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बाल कविताएं

गुणी विज्ञान है
बाल कविताएं

गुणी विज्ञान है

शिवम यादव ''आशा'' (कानपुर) ******************** बाल मन बाल हठ को पहचानना मनोविज्ञान है बाल बच्चों के दिमाग में बस रहा है विज्ञान है बाल मन की बाल उम्मीदें छू रहीं आसमान है इन उम्मीदों से ही आता जमीं पर आसमान है बाल मन की कुछ आदतें कर रहीं हैरान हैं क्या पनपतीं हैं सभ्यताएँ समझ सके जो इसे वही गुणी विज्ञान है . लेखक परिचय :-  आपका नाम शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं, अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !! काव्य संग्रह :- ''राहों हवाओं में मन" आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सक...
मेरे पापा
बाल कविताएं

मेरे पापा

********** उज्जवल मिश्र मुजफ्फरपुर बिहार मेरे पापा बहुत है अच्छे अच्छी बात सिखलाते हैं सूरज को उगने से पहले प्रतिदिन उठ जाते हैं योगा प्राणायाम नित्य करते कराटे भी सिखलाते है ऑफिस जाते ९:०० बजे शाम ५:०० बजे घर आते हैं शाम का नाश्ता साथ में करते फिर पार्क में टहलने हम जाते हैं मेरे पापा बहुत है अच्छे अच्छी बात सीखलाते हैं मेरे पापा दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं वो मेरे अच्छे दोस्त भी हैं वो मेरे अच्छे पापा है! अच्छी पुस्तक लाकर देते अच्छी बात बताते हैं मेरे पापा बहुत है अच्छे मुझे बहुत प्यार है करते अच्छी बात सिखलाते हैं तभी तो दुनिया के वो सबसे अच्छे पापा कहलाते हैं मेरे पापा बहुत है अच्छे अच्छी बात से सिखलाते हैं! लेखक परिचय :- उज्जवल मिश्र मुजफ्फरपुर  बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंद...
बस्तों का बोझ
कविता, बाल कविताएं

बस्तों का बोझ

*********** रचियता : डॉ. शीतल पाण्डेय कहते बच्चों के कंधे झुककर। न बढाओ बस्तों का बोझ हमपर।। रट रट बेहाल हुआ बचपन। नैतिक ज्ञान का पढ़ा ना एक अक्षर।। छूट गया गलियों से नाता। गिल्ली डंडा वो खेल तमाशा।। पलटते किताबों के पन्ने। दिन हवा बन उड़ जाता।। मासूम मन समझ न पाए। छीना जा रहा क्यों उनसे बचपन।। कहते बच्चों के कंधे झुककर। न बढाओ बस्तों का बोझ हमपर।। सुबह उठ मचती भागम भाग। होती परेड और वही बोझिल क्लास।। गुम हो गया बचपन का एहसास। मेरिट बन गई क्यों माता पिता की आस।। मासूम आँखें करती यही सवाल। हमारे अपने रखते नहीं हमारा खयाल।। कहते बच्चों के कंधे झुककर। न बढाओ बस्तों का बोझ हमपर।।   लेखक परिचय :- डॉ. शीतल पाण्डेय ... पी. एच डी - हिन्दी साहित्य निवासी : इंदौर (म.प्र.) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते ...
बालगीत
बाल कविताएं

बालगीत

================================= रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे "प्रेम" चन्दा मामा अच्छे हैं  । दिल के कितने सच्चे हैं । सूरज मामा बहुत बुरा । सारा पानी लिये चुरा । बादल ताऊ आएंगे, उस को डांट लगाएंगे । और चुराया जितना पानी, धरती को लौटाएंगे । लेखक परिचय :  नाम - प्रेम प्रकाश चौबे साहित्यिक उपनाम - "प्रेम" पिता का नाम - स्व. श्री बृज भूषण चौबे जन्म -  ४ अक्टूबर १९६४ जन्म स्थान - कुरवाई जिला विदिशा म.प्र. शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल प्रकाशित पुस्तकें - १ -"पूछा बिटिया ने" आस्था प्रकाशन, भोपाल  २ - "ढाई आखर प्रेम के" रजनी  प्रकाशन, दिल्ली से अन्य प्रकाशन - अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक  पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कविता, कहानी, व्यंग्य व बुंदेली ग़ज़लों का प्रकाशन। प्रसारण - आकाशवाणी व दूरदर्शन भोपाल से ...