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बाल कहानियां

यादगार जन्मदिन
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यादगार जन्मदिन

नितेश मंडवारिया नीमच (मध्य प्रदेश) ******************** विदिशा अपना पांचवा जन्मदिन मनाने छुट्टियों में नानाजी के घर वाराणसी आयी हुई थी। जब वह धूल से खेलती तो माँ आकांक्षा उसे मना करती, वह दौड़ते हुए नानाजी के पास जाती और शिकायत करती देखिए नानाजी, माँ मुझे खेलने नहीं देती। नानाजी नाराजगी जताते कहते आकांक्षा! क्यों मना करती? खेलने दो। यह सुनकर विदिशा खुश हो जाती और खेलने निकल जाती। कभी मौसी प्रज्ञा के साथ बिल्ली के म्याऊं म्याऊं की नक़ल करती, तो कभी मामा नितेश और वैभव के साथ पकड़म पकड़ाई खेलती। तो कभी परनानी को कहती कहानी सुनाओ। तो कभी परनाना के कंधो पर जा बैठती। तो कभी नानी को कहती मंदिर घुमाने चलो। नानाजी ने शाम को भजन संध्या रखी, धूमधाम से विदिशा का जन्मदिन मनाया। इस प्रकार छुट्टियों के बीतते देर न लगी और जाने का दिन आ गया। घर से जाने वाले दिन वह कहने लगी नानाजी, आप भी मेर...
मेरा जादूगर गणु
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मेरा जादूगर गणु

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बाल लघुकथा "वीनू ! क्या कर रहा है घण्टे भर से। अब थोड़ा हाथ में किताब भी पकड़ ले।" "बस आता हूँ माँ। ज़रा मेरे गणु के हाथ पैर तो बना दूँ। हाँ, बड़ा सा सिर बनाकर उनमें गणित के सवाल और सारे फार्मूले भी भर दिए हैं। देखता हूँ गणु कितना बुद्धिमान है।" "वीनू ! हाँ ठीक है पर उदर थोड़ा मोटा होना चाहिए।" "अरे मम्मा ! सूप जैसे कानों से सुनकर बुरी बातों का कचरा फटक देंगे तो बची हुई अच्छी बातें समा जाएगी इस पेट में। और क्या।" माँ को मोतीचूर के मोदक बनाने के लिए मशक्कत करते देखकर वीनू की जिज्ञासा जागी, "आपको भी मेहनत करने में ही मजा आता है। सीधे बेसन के लड्डू बना लेती।" "बेटू ये सब दाने बंधकर बताते हैं कि एकता का फल मीठा होता है, लड्डू जैसा।" वीनू की कॉमेंट्री चल ही रही है, "लो माँ ! देखो मेरे गणु को।" ध्यान से देख रही माँ टोकती है, "बच्चे ! ...
बुद्धिमान बालक
बाल कहानियां

बुद्धिमान बालक

डाॅ. दशरथ मसानिया आगर  मालवा म.प्र. ******************* बहुत पुरानी बात है। दक्षिण भारत में एक दयालु, न्यायप्रिय, प्रजा हितेषी एक राजा थे। उन्हें पशु-पक्षियों से बहुत प्यार था। वे पशु-पक्षियों से मिलने के लिए वन में जाते थे। हमेशा की तरह एक दिन राजा पशु-पक्षियों को देखने के लिए वन में गए। अचानक आसमान में बादल छा गए और तेज-तेज बारिश होने लगी। बारिश होने के कारण उन्हें ठीक से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, राजा रास्ता भटक गए। रास्ता दूंढते-ढूंढते किसी तरह वे जंगल के किनारे पहुंच ही गए। भूख-प्यास और थकान से बेचैन राजा, एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठ गए। तभी राजा को उधर से आते हुए तीन बालक दिखाई दिए। राजा ने उन्हें प्यार से अपने पास बुलाया, बच्चों यहां आओ। मेरी बात सुनो। तीनों बालक हंसते-खेलते राजा के पास आ गए। तब राजा बोले-मुझे बहुत भूख और प्यास लगी है, क्या मुझे भोजन और पानी मिल सकता है। बालक बोले, ...
आसमानी संकट
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आसमानी संकट

राजनारायण बोहरे इंदौर मध्य प्रदेश ******************** प्रोफेसर गगन की नींद टूटी तो उन्होंने खड़े होकर अपने हाथ-पांव फैलाये, और अंगडाई ली। फिर आगे बढ़कर सामने रखे टेलीविजन का बटन दबा दिया। टेलीविजन के पर्दे पर सुनहरे रंग के अक्षरों में एक वाक्य लिखा हुआ दिखाई दिया- ’’आज दिनांक एक जून सन् २१४५ है। भारत की जमीन से आठ लाख किलोमीटर दूर घूम रहे इस अंतरिक्ष केन्द्र पर आपका स्वागत है। चलिये हम अंतरिक्ष केन्द्र की पूरी बस्ती के हालचाल जानें।’’ प्रोफेसर गगन ने आवाज लगाई-’’संजय जल्दी से मेरी कसरत की मशीन ले आओ।’’ कुछ सैकेण्ड बाद ही उस कमरे की दांयी दीवार में बना दरवाजा खुला और उसमें से मशीन का बना एक आदमी (रोबोट) अपने हाथों में पाइपों से बनी झूले जैसी एक मशीन घसीटता हुआ कमरे में दाखिल हुआ। प्रोफेसर गगन इस मकान में अकेले रहते हैं। उनकी सेवा करने के लिये एक मात्र रोबोट है। वह...
दिल्ली वाले चाचा
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दिल्ली वाले चाचा

राजनारायण बोहरे इंदौर मध्य प्रदेश ******************** जगत और भानू को बड़ा दुख हो रहा था कि वे आज स्कूल क्यों चले गये? एक दिन न भी तो तो क्या बिगड़ जाता? जिस वक्त वे दोनों स्कूल में थे, ठीक उसी वक्त उनके यहाँ दिल्ली वाले चाचा आये थे। स्कूल तो रोज-रोज जा सकते हैं, पर दिल्ली वाले चाचा थोड़ी रोज-रोज आते हैं। वे तो साल भर में एक बार कभी आते हैं, और आते ही जगत और भानू से मिलने जरूर पहुंचते हैं। यूं दिल्ली वाले चाचा इन दोनों के सगे चाचा नही है, पर वे इन दोनों का इतना प्यार करते हैं कि कहा नही जा सकता। जगत और भानू के पापा की मृत्यु पांच साल पहले हो गई थी, तो घर में कोहराम मच गया था घर में सत्तर साल के बूढ़े दादाजी के अलावा कोई दूसरा आदमी न था। जिसका सहारा कहा जा सकता हो। उन दोनों भाईयों के अलावा मम्मी और छोटी बहन अमृता की देखभाल का जिम्मा भी उनके बूढ़े दादाजी के जिम्मे आ गया था। तब तार पाक...