चलो आज चूहा बन जाएँ
बृजेश आनन्द राय
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
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(बाल कविता)
चलो आज चूहा बन जाएँ,
उछलें-कूदें धूम मचाएँ।
पापा के सब कागज कुतरें,
मम्मी के सब कपड़ें खाएंँ।।
दीदी के टेबुल पर चढ़कर,
उसकी पुस्तक हम पढ़ जाएँ।
भइया के कुर्ते में झाँकें,
जेब खर्च के पैसे पाएँ।।
कुछ जाने बिन स्क्रीन टच करें,
मोबाइल में फोटो लाएँ।
जब भइया हमको दौड़ाएँ।
हम चकमा देकर छुप जाएँ।।
छेद करें बोरे-बोरे में,
सब अनाज छीटें फैलाएँ।
दौड़ें आलू के कूरे पर,
दादी को गुस्सा कर जाएँ।।
बक्से पर भी तब-तक उछलें,
जब-तक दादा लौट न आएँ।
सैर करें कोने कोने की
एक जगह ना हम रुक जाएँ।।
घर-द्वारों में भीतर-बाहर,
बिन कारण ही चक्कर खाएँ।
पहुँचें गणेश की प्रतिमा तक,
दीवाली के लड्डू पाएँ।।
आओ बच्चों झुंड बनाएँ,
पास-पड़ोस तंग कर जाएँ।
चलो आज चूहा बन जाएँ,
उछलें-कूदें धूम मचाएँ।।
परिचय :- ...