से लौटने के बाद फोन पर मां बाप के हाल जाने बगैर सोता ही नहीं था। अब पूरा सप्ताह बीत जाता है, आना तो दूर की बात एक फोन करने का वक्त भी नहीं निकाल पाता। रश्मि के मन में इसी तरह के विचार उबाल ले रहे थे, कि फोन की घंटी बजी, भीतर जाकर रिसीवर उठाया ओर बातों मे तल्लीन हो गई। रश्मि के चेहरे पर उभरी मुस्कु...
संघर्ष
लघुकथा

संघर्ष

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ********************  दाम्पत्य जीवन में सामंजस्य के अभाव में उपजी परिस्थितियों के चलते लीला को अपनी बच्ची के लिए घर छोड़कर निकलना पड़ा। बच्ची को साथ लेकर वह अपनी एक सहेली रमा के घर पहुंची, और अपनी पीड़ा कहते हुए रो पड़ी। रमा ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा कि जब तक उसके रहने का प्रबंध नहीं हो जाता तब तक वह यहीं रहे। उसने पति से कहा कि लीला के लिए काम का प्रयास करें। कई दिनों के प्रयासों के बाद रमा के पति के माध्यम से लीला को काम तो मिल गया। पति से बात करके रमा ने लीला को अपने ही घर में एक कमरा रहने के लिए दे दिया। लीला की बच्ची छोटी थी, इसलिए उसने ना नुकूर भी नहीं किया। वैसे भी अभी उसके हाथ में इतने पैसे भी नहीं है कि वो कहीं अलग कमरा लेकर रह सके। शुरुआती संघर्ष के बाद पढ़ी लिखी लीला के काम से उसके मालिक इतना प्रसन्न थे कि उसकी...
जनसाधारण में रासलीला पर भ्रांतियां
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जनसाधारण में रासलीला पर भ्रांतियां

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ********************  ५/६ वर्ष से लेकर १२ वर्ष तक के बालक कृष्ण की रासलीला को कुतर्कों से लोगों को भ्रमित किया गया। १२/१३ वर्ष तक तो वे मथुरा चले गये, फिर कभी न लौटे। गोपियां तो गृहणियां थी, जो कृष्ण जी की मोहक मुरली के स्वर सुनकर दौड़ी आती थीं। संगीत प्रेमी वो भी‌ नन्हे बालक‌ के मुख‌ से, कौन न आतुर होगा सुनने को। एक को बीच में खड़ा करके आसपास नाचने गाने की परंपरा आज भी होली के दिनों में उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश में दिखाई देती है। भारतीय शास्त्रों में गहरे दर्शन को केवल प्रतीकात्मक रूप में दर्शाया गया‌ है। चैत्र की फसल आए या सावन का महिना हो, संगीत तो फूट ही पड़ता है व नर्तन गायन शुरू हो जाता है। बालक रुपी परमेश्वर धर्म संस्थापना के निमित्त धरती पर आए, तत्कालीन दिग्भ्रमित जनता के साथ खेलकूद करके, नृत्य गायन वादन करके सबको एकत्रित करते थे, ...
क्या अंतर्जातीय-अंतरर्धार्मिक विवाह सही है…?
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क्या अंतर्जातीय-अंतरर्धार्मिक विवाह सही है…?

गोपाल मोहन मिश्र लहेरियासराय, दरभंगा (बिहार) ******************** ● प्यार के नाम पर देशभर में हो रहा है लव जिहाद ● नाम बदलकर लड़कियों को फंसाया जा रहा है ● अनजान लोगों पर विश्वास करना पड़ सकता है भारी ● सावधान कहीं आपकी बेटी भी धोखे का शिकार न हो जाए ! सही गलत का फैसला तो वक्त करता है, किंतु प्रेम विवाह में असली संकट अंतर्जातीय-अंतरर्धार्मिक विवाह की समस्या होती है। वर्तमान में भारत में दो तरह के विवाह होते है - पहला - (कास्ट) जाति आधारित, जिसमें जाति का बहुत महत्व होता है, दूसरा- इसमें जाति-धर्म का महत्व, गौण होता है - क्लास (श्रेणी) आधारित। दिनानूदिन एलीट क्लास आधारित विवाह बढ़ते ही जा रहे हैं। ● भारत में आमलोग जाति आधारित विवाह करते हैं और अपने को एलीट समझने वाले लोग क्लास आधारित। ● किंतु समस्या तब हो जाती है, जब कोई दोनों नाव की सवारी करने का प्रयास करता है। ● अतीत में भा...
ईश्वरीय विधान
संस्मरण

ईश्वरीय विधान

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ********************  साहित्यिक क्षेत्र में ज्यों-ज्यों मेरे कदम बढ़ते जा रहे हैं, संबंधों का दायरा भी उतना ही बढ़ता जा रहा है। जिसके अनेक बहाने भी होते हैं। जिसे अप्रत्याशित तो नहीं कहूँगा। क्योंकि साहित्यिक यात्रा में ऐसा होता ही रहता है। कभी हम किसी अंजान शख्स से आभासी माध्यम से बातचीत करते हैं, तो कभी किसी ऐसे ही अंजान शख्स का फोन आ ही जाता है। यूँ तो अपने-अपने क्षेत्र के लोगों से कभी न कभी पहली बार ये सिलसिला शुरू ही होता है, यह और बात है, जो आगे भी जारी रहता है और बहुत बार नहीं भी रह पाता। इसकी भी अपनी पृष्ठभूमि, कारण और परिस्थितियां होती है। ऐसा ही कुछ १० मई' २०२४ को पड़ोसी राज्य की राजधानी से एक उच्च शिक्षित युवा कवयित्री से पहली बार साहित्य की एक विधा के बारे जानकारी के उद्देश्य से आभासी संवाद हुआ। सामान्य शिष्टाचार...
मौसम ने करवट क्यों बदली
आलेख

मौसम ने करवट क्यों बदली

माधवी तारे लंदन ******************** भारी गर्मी में सूरज के ताप से हैरान गौरेया जैसे बेसुध हो कर गिर जाती है। वैसे ही आज इंसानों की हालत है। कुछ साल पहले का हरे-भरे बैंगलोर का मौसम खुशमिज़ाज था। वृंदावन गार्डन देखकर मन खुश हुआ था लेकिन आज वही बैंगलोर पानी की बूंद-बूंद के लिये तरस रहा है। अब इंदौर की भी हालत ऐसी ही हो रही है। पिछले ६०-६५ साल में आज जैसी गर्मी देखने को नहीं मिली है। सौ-सौ साल पुराने पेड़ सड़क के नाम पर कुरबान हो रहे हैं और नए लगाए नहीं जा रहे जबकि पूरे के पूरे पेड़ दूसरी जगह लगाने की तकनीक भी आज उपलब्ध है। फिर भी बागीचे उखाड़ कर अट्टालिकाएं रोपी जा रही हैं। इंसान भी चिड़ियों की तरह चलते-चलते ना टपके इसके लिये हरियाली चाहिये। सीमेंट कांक्रीट के रास्तों के आसपास नालियां नहीं हैं और अगर हैं तो पानी वहां से प्रवाहित हो जमीन में नहीं जाता, बह जाता है। बहुमंजिला इमारतें अपनी प्...
जीवन के लिए प्रकृति का सुरक्षित होना जरूरी
आलेख

जीवन के लिए प्रकृति का सुरक्षित होना जरूरी

डॉ. राजेश कुमार शर्मा "पुरोहित" भवानीमंडी (राजस्थान) ********************  ०५ जून को हम साल २०२४ का विश्व पर्यावरण दिवस मना रहे हैं। इस दिन पर्यावरण के प्रति आम जनता को जागरूक किया जता है। अधिक से अधिक पेड़ लगाना। पौधरोपण करना। पेड़ों के ट्री गार्ड लगाना। वन भूमि को हरी भरी करने हेतु नरेगा मजदूरों को लगाया जाता है व गड्ढे खोदकर पेड़ लगाते हैं। पेड़ की सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड या तार फेंसिंग करते हैं। सभी उपस्थित लोग शपथ लेते है कि इन पेड़ों की हम नियमित देखभाल कर इन्हें संरक्षित रखेंगे। बड़ी-बड़ी बैठकों में बढ़ते प्रदूषण के प्रति चिन्ता जताई जाती है। प्रकृति का संतुलन बना रहे इस हेतु आगामी रणनीति बनाई जाती है। धरती के बढ़ते तापमान का कारण खोजते हैं। घण्टों मंथन चलता है। पर्यावरण बचाने से सम्बंधित नारे दीवारों पर लिखाये जाते हैं। विद्यालयों में निबंध वाद विवाद स्लोगन लेखन कविता लेखन जै...
युवा पीढ़ी के बदलते और बिगड़ते आयाम
आलेख

युवा पीढ़ी के बदलते और बिगड़ते आयाम

मयंक कुमार जैन अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) ********************   युवा पीढ़ी किसी भी देश या समाज को बनाने या बिगाडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। युवा पीढ़ी में न सिर्फ उत्साह और उत्साह है, बल्कि नए विचारों को बनाने और बदलने की क्षमता भी है। वे कुछ करना चाहते हैं, और यदि युवा कुछ करने का मन बना लें तो कुछ भी असम्भव नहीं है। हमारे देश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी ३५ वर्ष से कम है। भारत को हर क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए हमारे मेहनती और प्रतिभाशाली युवाओं को सही दिशा दी जा सकती है। भारत की युवा पीढ़ी उत्साहपूर्ण और उद्यमशील है और हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। युवा वर्ग कल से बहुत उम्मीद करता है। आज, अगर कोई कमी है तो उसे सही समय पर मार्गदर्शन देने की जिम्मेदारी उनके माता-पिता, शिक्षकों और पूरे समाज की है। स्वामी विवेकानंद ने हमेशा देश की युवाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा द...
जनहित याचिका …
आलेख

जनहित याचिका …

शांता पारेख इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जनहित याचिका क्या होती है, कौन कब कैसे लगा सकता है, ये कितने लोग जानते है, नही पता पर इतना पता जरूर है कि नॉन लीगल आदमी भी लगा सकता है व उसके सुनवाई के परिणाम स्वरूप कई अच्छे कानून बने है जिससे आम लोगो को बड़ी राहत मिली है। इंदौर में एक ऑटो मोबाइल व्यापारी एस. पी. आनंद हर जायज बात के लिए जन हित याचिका लगाते थे, उनसे मेरी मित्रता हो गई, वे मुझसे चालीस वर्ष बड़े थे, पर आम जनता की समस्याओं के प्रति मेरी रुचि देखते हुए जब भी नई याचिका लगाते मेरे घर आते व बताते कि आज ये लगाई, पिछली की सुनवाई हुई ये हुआ, ये कानून बनने का मसौदा विधि विभाग को दिया गया है। मुझे बहुत आश्चर्य होता था, कि सेवा करने के कितने तरीके हो सकते है, अपनी जेब का धन समय खर्च कर कोर्ट में भटकना कम बात नही होती है। वे वकील नही थे, परिवार भी पूरा व्यवसायी था। एक बार उनका ...
हमसफर एक्सप्रेस
कहानी

हमसफर एक्सप्रेस

मुस्कान कुमारी गोपालगंज (बिहार) ******************** कुछ कहानियां ऐसी होती है जिनको शब्दो में बयां नहीं किया जा सकता, एक कहानी ऐसी भी... तोड़कर खुद को वो किसी और को जोड़ रहा था हां, एक लड़का जो किसी से बहुत प्यार कर रहा था हमेशा खुद को वो उसके ही सपने में डुबोए रहता था एक साल हो गए और सब अच्छा चल रहा था पर अचानक से एक मनहूस दिन आया लड़की के घर में धीरे-धीरे सबको पता चल रहा था उस पर पाबंदियों के हजारों जंजीरे लगने लगी उसका अब घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो रहा था इधर लड़का बेचैन उसे कहां धैर्य हो रहा था। वो उसे देखने को कब से बेचैन बैठा था आदत थी उसे हर दिन उसे देखने की अब उससे इंतजार नहीं हो रहा था, कहीं से उसकी कोई खबर आए काश उसे कोई बाहर ले आए एक बार देख ले उसे तो उसे चैन आए पर कहां कोई उसकी दिल की बातों को सुन रहा था दो दिल रो रहे थे, थे वो परेशान बात इतनी सी थी अलग थी उ...
यत्र नारयस्तु पुजयन्ते रमन्ते तत्र देवता
आलेख

यत्र नारयस्तु पुजयन्ते रमन्ते तत्र देवता

संजय डुंगरपुरिया अहमदाबाद (गुजरात) ******************** युगों-युगों से भारतीय परंपरा में स्त्री को पूजनीय बताया और माना गया। फिर क्यों बार-बार ऐसे उदाहरण है जब पुरुष ने स्त्री को एक वस्तु की भांति त्याग दिया, अपमानित किया या इस्तेमाल किया। स्त्री को नरक का द्वार तक बता दिया गया है। ऋषि गौतम ने श्राप दे दिया अहिल्या को और वो पत्थर हो गयी। अरे श्राप देना था तो इंद्र को देते जो गौतम का रूप बना कर अहिल्या के साथ व्यभिचार करता रहा। अहिल्या को तो पता भी नही था की वो इंद्र है। सूर्पनखा द्वारा प्रणय निवेदन करने पे लक्ष्मण उसकी नाक काट देते हैं। जबकि राक्षस कुल में उत्पन्न सूर्पनखा कोई गैर पारंपरिक निवेदन नही कर रही थी। इनकार कर देते नाक काटने की क्या ज़रूरत थी। रावण अशोक वाटिका में सीता को कहता है की मंदोदरी आदि सभी रानियाँ तुम्हारी अनुचरी करेंगी अगर सीता उसका वरण कर ले। एक धोबी के उलाहना देने...
आभासी रिश्तों की उपलब्धि
संस्मरण

आभासी रिश्तों की उपलब्धि

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ********************  २४ अप्रैल २०२४ की सुबह लगभग साढ़े दस बजे सात समंदर पार खाड़ी देश से आभासी दुनिया की मुँहबोली बहन का फोन आया। प्रणाम के साथ उसके रोने का आभास हुआ, तो मैं हतप्रभ हो गया है। जैसे तैसे ढांढस बंधाते हुए रोने का कारण पूछा तो उसने किसी तरह रुंधे गले से बताया कि भैया, आपके स्नेह आशीर्वाद को पढ़कर खुशी से मेरी आंखे छलछला आई, मैं निःशब्द हूं, बस रोना आ गया, समझ नहीं पा रही कि मैं बोलूं भी तो क्या बोलूं? रोते-रोते ही उसने कहा यूँ तो आपकी आत्मीयता का बोध मुझे कोरोना काल से है, जब मैं कोरोना से जूझ रही थी और आपने उस समय जो आत्मीय संबंध और संबोधन दिया और आज भी उस स्नेह भाव को मान देकर मुझे गौरवान्वित कर रहे है। पर आज तो आपके स्नेह आशीर्वाद की इतनी खुशी पाकर रोना ही आ गया। हुआ ये कि लगभग एक सप्ताह पूर्व जब उसने मुझे ...
यज्ञ की समिधा
आलेख

यज्ञ की समिधा

संजय डुंगरपुरिया अहमदाबाद (गुजरात) ******************** हर व्यक्ति राजनीति की शतरंज में खुद को प्यादा समझे, या फिर चुनाव यज्ञ में समिधा। इससे ज्यादा कुछ मोल नही है भारत मे आम नागरिक का। कभी फुसला कर, कभी धमका कर, कभी डरा कर चुनाव की वैतरणी पार करनी है सब नेताओ को। चाहे भाजपा हो या कांग्रेस। ये सब आधुनिक ययाति हैं जो जनता रूपी पुरु से उनका यौवन जब चाहे मांग लेंगे या छीन ही लेंगे। किसी को सत्ता का मद चढ़ गया और किसी से सत्ता छीन जाने पे भी उतर ही नही रहा। किसी का उत्तराधिकारी है ही नही और कोई अपने अयोग्य उत्तराधिकारी को सत्तासीन करने के स्वप्न देख रहा। इन सब की सोच में आम आदमी का दर्द कितना महत्व रखता है विज्ञानकर्मियों के लिए खोज का विषय है। विश्व परिप्रेक्ष्य में देखे तो, कोई मौत बेच रहा, कोई दवा बेचने में लगा है, कोई आतंक बेच रहा, कोई हथियार बेच रहा, कोई धर्म बेच रहा। इंसानियत कहाँ है ...
विद्या ददाति विनयम …
आलेख

विद्या ददाति विनयम …

संजय डुंगरपुरिया अहमदाबाद (गुजरात) ******************** विद्या ददाति विनयम विनयात ददाति पात्रताम पात्रत्वात धनं आप्नोति धनातधर्मम ततः सुखम। अर्थात - विद्या यानी ज्ञान हमे विनम्रता प्रदान करता है, विनम्रता से योग्यता आती है और योग्यता से हमे धन प्राप्त होता है और धन से सुख मिलता है । अगर ये श्लोक और उसका अर्थ सही है तो क्यों विद्या प्राप्त करके हम विनम्र होने के स्थान पे अभिमानी हो रहे हैं? विनम्रता से योग्यता और पात्रता आती है। तो फिर क्यों हमने अपने पात्र को उल्टा करके रख दिया और शिकायत है कि भरता ही नहीं। अरे घड़ा अगर उल्टा रख दोगे तो सारा समंदर भी उड़ेल दे तो पात्र खाली ही रहेगा। जितना धनार्जन कर लेते हैं उतना ही धर्म से दूर होते जा रहे है। यहां पे धर्म का अर्थ कर्मकांड नही अपितु इंसानियत से है। फिर सुख नही मिलता यही कहते रहते है । सुख का ताल्लुक मन की स्थिति से है भौतिकता में नही। ...
बदला
आलेख

बदला

शांता पारेख इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बरसो से से एक बहुत ही गुनी कलाकार मालिश वाला हमारे परिवार के पुरुषों की मालिश करता था। शास्त्र में कहा गया है नाई व नावन चलते-फिरते अखबार होते है, मेरा मानना है कि शास्त्र कुछ भी नही अनुभव सिद्ध संसार का एक शानदार निचोड़ है। समय काल से सब बदलता ही है मगर शास्त्र की बाते शाश्वत ही है। अति सर्वत्र वर्जयेत बदल सकते हो क्या। तो ये नाई मेरे घर आज आया, कोरोना काल मे भयानक दुर्घटना में उसका इकलौता बेटा काल धर्म को प्राप्त हुआ। दुख का पहाड़ टूट पड़ा। पर उसने दुर्घटना करने वाले लड़के पर नो लाख खर्च किये कि सज़ा तो दिलाऊंगा दोनो पति-पत्नी काम पर नही गए उदास हताश पगलाए कोर्ट पुलिस करते रहे न्याय का तो आपको पता ही है। किसी समझू ने उसे राय दी, दोनो ने नसबंदी ओपन की व ५५ की उम्र में बेटी प्राप्त की जिसका वॉकर में चलते हुए मैंने फोटो देखा। मैं तो आ...