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संपादकीय

साहित्य और समाज
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साहित्य और समाज

आज की अतिथि सम्पादक माया मालवेन्द्र बदेका उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** साहित्य की समाज में कल और आज की भूमिका देखी जाये तो बहुत ज्यादा फर्क आया है। एक पंक्ति ऐसी होती थी की पूरे देश में राष्ट्र प्रेम की लहर दौड़ जाती थी और आज एक पंक्ति ऐसी स्थिति पैदा करती है कि शर्मिंदगी से नजरें झुक जाती है। ऐ मेरे वतन के लोगों। और मुन्नी बदनाम हुई। कहां से कहां आ गये हम। क्या यही सब युवाओं के बीच, बच्चों के बीच परोसा जाना चाहिए। साहित्य समाज को बहुत कुछ देता है! साहित्य अपने मनोभावो को व्यक्त करने का, मनुष्य के लिये सबसे अच्छा साधन है! कुछ संदेश कुछ शिक्षा - साहित्य से देश की सभ्यता देश की संस्कृति की पहचान होती है हमारा देश जग मे सभ्यता और संस्कृति के लिये विख्यात है ! विगत कुछ समय से बहुत ही निम्न स्तर के लेखन ने समाज को, देश को अलग ही जगह ला खड़ा किया है ! साहि...
कृपया प्रतीक्षा करे, आप कतार में  हैं….???
संपादकीय

कृपया प्रतीक्षा करे, आप कतार में हैं….???

प्रो. डॉ. दीपमाला गुप्ता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आज सुबह जब किसी के स्टेट्स पर ये लाइन पढ़ी, पहले तो थोड़ी हँसी आई, फिर एकदम हँसी और मन दोनों सहम गए। हम हर रोज मन को सकारात्मक सोचने और खुद को खुश रखने की कोशिश करते हैं। रोज सुबह एक प्रेरणा, प्रार्थना, उत्साह, जोश, जुनून, सकारात्मकता, खुशी, भविष्य की तैयारी की एक पोटली बनाकर दिन की शुरूआत करते है, और चाहे अनचाहे ऐसी खबरों और मौत की खबरों को सुनना पड़ता हैं, हम सुनना भी नही चाहते है, और हमारी तैयार खुशियों की पोटली में प्रेरणा, प्रार्थना, उत्साह, जोश, जुनून, सकारात्मकता, खुशी, भविष्य की सोच, एक मिनट में डर, परिवर्तित होकर इन सब सकरात्मक शब्दो और भावो को कोने में बिठा देते है, और हम महामारी के संकट की सोच को दिमाग से बाहर ही नही निकाल पाते। अब समय हैं, अपने परिवार को समय देने का, वर्चुअल दुनिया से बाहर आने का और वास्तविक दुन...
यह रात कब खत्म होगी….??
संपादकीय

यह रात कब खत्म होगी….??

प्रो. डॉ. दीपमाला गुप्ता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हर निकलता दिन कोरोनाकाल की निर्ममता को बढ़ाता जा रहा हैं।सभी सुबह का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन लोग कह रहे हैं कि पीक आना अभी बाकी है ,अभी आलम यह है तो आगे की तो कल्पना करना भी मुश्किल है, मानवीय भाव और संसाधन खत्म होते जा रहे हैं, इंसानियत, मानवता, हॉस्पिटल, बेड, ऑक्सीजन, इंजेक्शन, दवाइयां, रिश्ते, प्रकृति, ये सब खत्म होते जा रहे हैं। क्या-क्या देखना बाकी है, यह तो नहीं पता लेकिन आसपास के लोग पुराने परिचित रिश्तेदारों को जाते देख मन दिल दिमाग बैठा जा रहा हैं। और ऐसा लगता है जैसे प्रकृति गुस्से में तांडव कर रही है और सभी को अपने कोप का भाजन बना रही है, मुसीबत में आम आदमी सरकार, सिस्टम डॉक्टर और भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहरा रहा है, लोगों की मन:स्थिति बिगड़ रही है, अपनों के सहारे के समय, अपनों से दूरी बनानी पड़ रही है। प्रकृ...
संपादकीय

ऐसा तो सोचा न था

प्रो. डॉ. दीपमाला गुप्ता इंदौर (म .प्र.) ******************** सोशल मीडिया पर दूरी से रिश्ते निभाते-निभाते आज की परिस्थितियों ने सच में भौतिक रूप से दूरी से रिश्ते निभाने के लिए मजबूर कर दिया है। हम खुद ही लोगों को सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर ही निपटा देते हैं, ऐसे में इन परिस्थितियों में दिल दिमाग में बेचैनी होना लाजमी है। हम सभी से जुड़े रहना चाहते हैं, लेकिन दूरी से हमारी यह सोच एक दिन ऐसे साकार रूप ले लेगी हमने सोचा भी न था हमने परिवार की इकाई को खुद छोटा बनाया जिसमें माता-पिता और सिर्फ उनके बच्चे आते हैं, दादा-दादी, नाना-नानी यह तो परिवार में शामिल ही नहीं माने जाते अगर हम आकर्षण के नियम की बात करें तो यह हमारी सोच का ही परिणाम है कि हम घर के बाहर पड़ोसी से भी दिल से नहीं जुड़ पा रहे हैं और आज स्थिति यह है कि १ मीटर की दूरी पर ही बात कर रहे हैं, ना अब रिश्तेदार और ना ही पड़ोसी घर ...
हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित सम्मान समारोह एंव अखिल भारतीय कवि सम्मेलन संपन्न
मध्यप्रदेश, संपादकीय, साहित्यिक

हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित सम्मान समारोह एंव अखिल भारतीय कवि सम्मेलन संपन्न

इन्दौर। हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का स्थान दिलाने व हिन्दी साहित्य के रक्षण हेतु बनाये गए हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में ३२ कवियों व साहित्यकारों को हिन्दी रक्षक सम्मान २०२० से सम्मानित किया गया। हिन्दी रक्षक मंच के संस्थापक एंव hindirakshak.com के संपादक पवन मकवाना ने बताया कि कार्यक्रम में इन्दौर सहित भारत के अलग-अलग राज्यों व शहरों झारखंड, मनावर, उज्जैन, धार, रीवा, कानपुर, देपालपुर, भोपाल, देवास, दरभंगा बिहार, कोटा राजस्थान, चंपारण बिहार, बेगमगंज मेरठ, मोतिहारी बिहार से पधारे ३२ साहित्यकारों को हिन्दी रक्षक सम्मान २०२० से सम्मानित किया गया कार्यक्रम में मुख्य अतिथी महामण्डलेश्वर दादु महाराज, देवपुत्र के संपादक श्री कृष्णकुमारजी अष्ठाना, साहित्यकार श्री सूर्यकांतजी नागर भा.ज.पा. के पूर्व नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा, थाना अन्नपुर्णा के टी आई सतीष द्विवेदी, अजय सिसौदिया, समा...