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पद्य

जीत-जीत सोच तू जीत जायेगा
कविता

जीत-जीत सोच तू जीत जायेगा

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** जीत-जीत सोच तू जीत जायेगा। हार से कभी न फिर घबरायेगा। अकेला चल राह में कदमों को बढ़ा, एक दिन तेरा ये मेहनत रंग लायेगा।। कुरुक्षेत्र के मैदान में जंग है जारी। जी जान लगा अपनी कर तैयारी। धनुर्धारी अर्जुन बन संशय में न घिर, कृष्ण की तरह दिखा विराट अवतारी।। मंजिल की आंखों में पहले आंखें तो मिला। लक्ष्य पाने मनबाग में कुसुम तो खिला। नित कर्म ही तेरा भाग्य है वीर मनुज, रुकना नहीं चाहिए अभ्यास का सिलसिला।। आयेंगी चुनौतियां तेरी लेने परीक्षा। दृढ़ पर्वत के समान खड़ा कर प्रतीक्षा। साहस भरके मन में सामना तो कर, मिलेगी सफलता पूरी होगी हर इच्छा।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्कार से सम्मानित। घोषणा पत्र : मैं ...
दामिनी की आवाज
कविता

दामिनी की आवाज

श्रीमती निर्मला वर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** लगता है पौरुष की परिभाषा बदल रही है बहन बेटी की रक्षा और दुलार की जगह हवस की भावना पनप रही है लगता है पौरुष की परिभाषा बदल रही है क्या वक्त, क्या जगह, क्या उम्र, क्या ब्याहता, कुमारी कन्या या वृद्धा सभी पर वासना कहर ढा रही हैं लगता है पौरुष की परिभाषा बदल रही है एक "शक्ति" का प्रतीक पर छः छह दानवों ने अपनी घिनौनी ताकत दिखाई पुरुष होने की क्रूर से क्रूरतम हैवानियत दिखाई नारी की सुरक्षा खतरे में दिख रही है लगता है पौरुष की परिभाषा बदल रही है उन दरिंदों के लिए अबला असहाय होने लगी, किंतु उसकी "कराह" सिहिनी की गर्जना बनी दामिनी नाम दिया है उसकी आह को क्योंकि दामिनी जब कड़कती है गरजती है तो आसमान से धरती को हिला देती है आज इस धरती की "दामिनी" ने हिला दिया है देश को क्षण भर की ...
उनको जब यह अहम हो गया हो गया
कविता

उनको जब यह अहम हो गया हो गया

अरविन्द सिंह गौर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************** यह उनको जब यह अहम हो गया हो गया, हर कार्य होगा उनसे ही उनको यह बहम हो गया। मुर्गे के बाग देने के पहले ही भोर का सूर्य उदय हो गया।। यह उनको जब यह अहम हो गया हो गया। हर कार्य होगा उनसे ही उनको यह बहम हो गया। हर कार्य सफल होता है सब के सहयोग से वर्चस्व की लड़ाई से बना बनाया काम विफल हो गया।। यह उनको जब यह अहम हो गया हो गया, काम उनसे ‌ही होगा उनको यह बहम हो गया। कहे "अरविंद" सबका साथ-सबका सहयोग होगा तो आपका हर काम सफल हो गया। यह उनको जब यह अहम हो गया हो गया, काम उनसे ‌ही होगा उनको यह बहम हो गया। परिचय :-  अरविन्द सिंह गौर जन्म तिथि : १७ सितम्बर १९७९ निवासी : इंदौर (मध्यप्रदेश) लेखन विधा : कविता, शायरी व समसामयिक सम्प्रति : वाणिज्य कर इंदौर संभाग सहायक ग्रेड तीन के पद में कार्यरत घोषणा पत्र :...
जरा होश में तो आओ
कविता

जरा होश में तो आओ

डोमन निषाद डेविल डुंडा, बेमेतरा (छत्तीसगढ़) ******************** रिश्वत का बजार क्यों है? हमें कोई कारण बताओ। कारण खुद के अंदर है, रिश्वत में ताला लगाओ। अधिकार का नारे बहुत हैं, हमें कोई कारण बताओ। कारण खुद के अंदर है, संविधान के पाठ पढा़ओ। भ्रूण हत्या क्यों हो रहे हैं, हमें कोई कारण बताओ। कारण खुद के अंदर हैं, बेटी को सम्मान दिलाओ। ये गरीबी कारण क्या है? हमें तो कारण बताओ। कारण खुद के अंदर हैं, शिक्षा की ज्योति जलाओ। हम दुःखी क्यों रहते हैं, हमें कोई कारण बताओ। कारण खुद के अंदर है, जरा होश में तो आओ। परिचय :- डोमन निषाद डेविल निवासी : डुंडा जिला बेमेतरा (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छा...
गौरी की रक्षा…
कविता

गौरी की रक्षा…

मानाराम राठौड़ जालौर (राजस्थान) ******************** किसानों का यह असली साथी हर फुर्सत है इसके उपयोगी पीते हम गोरी का गोरस शरीर अपना बनाते मक्खन, छाछ, दही जैसे और कई मिठाइयां हम खाते गोबर से खाद बनता उपयोग इसका खेत में होता हरि घास से ये खाती है सूखे खाने में रह लेती है कभी न कोई इसकी शिकायत होती हर पल, हर समय यह शांत रहती ग्रामों में लोग शौक से पालते शहरों में इसके लिए कोई घर नहीं गौशाला का निर्माण करवाओ माता रूपी गाय की सेवा करो और तुम रक्षा करो परिचय :- मानाराम राठौड़ निवासी : आखराड रानीवाड़ा जालौर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, रा...
सुख और दुख
कविता

सुख और दुख

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** अनुभव और ज्ञान मनुष्य के सुख दुख का कारण है, अब बताइए इसका क्या निवारण है, बंदर को कह दो हाथी, दुखी नहीं होगा उनका कोई साथी, हाथी को कह दो गधा, बिगड़ेगा नहीं चाल रहेगा सधा का सधा, शेर को कह दो सियार, नहीं बदलेगा वो खूंखार, खरगोश को कह दो चीता वो घास ही खायेगा, नहीं कोई खुशी मनाएगा, इन सारे जानवरों को बिल्कुल नहीं पता उनका नाम क्या है, पर इतना जरूर जानते हैं कि उनका काम क्या है, किसी को अपना नाम ज्ञात नहीं, नाम तो इंसानों की देन है, अपने अनुसार खेलता मानवी गेम है, ज्ञान और अनुभव के बिना वो अपनी दुनिया में खुश है, मगर सब कुछ जान कर मोह माया, स्वार्थ में डूबा आदमी नाखुश है, हर जीव जंतु अपने काम से जाने जाते हैं, केवल मनुष्य ही है जो नाम से जाने जाते हैं, तो मनुष्यों दुखी हो जाओ या सुख...
गाँव की बेटी-दोहों में
दोहा

गाँव की बेटी-दोहों में

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** बेटी भाती गाँव की, जो गुण से भरपूर। जहाँ पहुँच जाती वहाँ, बिखरा देती नूर।। बेटी प्यारी गाँव की, प्रतिभा का उत्कर्ष। मायूसी को दूरकर, जो लाती है हर्ष।। बेटी जो है गाँव की, करना जाने कर्म। हुनर संग ले जूझती, सतत् निभाती धर्म।। गाँवों की बेटी सुघड़, बढ़ती जाती नित्य। चंदा-सी शीतल लगे, दमके ज्यों आदित्य।। कुश्ती लड़ती, दौड़ती, पढ़ने का आवेग। गाँवों की बेटी लगे, जैसे हो शुभ नेग।। बेटी गाँवों की भली, होती है अभिराम। जिसके खाते काम के, हैं अनगिन आयाम।। खेतों से श्रम का सबक, बढ़ना जाने ख़ूब। गाँवों की बेटी प्रखर, होती पावन दूब।। करती बेटी गाँव की, अचरज वाले काम। मुश्किल में भी लक्ष्य पा, हासिल करती नाम।। गाँवों को देती खुशी, रचती है सम्मान। बेटी मिट्टी से बनी, रखती है निज आन।। राजनीति, सेना ...
हे राम जी! मेरी गुहार सुनो
कविता

हे राम जी! मेरी गुहार सुनो

सुधीर श्रीवास्तव बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश) ******************** हे राम जी! मेरी पुकार सुनो एक बार फिर धरा पर आ जाओ धनुष उठाओ प्रत्यंचा चढ़ाओ कलयुग के अपराधियों आतताइयों, भ्रष्टाचारियों पर एक बार फिर से प्रहार करो। उस जमाने में एक ही रावण और उसका ही कुनबा था जो कुल, वंश भी राक्षस का था फिर भी अपने उसूलों पर अडिग था, पर आज तो जहां-तहां रावण ही रावण घूम रहे हैं जाने कितने रावण के कुनबे फलते-फूलते वातावरण दूषित कर रहे हैं। इंसानी आवरण में जाने कितने राक्षस बहुरुपिए बन धरा पर आज स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं समाज सेवा का दंभ भर रहे हैं सिद्धांतों की दुहाई गला फाड़कर दे रहे हैं भ्रष्टाचार, अनाचार अत्याचार ही नहीं दंगा फसाद भी खुशी से कर रहे हैं दहशत का जगह-जगह बाजार सजा रहे हैं। जाति धर्म की आड़ में अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं अकूत धन संपत्ति से ...
श्री राम बसें सबके मन में
स्तुति

श्री राम बसें सबके मन में

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** नवमी तिथि चैत्रमास पावन, सुंदरता प्रभु की मनभावन। जन्मे है आज रामप्यारे, सुंदरता में जग से न्यारे। हे राम आपको नमन करूँ, अपने उर मैं विश्वास भरूँ। आ जाओ जग मंगल करने, भक्तों के मन श्रद्धा भरने। जो डूबे पापाचारों में, उलझे हैं अत्याचारों में। दिन रात कुकर्मों में रत हैं, कुविचारों में चिंतन रत हैं। आघात करें मानवता पर, हर्षित होते दानवता पर। पशु वृत्ति समाई है इनमें, ना दया धर्म इनके मन में। शुचिता का इनको भान नहीं, निज जननी का अभिमान नहीं। हैं कायर और कपूत बड़े, मानवता के विपरीत खड़े। श्री राम उठा लो धनुष बाण, जनमानस के विपदा में प्राण। आ जाओ राम संताप हरो, दुष्टों का सत्यानाश करो। जब मनुज मुक्त हो हर दुख से, तब मने रामनवमी सुख से। चहुँ ओर खुशी हो जन-जन में, प्रभु राम बसें सबके मन म...
नारी शक्ति
कविता

नारी शक्ति

कुंदन पांडेय रीवा (मध्य प्रदेश) ******************** युग कोई भी आ जाए, क्यों नारी छली ही जाती है। कभी सिया कभी मीरा राधा, बन वह कष्ट उठाती है। अग्नि परीक्षा देकर भी, क्यों वन को भेजी जाती है। कभी सिया कभी मीरा राधा बन वो कष्ट उठाती है। अब तो रघुवर आ जाओ, सीता का कष्ट मिटा जाओ। उस युग में ना सही मगर, इस युग में न्याय दिला जाओ। विरह कलह सतवार सहन कर, हरगिज़ ना अकुल आती है। प्रचंड ज्वार हर बार प्रहार को, छलनी करती जाती है। कभी सिया कभी मीरा राधा, बन वह कष्ट उठाते हैं। परिचय :-  कुंदन पांडेय निवासी : रीवा (मध्य प्रदेश) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र ...
बदली आबो-हवा देख रहा हूं
ग़ज़ल

बदली आबो-हवा देख रहा हूं

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** शहर की बदली आबो-हवा देख रहा हूं, बीमारों की कतारें हाथों में दवा देख रहा हूं। मुर्दा खोर इंसानों से मिलना है तो देखिए ये बस्ती, कितने इंसानों को पूछते मैं रास्ता देख रहा हूं। खुशियों के आंसू गम के आंसू देख रहा हूं, कितने लबों पे अभी उसका चर्चा देख रहा हूं। इंसानों की लुटती दुनियां जंगली बस्ती देख रहा हूं, कदम-कदम पर पैसों को रुपए बनते देख रहा हूं। आनी जानी दुनिया में बैठा तमाशा देख रहा हूं, सोच में हूं हकीकत देख रहा हूं या सपना देख रहा हूं। बेरोजगारों की बस्ती में भुखे सियार कितने हैं, मिट्टी के इंसानों को "शाहरुख" खाते मुर्दा देख रहा हूं। परिचय :- शाहरुख मोईन निवासी : अररिया बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अप...
बसन्ती महक उठी
कविता

बसन्ती महक उठी

बृजेश आनन्द राय जौनपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** बासन्ती, महक उठी ! चंचल-प्रकृति-बीच- कोयल बहक उठी ! गुलमोहर की डालों-पे गिलहरी-लहराई ! अढ़उल की शाखों पे- गौरैया-शरमाई ! सेमल-पलास बीच दिशाऍ लहक उठी ! पीपल पे हरी-हरी बदली छिटक उठी...! पाकड़ पे 'उजास' फूटा, बरगद पे ठिठका ! मौसम का ठौर-ठौर वृक्षों पे अटका ! महुआ के गुंचो में रसना समा रही ! अमरइया की मंजरी- किसको न भा रही ! मोरों को लय-ताल तीतर समझा रहा.. कपोत कुछ आगे फिर- पीछे-को जा रहा.. ! नीम के कोतड़ में तोते आनन्द-भरें... कठफोड़वा के श्रम पे ना जरा भी गौर करें..! जामुन के फूलों पे- भवरी-लहराई ! छींट-सारी पहनाई! शिरीष की शाखों-पे कर्णफूल लटक रहे ! अमलताश अब भी- पीताभ को तरस रहे! अर्जुन ने देखो, नव-किसलय है पाया! गूलर का फूल कहॉ सबको नजर आया! अन्दर ही अन्दर 'प्रकृति', रचना अप...
निर्बल संगम
कविता

निर्बल संगम

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** व्यक्ति व्यक्ति का निर्बल संगम कर रहा मानवता को कायर बोल रही आज अमानवता कर रहे मानवता में दानवता। सत्य, स्फुरति, स्पंदन उड़ गया मानवता से जागे आज अनेक रावण करवाते नित नए क्रंदन एक पुरुष का पौरूष जागे करें क्या एक अकेला। इस नर्तन में। रक्त देख रक्त खोलता था शिराएं थी तन जाती। वर्तमनु, मनुष्य नहीं है मांगना केवल अपनी ख्याति में। परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती है...
खुद को उड़ती चिड़िया कर ले
ग़ज़ल

खुद को उड़ती चिड़िया कर ले

गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण" इन्दौर (मध्य प्रदेश)  ******************** टूट पड़ें बस ग्राहक इतनी मोहक पुड़िया धर ले। बेशक घटिया माल रहे पर पैकिंग बढ़िया कर ले।। हाथों हाथ बिकेंगीं तेरी चीज़ें बाजारों में, जीत भरोसा जनता का फिर काली हँड़िया भर ले।। पाँव और ये पंख सलामत दोनों रखने होंगे, उड़ना ही है तो फिर खुद को उड़ती चिड़िया कर ले।। भरी जवानी में बुढ़िया सी सूरत ठीक नहीं है, रंगत बदल और खुद को खुद कमसिन गुड़िया कर ले।। ये रनिवास महल की रौनक सब मिटने वाली है, अच्छा होगा भव्य भवन को छोटी मढ़िया कर ले।। प्राण किसी के नहीं बचे हैं लाखों ने की कोशिश, इसीलिए खुद को कागज सा उड़िया मुड़िया कर ले।। परिचय :- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण" निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आ...
धवल चाँदनी
गीत

धवल चाँदनी

मीना भट्ट "सिद्धार्थ" जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** धवल चाँदनी भी मुस्काती, रजनी भी इतराती है। मस्त मिलन की बेला आई, गोरी भी बलखाती है।। छेड़े जुगनूँ प्रीति रागिनी, दीपक आस जलाते भी। संदल खुशबू तन से आती, प्रियवर तुम्हें बुलाते भी।। अर्पित है ये जीवन सारा, साँस-साँस इठलाती है। कोण-कोण फैला उजियारा, झूम रही डाली-डाली। नभ में तारों की मालाएँ रात दिव्य प्रिय मतवाली।। तन-मन आकुल आलिंगन को, गोरी बात बनाती है। मधु-उत्सव की मदिर उमंगें, नेह नयन प्रिय बरसाते। प्रेम पालने उन्नत होते, रति जैसे हम मुस्काते।। चंदा भी अठखेली करता, निशा प्रेम की पाती है। परिचय :- मीना भट्ट "सिद्धार्थ" निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश) पति : पुरुषोत्तम भट्ट माता : स्व. सुमित्रा पाठक पिता : स्व. हरि मोहन पाठक पुत्र : सौरभ भट्ट पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट पौत्री :...
शत शत नमन सभी माँओं को
कविता

शत शत नमन सभी माँओं को

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** तीनों माँयें पूजनीय हैं, जिननें ऐसे लाल जने। हुए शहीद युवावस्था में, पर भारत की ढाल बने। वैदेही वन गमन हुआ जब, तब जन-जन रोया था, धैर्य देख लो उन माँओं का, जिनका सुत खोया था। धन्य धरा है, धन्य देश है, जिसमें थे तीनों जनमें। हैं सतवार धन्य माताएं, निज सुत भेजे थे रण में। भगत सिंह सुखदेव राजगुरु, तीनों की थी तरुणाई। भारत माता की रक्षा हित, ली,तीनों ने अँगड़ाई। खट्टे दाँत किये दुश्मन के, कोई पास न आता था। हर अँग्रेजी सैनिक डर से, नाकों चने चबाता था। सिंह गर्जना सुन तीनों की, गोरे भी थर्राते थे। चाँद सितारे भरी दोपहर, नजर उन्हें भी आते थे। भीषण अत्याचार किया था, गोरों ने ही झाँसी पर। माँ का फटा कलेजा होगा, लाल चढ़े जब फाँसी पर। चूमा था तीनों ने फंदा, हो बुलंद हँसते-हँसते। जैसे शाही ...
मातारानी का है आगमन
भजन, स्तुति

मातारानी का है आगमन

प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** मातारानी का है आगमन हो गया, उनकी महिमा उन्ही को सुनाते चलो। पूरे नौराते माता की महिमा को गा, उनकी करुणा कृपा, नित्य पाते चलो। मातारानी का है... नौ दिनों मेरी मैय्या के नौ रूप है, रहती शीतल सदा, काली में धूप है। वो बुलाती है भक्तों को निज धाम पे, तुम भी पग उनके दर को बढ़ाते चलो। मातारानी का है.... मैय्या का भव्य होता है श्रंगार नित, वो बहाती है करुणा को भक्तों के मित। कवि को महिमा बताती, वो लिखते उसे, स्वर के ज्ञाता हो तो, उनको गाते चलो। मातारानी का है... नौ दिनों तक बरसता है, अमृत जहां, भक्त मैय्या की महिमा को गाते जहां। मैय्या मोती लुटाने को आई धारा, तुम भी दर जाके, झोली फैलाते चलो। मातारानी का है ... परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा निवास : जानकीपुरम (लखनऊ) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ ...
सबको हंसा दो
कविता

सबको हंसा दो

सीमा रंगा "इन्द्रा" जींद (हरियाणा) ******************** सबका जीवन भरा कष्टों से पर हंसकर पार करो तुम माना धन की कमी है सभी को पर दिल से रहीश बनो तुम । आज अकेले कर परिश्रम दिखा दो ताकत सभी को तुम । करके जरूरतें कम अपनी खुशियों को बढ़ा लो तुम । आज पैदल कल साइकिल से चल गाड़ी में बैठ जाना एक दिन तुम बड़ों का आदर छोटों से प्यार सबके दिलों पर राज करो तुम गम में होके सरीक सभी के दुखों को कम कर दो ना तुम मुरझाए चेहरे हैं चारों तरफ बोल मीठे बोल खिलखिला दो तुम अपनी चाहतों को फैला कर रोते को सीमा हंसा दो ना तुम परिचय :-  सीमा रंगा "इन्द्रा" निवासी :  जींद (हरियाणा) विशेष : लेखिका कवयित्री व समाजसेविका, कोरोना काल में कविताओं के माध्यम से लोगों टीकाकरण के लिए, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ हेतु प्रचार, रक्तदान शिविर में भाग लिया। उपलब्धियां : गोल्डन बुक ऑफ वर्ल...
हमेशा याद रहता वो
ग़ज़ल

हमेशा याद रहता वो

नवीन माथुर पंचोली अमझेरा धार म.प्र. ******************** हमेशा याद रहता वो अग़र हर बार होता तो। कहानी में कहीं उतना असर क़िरदार होता तो। उठा लेता सभी के साथ उनमें हाथ वो अपना, हमारी बात रखने के लिए तैयार होता तो। लगा लेते गले उसको शिक़ायत भूलकर सारी, कि दिल का हाल जब लब पर खुला इज़हार होता तो। वहाँ उसकी ख़ता सारी समझकर माफ़ हो जाती, रिवायत में किसी ज़ज़्बात का इकरार होता तो। उसे दिखता, उसे मिलता, उसे ही चाहता अक्सर, कि उसकी वो कभी उतनी हसीं दरकार होता तो। परिचय :- नवीन माथुर पंचोली निवास : अमझेरा धार म.प्र. सम्प्रति : शिक्षक प्रकाशन : देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन, तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित। सम्मान : साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जा...
राम नाम यशगान
भजन, स्तुति

राम नाम यशगान

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** राम नाम है वंदगी, राम नाम यशगान। राम नाम सुख-चैन है, नित्य धर्म का मान।। राम नाम तो ताप है, राम नाम में साँच। राम नाम यदि संग तो, कभी न आती आँच।। राम नाम सुख से भरा, राम नाम रसधार। राम नाम आराध्य तो, महके नित संसार।। राम मोक्ष हैं, दिव्य हैं, जग के पालनहार। राम शरण में जो गया, पाता वह उपहार।। राम नाम तो सूर्य है, राम नाम अभिराम। राम नाम आवेग है, नित ही तीरथधाम।। राम नाम तो श्रेष्ठ है, राम नाम आदर्श। तरे मनुज भव से सदा, मिले राम का स्पर्श।। राम नाम शुचिता लिए, राम नाम में सार। राम नाम वरदान है, राम नाम उपहार।। राम नाम उजियार है, हर ले जो अँधियार । राम नाम यशगान है, राम नाम जयकार।। राम नाम मधुरिम-सुखद, राम रहें आराध्य। राम नाम है वंदगी, राम प्रखर अध्याय।। राम नाम आशीष...
माँ  कृपा
कविता

माँ कृपा

संजय वर्मा "दॄष्टि" मनावर (धार) ******************** माँ कृपा बड़ी निराली है करो समर्पण फिर जिंदगी में खुशहाली है भले ही माँ भूखी रह जाती है मुझे आई तृप्ति की डकार से माँ संतुष्ट हो जाती है। संसार में माँ ही शक्तिशाली है बिन माँ के दुनिया की बदहाली है माँ रातो को लोरिया सुनाती है नींद में मीठे सपनो को बुलाती है। कभी नींद में हँसाती गालो में गड्डे बनाती है जब जब माँ की याद आती है सुबह मीठी आवाज में उठाती है। माथे को चुम कर बालो को सहलाती है स्वर्ग धरा पर बनाती है माँ का कृपा बड़ी निराली है करो समर्पण फिर जिंदगी में खुशहाली है। परिचय :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग) प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निर...
सूर्यवंशी राम
भजन, स्तुति

सूर्यवंशी राम

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** चतुर्भुज गोविन्द के अवतारी, लीलाधारी घनश्याम। दशरथ नंदन, रघुकुल भूषण, मर्यादा पुरुषोत्तम राम।। सूर्यवंश के प्रतापी अधिपति, त्रेतायुग के पुरुष विराट। प्रजाओं के परम पूजनीय, आदर्श देव महान सम्राट।। गुरु वशिष्ठ के प्रिय शिष्य, धनुर्विद्या में अति प्रवीण। करुणानिधान, दयालु,जन मन कीर्ति किया उत्कीर्ण।। दीन-हीन, पतितों के अभिरक्षक, रणबांकुरा, रणधीर। दानव और राक्षस संहारक, सर्व शक्तिमान, शूरवीर।। माता-पिता वचन अनुगामी, प्रिया के प्रति समर्पण धर्म। भ्राता के प्रति स्नेहिल व्यवहार, न्याय संगत, राज कर्म।। मित्र के प्रति सहयोग भावना, मृदुभाषी,सरल व्यक्तित्व। लोकमंगल, जनकल्याण, खुशहाल, समृद्ध था प्रभुत्व।। रामराज्य में अंगीय, अगत्या, पार्थिव तापों से थी मुक्ति। किंचित मृत्यु, व्याधि व्यथा की थी प्रभावज...
माँ भारती शर्मसार हो गई
कविता

माँ भारती शर्मसार हो गई

सरला मेहता इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** पाशविक दहलाती करतूतें हदों से ही गुज़र गई दरिंदों की दारुण बेहयाई अब सीमा पार हो गई नैतिक मूल्यों की वो बातें कहाँ बिखर बिसर गई अमानवि दुःशासिनी हरकतें अब तो कारगार हो गई देवियों से पूजित बेटियों की चुनरी क्यूँ तार तार हो गई ये मासूम अधखिली कलियाँ अब दर्द से बेज़ार हो गई नोची खसोटी गई कई गोरियाँ अनब्याही ही आज रह गई ख़्वाबों की सुरमई गलियों से बदनाम बस्तियाँ बन गई शिवानी एलीना आसिफ़ा सी निर्भया दामिनी चली गई हाथरस में मनीषा की हड्डियां हथौड़े से चूर चूर हो गई ना रहा भय महामारी का इन्हें दुर्दांत कहानी मशहूर हो गई रक्तरंजित गूंज रही कराहों से यम- ड्योढ़ी तरबतर हो गई लक्ष्मी दुर्गा पद्मिनी के देश में माँ भारती शर्मसार हो गई परिचय : सरला मेहता निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती ह...
नारी का समर्पण
कविता

नारी का समर्पण

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** देखो-देखो नारी समर्पण, इस जग में सबसे न्यारा और प्यारा। इतिहास भी साक्षी है, हर नारी बोले, हर पुरुष नारी तोले, बिन बात पति बोले, पत्नी से हौले-हौले, तुम सारा दिन करती ही क्या हो ? प्रश्न सुन पत्नी का क्रोध खौलें, पत्नी कहे मत दिखाओ, नयनों के गोले, तुम कितने हो भोले, ऐसी कटु वाणी से रिश्ते हो जाते पोले। तुम सब पुरुष पहन लो मानवता के चोल़े, हर्ष से भर लो अपने-अपने झोले। जीवन नैया तुम्हारी क्यों डोले ? यह जानो और समझो। तुम बजाओ शहनाई, और सुंदर जीवन संगीत के ढोलक-ढोले। अपने-अपने अंतस भरे अहंकार कालिमा धौले। हटाओ घृणा, द्वेष, ईर्ष्या के फफोले। समझो नारी समर्पण का मोल, भस्म करो पंच विकार ज्ञान यज्ञों की अग्नि में, मत करो नारी से अति अपेक्षा का लोभ। अब जान भी जाओ और मान भी जाओ। न...
नव वर्ष संकल्प करें
कविता

नव वर्ष संकल्प करें

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** आओ इस नववर्ष संकल्प करें बीते कल का आभार करें, नव संवत्सर का सत्कार करें उज्जवल भविष्य की सोच लिए अपनी मंजिल की ओर बढ़ें तमस मिटा अंतर्मन का, हर भेद भाव को दूर करें नई उमंग नई चाह लिए जीवन में नया प्रवाह भरें भूल गए जिन कर्तव्यों को संपूर्ण उन्हें इस वर्ष करें हर जीव को सम्मान मिले, जीने का अधिकार मिले, हर चेहरे पर मुस्कान खिले, हौसला ये रख हर कदम बढ़ें क्यों भूल गया मानव इनको, धरती माता के लाल हैं ये निर्बल, असहाय, कमजोर मगर ईश्वर का प्रतिरूप हैं ये ले दृढ़ प्रतिज्ञ इनके हक़ में इनका मार्ग प्रशस्त बनाना है सृष्टि के उपहार हैं ये इसका कर्ज चुकाना है ये धरा-गगन कल कल नदियां, हर जीवन का आधार हैं ये वन का मूल्य पहचान हमें इनका अस्तित्व बचाना है ले प्रण हर जीवन के संरक्षण का धरती का सौंदर...