Tuesday, April 29राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

पद्य

हां हूं मैं मूर्ख
कविता

हां हूं मैं मूर्ख

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** हां हूं मैं मूर्ख, नहीं होता गुस्से में मेरा मुंह सूर्ख, बचपन से लोग कहते रहे हैं और आज भी कह रहे हैं, लगभग सबने ये घोषित किया है, घर से लेकर बाहर वालों तक ने ये वास्तविक शब्द मुझे दिया है, सच कहने की क्षमता शायद मूर्खों में ही होती है, सच्चाई के पीछे भागना और साफ हृदय का होना ही अहमकता की निशानी है, मां,भाई,बहन और पड़ोसी सभी इस बात पर एक राय हैं, समाज के लोगों ने भी माना, सामाजिक चिंतन करते देख यार दोस्तों ने भी पक्का जाना, कुरीतियों,पाखंडों,अंधविश्वास, अतिवादिता का विरोध, समझदार व्यक्ति कर ही नहीं सकता, समयानुसार जल रहे आग में अपना पांव धर ही नहीं सकता, कभी कभी तो लगता है कि मेरी बीबी बच्चे भी मेरी इस महानता को दिल की गहराई से स्वीकारते होंगे, अब तो मुझे भी लगता है कि मैं सचमुच ही मूर्ख ब...
स्वामी विवेकानंद
दोहा

स्वामी विवेकानंद

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** प्रखर रूप मन भा रहा, दिव्य और अभिराम। स्वामी जी तुम थे सदा, लिए विविध आयाम।। स्वामी जी तुम चेतना, थे विवेक-अवतार। अंधकार का तुम सदा, करते थे संहार।। जीवन का तुम सार थे, दिनकर का थे रूप। बिखराई नव रोशनी, दी मानव को धूप।। सत्य, न्याय, सद्कर्म थे, गुरुवर थे तुम ताप। काम, क्रोध, मद, लोभ हर, धोया सब संताप।। गुरुवर तुमने विश्व को, दिया ज्ञान का नूर। तेज अपरिमित संग था, शील भरा भरपूर।। त्याग, प्रेम, अनुराग था, धैर्य, सरलता संग। खिले संत तुमसे सदा, जीवन के नव रंग।। था सामाजिक जागरण, सरोकार, अनुबंध। कभी न टूटे आपसे, कर्मठता के बंध।। सुर, लय थे, तुम ताल थे, बने धर्म की तान। गुरुवर तुम तो शिष्य का, थे नित ही यशगान।। मधुर नेह थे, प्रीति थे, अंतर के थे भाव। गुरुवर तुमने धर्म को, सौंपा पावन ताव।। वं...
गणपति स्तुति – कुण्डलिनी छंद
स्तुति

गणपति स्तुति – कुण्डलिनी छंद

कन्हैया साहू 'अमित' भाटापारा (छत्तीसगढ़) ******************** अधिनायक अधिपति 'अमित', अभिनंदित अधिलोक। शुभदाता करिये शमन, शरणागत का शोक।। शरणागत का शोक, विश्वमुख वरदविनायक। प्रथम नमन अवनीश, अष्टमंगल अधिनायक।। गुणवंता गुणनिधि गुणिन, गौरीसुत गणराज। सुखदायक शंकरसुवन, सिद्ध कीजिए काज।। सिद्ध कीजिए काज, जयति जय जगत नियंता। 'अमित' अथक अनुनीत, गुणाकर हे गुणवंता।। मोदक, मेवा, मधु सहित, मनोभाव मनुहार। मैं मूरख मतिमंद मति, अर्चन हो स्वीकार।। अर्चन हो स्वीकार, मिले मुझको चरणोदक। 'अमित' अकिंचन भेंट, भावमय मेवा मोदक।। सदा सहायक भक्त के, स्वामी सिद्ध समर्थ। विघ्न विनाशक विघ्नहर, कर सुविमल अव्यर्थ।। कर सुविमल अव्यर्थ, आप ही हो अवधायक। 'अमित' विनय स्वीकार, रहो अब सदा सहायक।। परिचय : कन्हैया साहू 'अमित' (शिक्षक) निवासी : भाटापारा (छत्तीसगढ़) घोषणा : मैं यह शपथ पू...
हमारी हिंदी
कविता

हमारी हिंदी

अर्चना लवानिया इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हिंदी है हमारी राष्ट्रभाषा पर दुख भरी है इसकी गाथा। हिंदी भाषी अक्सर समझ जाते अनपढ़, विदेशी भाषा बोलने वाले दिखाते अकड़। हिंदी दिवस महज एक पर्व। हिंदी बोले और लिखा तो आ वे शर्म। अपनी मातृभाषा का युवा करते तिरस्कार, गैर भाषा के सीखे सारे अचार विचार। आओ कुछ यूं करें कि हिंदी का बड़े मान, यह वेद ऋचाओं की वाणी मुनियों का है ज्ञान। रस छंद अलंकारों का इसमें है भंडार, अंतर मन के सारे भावों का है यह अनुपम आधार। सहज सरल सुंदर मीठी सी मां की ये है लोरी, बचपन यौवन इसके आंचल में पलते हैं सारे हमजोली। हिंदी हमारे अस्तित्व का मजबूत है धागा, हिंदी हमारी सिरमौर और गौरव की है गाथा। हिंदी बिन हम प्राण ही और भाव शून्य से, येहमारी सो,च कल्पना, उत्साह और जीवन की परिभाषा। शपथ लेते हैं रहेंगे सदा इसके रक्षक, बोलचाल और कामकाज सब हिंदी ...
मैं और वह
कविता

मैं और वह

अंजली सांकृत्या जयपुर (राजस्थान) ******************** मन पिशाचः बुद्ध: शिकार: शांत: अशांत: प्रण: अहिंसा धर्म: अहिंसा कर्म: अहिंसा मन: शांति हेतु उद्देशित भला दृश्यित है. हैवान मैं छुपा शैतान हूँ दिखावटी हूँ, मौन मैं दिल में दबी, बात हूँ ... संकी हूँ, आवारा मैं फिर कहीं, शांत मैं धूप मैं, छाव मैं छाव दबी धूप मैं, हू बारिश विचारो की, बादलो मे छुपी आवाज मैं, हूं अग्नि मैं, तपस्या मैं इक छलावा हूं, दिखावा मै हू स्वार्थ मैं, दबा राज हूँ बर्फ सी, जुबान मैं तितली सी, बात हूँ ... मैं कौन हूँ, मैं मौन हूँ, मैं द्वन्द्व मे, मैं अन्तर्द्वन्द्व हूँ मैं सृष्टि का विचार , मैं मन का विकार, मैं कौन हूँ मैं मौन हूँ मैं अशांत हूँ मैं शांत मैं !!!! परिचय :- अंजली सांकृत्या निवासी : जयपुर राजस्थान  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय ह...
भारतीय भाषाओं की रानी हिंदी
कविता

भारतीय भाषाओं की रानी हिंदी

डॉ. किरन अवस्थी मिनियापोलिसम (अमेरिका) ******************** साठ प्रतिशत जनता भारत की बोल रही है हिंदी सर्वाधिक जन द्वारा भारत में फूल रही है हिंदी कंप्यूटर पे खरी उतरी उसका साथ निभाती है हिंदी प्रत्येक ध्वनि का पृथक चिह्न है जो बोलें,सो लिखती है हिंदी आज विदेशों में भी फलीभूत है हिंदी भारत की तो है ही फिजी,गयाना माॅरिशस में भी गाई जाती है हिंदी म्यांमार, भूटान, नेपाल, सिंगापुर इंडोनेशिया, युगांडा,यमन त्रिनिदाद, थाईलैंड, न्यूजीलैंड सहित लगभग पच्चिस देशों में 80 करोड़ की आबादी बोल रही है हिंदी सबका करती सम्मान है हिंदी विकासमान भाषा है हिंदी संपर्क में आई हर भाषा के शब्दों को अपनाती है हिंदी हर भाषा का सम्मान करें हम शीर्ष पर रखें हम हिंदी।। परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश) वर्तमा...
हिंदी हिंद देश की भाषा
कविता

हिंदी हिंद देश की भाषा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** हिंदी हिंदी देश-भाषा, हिंदी हैं हमारी मातृभाषा, हिंदी हैं हमारा मान, हिंदी हैं हमारा स्वाभिमान। हिंदी हैं हिंद देश की शान। हिंदी हैं हिंद का मान। हिंदी हैं हिंद देश की राजभाषा। हिंदी है हिंदी की सर्वोत्तम एकमात्र भाषा। सकल विश्व में सर्वोपरि हैं,हिंदी भाषा। हिंदी वर्णमाला आरंभ होती 'अ' से अनपढ़। हिंदी वर्णमाला अंत होती 'ज्ञ' से ज्ञानी। हिंदी हैं हर जन-जन की भाषा। आओ-आओ हम सब मिलकर, हिंदी भाषा का सम्मान करें। हर जन बोले हिंदी भाषा, हर जन पढ़ें हिंदी भाषा, हर जन लिखें हिंदी भाषा। हिंदी हिंद देश में उन्नति करें नित, हिंदी भाषा से ही हिंद देश विकास करें। हिंदी भाषी हम हिंदुस्तानी हैं। हिंदी भाषा ही हमारी जुबान हैं। हिंदी भाषा हिंद देश में अनेकता में एकता, हिंद देश में विविध भाषाओं ...
हिंदी का उत्थान करोगे …
कविता

हिंदी का उत्थान करोगे …

राम बहादुर शर्मा "राम" बारा दीक्षित, जिला देवरिया (उत्तर प्रदेश) ******************** हिंदी है इस देश की भाषा, सर्वाधिक है बोली जाती, किंतु विडंबना यह आज भी, क्षेत्रीयता में तोली जाती। पूछता हूँ, देश के कर्णधारों से, क्या राष्ट्रभाषा का ऐसा ही सम्मान करोगे? कैसे हिंदी का उत्थान करोगे? पिचहत्तर साल व्यतीत हो गए, पाये अपनी आजादी को, किंतु कभी क्या सोचा तुमने, गौरव देना है हिंदी को। अपनी अंग्रेजी सोच का तुम, जो नहीं कभी बलिदान करोगे, कैसे हिंदी का उत्थान करोगे? माँ को मम्मी डैड पिता को, चाचा ताऊ अंकल हैं, चाची बन कर आंट घूमतीं, देसी के ऊपर डंकल हैं। गैरों पर अपनों से बढ़कर, जब ऐसा अभिमान करोगे, कैसे हिंदी का उत्थान करोगे? भारतेंदु को भूल गए तुम, भूले तुम मीरा दिनकर को, सूर कबीर तुलसी को भूले, बस याद रखा तो मिल्टन को। हिंदी के गौरव को भुला, क्या इनका...
हिंदी की अभिलाषा
कविता

हिंदी की अभिलाषा

मानाराम राठौड़ जालौर (राजस्थान) ******************** मैं राष्ट्रभाषा बन जाऊं सभी के मुंह पर खिल खिलाऊ। यह मेरी प्यारी भाषा सभी को सीखने की अभिलाषा। जिसमें मैंने सीखें न ट ख ट इसमें बात करता झ ट प ट। गोपन मन को दे दी भाषा हिंदी मेरी प्यारी भाषा। इसको कबीर ने अपनाया मीराबाई ने मान दिया। आज़ादी के दीवानों ने इस हिंदी को सम्मान दिया। भारत की आशा है हिंदी मेरी प्यारी भाषा है हिंदी। आओ हिंदी में पढ़े-लिखे करें काम सारे हिंदी में। जिसका सौंदर्य एक बिंदी में यह मेरी प्यारी भाषा। सभी को सीखने की अभिलाषा परिचय :- मानाराम राठौड़ निवासी : आखराड रानीवाड़ा जालौर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचि...
हिंदी की कहानी
कविता

हिंदी की कहानी

सीताराम पवार धवली, बड़वानी (मध्य प्रदेश) ******************** अंग्रेजी बोलने वाले भी अपने घर में हिंदी बोला करते हैं इसमें मानहानि नहीं होती। कहने वालों की जुबानी नहीं होती वरना भारत में हिंदी की कहानी कहां नहीं होती। हमारा दिल हिंदी के लिए नहीं धड़कता तो दुनिया हिंदी की दीवानी यहां नहीं होती। कामयाब तो हुई थी अंग्रेजी यहां अंग्रेजों के राज में हिंदी का कुछ बिगाड़ नहीं पा। हिंदी दिल से निकलती हैं व दिलों तक पहुंचती है बोलने वालों की नादानी नहीं होती। हिंदी भारत की संस्कृति मे रची बसी है इसलिए हिंदी ही हमारी असली पहचान है, अंग्रेजी बोलने वाले भी अपने घर में हिंदी बोला करते हैं इसमें मानहानि नहीं होती। संतान गर्भ में हिंदी सिखती हैं गर्भ से बाहर आके पहले मां का उच्चारण करती है। भारत माता की संतान हिंदी बोलने वाली है हिंदी बोलने वाले में बदगुमानी नहीं होती।...
हिन्दी हूँ मैं
कविता

हिन्दी हूँ मैं

शकील अहमद शेख़ 'नीलकंठ' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हिन्दी हूँ मैं हिन्दी में पला हिन्दी में बढ़ा हिन्दी को सुना हिन्दी में सोचा हिन्द में जन्मा, हिन्दी हूँ मैं... हिन्दी को बोला हिन्दी को लिखा हिन्दी को पढ़ा हिन्दी को पढ़ाया हिन्द में जन्मा, हिन्दी हूँ मैं... हिन्दी को बढ़ाया हिन्दी को बनाया हिन्दी को चाहा हिन्दी को सराहा हिन्द में जन्मा, हिन्दी हूँ मैं... हिन्दी भारत माँ की बिन्दी है भाषाओं में श्रेष्ठतम हिन्दी है सदा ही यह प्रकाशित रहे, हिन्दी के लिए प्रभु से विनती है हिन्द में जन्मा, हिन्दी हूँ मैं... परिचय :- शकील अहमद शेख़ 'नीलकंठ' निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आ...
हिंदी है पहचान हमारी
कविता

हिंदी है पहचान हमारी

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हिंदी हिंदजन का है ललित अलंकरण हिंदी भाषा का है वृहद-समृद्ध व्याकरण हिंदी सरस-सरल सम्मोहिनी शक्ति हिंदी है सहज स्वाभाविक अभिव्यक्ति शब्दों-अर्थों में है भावों का रस माधुर्य हिंदी घनवन मन मयूर-सा करता नृत्य हिंदी सूर-तुलसी के वात्सल्य की मिठास हिंदी हैं देवभूमि का मधुर मधु-सा उल्लास हिंदी महादेवी का विरह सुभद्रा का ओज गीत हिंदी राष्ट्र गौरव आओ बने हम इसके मीत कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक सूत्र में बांधती फिर क्यों न वाणी हमारी इस सच को स्वीकारती हिंदी शिव के डमरू से निसृत स्वरों का ज्ञान हिंदी है पहचान हमारी हिंदी हिंद का है मान परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
खुदगर्जी
कविता

खुदगर्जी

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** गिर रही है न ये जो आसमा से तड़फती बूंदे कभी तुम इनसे मज़ा लेते हो तो कभी ये डुबकर तुम्हारे अस्तित्व को मज़ा लेती है। बह रही है न ये नदियाँ कभी खुद बहती है अपनी ही मस्ती में तो कभी तूफ़ान बन तुम को बहा ले जाती है समुंदर में। बर्फ से ढके है न जो ये पर्वत कभी तुम इनका आरोहण करते हो तो कभी ये दबा देते हैं तुम्हारी जिद्दी शख्सियत को। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सक...
आओ हिन्दी अपनाए
कविता

आओ हिन्दी अपनाए

सोनल सिंह "सोनू" कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) ******************** माँ भारती के माथे की बिन्दी, ऐसी भाषा हमारी हिन्दी। सरस, सरल और प्राचीन, प्रमुख भाषाओं में नामचीन। संस्कृति संस्कारों को देती मान, हिन्दी भाषा हमारा अभिमान। परिपूर्णता की परिभाषा है, उज्जवल भविष्य की आशा है। हिन्दी सचमुच खास है, विदेशियों को भी इसका एहसास है। हिन्दी को मिली नई पहचान है, "नमस्ते भारत "कहना हमारी शान है। इससे झलकता है अपनापन, सहज बनाती है ये जीवन । काम काज में इसे अपनाए, हिन्दी का हम मान बढ़ाए। परिचय - सोनल सिंह "सोनू" निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते ...
राष्ट्र का सम्मान है हिंदी
कविता

राष्ट्र का सम्मान है हिंदी

कु. आरती सिरसाट बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) ******************** राष्ट्र का मान है सम्मान है हिंदी...! भारत की आन है पहचान है हिंदी...!! मीरा की कृष्ण के प्रति भक्ति है हिंदी...! सुरदास के सूर में शक्ति है हिंदी...!! निराशा में भी आशा की किरण है हिंदी...!! कभी शब्द तो कभी शब्दों का अर्थ है हिंदी...!! राधा कृष्ण के परिशुद्ध प्रेम की परिभाषा है हिंदी...! प्रकृति का मधुर स्वर है हिंदी..!! मानव की मानवता का अस्तित्व है हिंदी...! 'निराला' की कविताका रस है हिंदी...!! पवन की पुरवाई में समाई है हिंदी...! नभ की काली घटाओ में है हिंदी...!! माटी की खुशबू में महकती है हिंदी...! वीरों के लहू में धडकती है हिंदी...!! परिचय :- कु. आरती सुधाकर सिरसाट निवासी : ग्राम गुलई, बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरच...
हिंदी के दोहे
दोहा

हिंदी के दोहे

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** हिंदी में तो शान है, हिंदी में है आन। हिंदी का गायन करो, हिंदी का सम्मान।। हिंदी की फैले चमक, यही आज हो ताव, हिंदी पाकर श्रेष्ठता, रखे उच्चतर भाव।। हिंदी में है नम्रता, देती व्यापक छांव। नवल ताज़गी संग ले, पाये हर दिल ठांव।। दूजी भाषा है नहीं, हिंदी-सी अनमोल। है व्यापक नेहिल 'शरद', बेहद मीठे बोल।। हिंदी का बेहद प्रचुर, नित्य उच्च साहित्य। बढ़ता जाता हर दिवस, इसका तो लालित्य।। हिंदी प्राणों में बसे, यही भावना आज। हर दिल पर करती रहे, मेरी हिंदी राज।। हिंदी नित गतिमान हो, सदा करे आलोक। इसी तरह हरदम प्रथम, फिर मन कैसा शोक।। हिंदी मेरा ज्ञान है, यह मेरा अभिमान। रोक सकेगा कौन अब, इसका तो उत्थान।। हिंदी में संवेग है, हिंदी में जयगान। सारे मिल नित ही करें, हिंदी का गुणगान।। हिंदी पूजन-यज्ञ है,...
भारत माँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी
कविता

भारत माँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** भारत माँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। भारत माँ का अलंकार है हिंदी, भारत माँ का शीश सुशोभित करती है हिंदी, देव-भाषा की अनमोल कृति है हिंदी, भारत माँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। जन-गण मन की शक्ति है हिंदी, भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति है हिंदी, नन्हे मुन्नों की बोली है हिंदी, विद्वानों की विद्वता परिभाषित करती है हिंदी, जब जब संकट की परछाईं भी दिखती, कलमकार की कलम से निकली हर हुंकार हिंदी रक्षण में आंदोलन करती दिखती, भारत माँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। भाषाओं में सर्वोपरि राष्ट्रभाषा है हिंदी जन गण मन में रची बसी है हिंदी हर भारतवासी को एक सूत्र में बांधती है हिंदी, भारत माँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। परिचय :-  प्रभात कुमार "प्रभात" निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत शिक्षा : एम.काम., एम.ए. राजनीति शास्त...
आंखों की मर्जी
कविता

आंखों की मर्जी

नरेंद्र शास्त्री कुरुक्षेत्र ******************** आंखों की भी अब अपनी मर्जी होने लगी है। बात खुशी की हो या गम की हर बात पर रोने लगी है।। सूरज ढला चांद निकला तारे चमके। दिन की तो बात छोड़िए ये आंखें अब रातों में भी जगी है।। पानी पिया शरबत पी चाय तक पी डाली। ये कैसी प्यास है जो अभी तक लगी है।। तेरे अल्हड़ स्वभाव में नादानियां बहुत हैं। तुझे समझाने में मुझे एक मुद्दत लगी है।। वक्त है सावन का और हवा भी ठंडी चली है। पता करो जंगल में यह बेवफाई की आग क्यों लगी है।। तेरा मिजाज भी मेरी हरकतों से मिलने लगा है। यह तेरी हंसी मेरी मुस्कुराहट से मिलने लगी है।। जिंदगी ने छीना मुझसे मेरा चैन मेरा सकुन मेरे सपने। यहां तक कि मेरी सांसे भी ठगी है।। आंखों की भी अब अपनी मर्जी होने लगी है। बात खुशी की हो या गम की हर बात पर रोने लगी है।। परिचय :- न...
बातें हैं
कविता

बातें हैं

आयुषी दाधीच भीलवाड़ा (राजस्थान) ******************** बातें हैं, बातों का क्या, बातें तो चूड़ी की तरह होती है, जो घूमकर फिर वही आ जाती है, बातें है, बातों का क्या। तुम जितना उसे समझना चाहोगें, जितना उन पर घोर करोगें, वो उतनी ही तुम्हें उलझती नजर आयेंगी, बातें हैं, बातों का क्या। बातें पेंच की तरह होती हैं, उसे जितना कसो वो कसती ही जाती हैं, उसे जितना मोड़ो वो मुड़ती ही जाती हैं, बातें हैं, बातों का क्या। बातें हैं, बातों का क्या। यें बातें ही तो, क्या कुछ करवाती हैं, किसको झुठा, किसको सच्चा बतलाती हैं, बातें हैं, बातों का क्या। परिचय :-  आयुषी दाधीच शिक्षा : बी.एड, एम.ए. हिन्दी निवास : भीलवाड़ा (राजस्थान) उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि...
क्या है हिन्दी …?
कविता

क्या है हिन्दी …?

शैलेन्द्र चेलक पेंडरवानी, बालोद, (छत्तीसगढ़) ******************** हमारी आत्माभिव्यक्ति की भाषा है हिंदी, मां की ममता, पिता की आशा है हिंदी, दिल की तार जो छेड़ दे वो मधुर गान है, मैत्री की, प्रीति की परिभाषा है हिंदी, सखी है, बहन है, माता है, प्रिया है, डूबा है इसमें वें जो इसको जिया है, हल्कू है, झूरी है, धनिया है, होरी है, सुहाग की साड़ी को मरती एक गोरी है, धनपत राय को मुंशी की पहचान है, ग्रामीण जीवन को दिखाता गोदान है, आँसू है, लहर हैं, झरना का पानी, विनाश में नवनिर्माण दिखाती कामायनी, प्रसाद है, पंत है, महादेवी की गान है, गद्य को आधार देते, भारतेंदु महान है, तिलस्मी अय्यारी है, चंद्रकांता प्यारी है, देवकीनंदन की करामाती, अलगू जुम्मन की यारी है, कुरुक्षेत्र की भूमि में पड़े पितामह अवधूत है, रश्मीरथी का कृष्ण सिखाते शान्ति दूत है, विषमता को दूर करने मुक्तिबोध उठाय...
हिंदी पखवाड़ा
कविता

हिंदी पखवाड़ा

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** सितंबर का यह महीना लो फिर आ गया भाई हिंदी दिवस, खूब मनेगा फिर नई खुशी फिर छाई सबका होगा फिर जमकर जमावड़ा जमकर हिंदी का मनुहार होगा जमकर चलेगा पखवाडा विकसित करने को हिंदी कामयाब करेंगे पखवाडा दिवस हिंदी पर लगाया जाएगा समृद्ध करने का गहरा झाड़ा हिंदी के समृद्ध की गहराई तनमन से ढूंढी जायेगी खुशियां अन्तर्मन में खूब जोरों पर हिंदी को प्रचारित प्रसारित की लहरायेगी हिंदी की तरक्की में दिमागी कसरतें नई नई तरकीबें कागज कलम में पखवाड़े में लिपिबद्ध होती आएगी हिंदी दिवस मनाने की याद दिल में सबजन को सितंबर में अक्सर सताती है कार्यशाला गोष्ठी प्रतियोगिता खूब दिलचस्प कर दी जाती है जमकर होता है आयोजन हिंदी को मजबूत करो हिंदी विकसित करो बोलो हिंदी करो समृद्ध जमकर भाषण में सारी बातें सबजन उठाते है जन ...
जिन्दगी
कविता

जिन्दगी

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** सुख और दुख का डेरा है जिंदगी। उजाला तो कभी अंधेरा है जिंदगी।। छांव कहीं तपती धूप है जिंदगी। माथे चंदन कहीं धूल है जिंदगी।। मशहूर कहीं बदनाम है जिंदगी। सुबह तो कहीं शाम है जिंदगी।। टूटना हारना और है बिखरना जिंदगी। गिरकर खुद ही सम्भलना है जिंदगी।। कहीं छल-कपट से घिरी है जिंदगी।। दुश्मन कहीं अपनों से भिड़ी है जिंदगी।। झूठी आशाओं से उदास है जिंदगी। कहीं उम्मीदों की आवाज है जिंदगी।। खुशियाँ तो कहीं गमों का भंडार है जिंदगी। कड़वाहट तो कहीं मीठे रस की धार है जिंदगी।। माना कि हर कदम इम्तिहान है जिंदगी। पर फर्ज निभाते रहें तो आसान है जिंदगी।। परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
आज तेरी बारी आई
कविता

आज तेरी बारी आई

सीमा रंगा "इन्द्रा" जींद (हरियाणा) ******************** मान ले बात मात-पिता की आज बारी तेरी आई। पढ़ ले, निखार ले खुद को वक्त को जानने की बारी आई। उठ प्रातः कर मेहनत पूरा दिन समय का सदुपयोग की बारी आई। भूल जा मस्ती, शरारतें, त्याग निंद्रा उज्जवल भविष्य करने की बारी आई। कम वक्त है पास तुम्हारे नसीहतें मानने की बारी आई। नहीं रहेंगे तुझे कहने वाले एक दिन तड़पाएगा वक्त ,समझने की बारी आई। अकेला रह जाएगा इस दुनिया में आज संभलने की बारी आई। कहीं पछताता ना रह जाए सीमा आज वक्त को जानने की बारी आई। परिचय :-  सीमा रंगा "इन्द्रा" निवासी :  जींद (हरियाणा) विशेष : लेखिका कवयित्री व समाजसेविका, कोरोना काल में कविताओं के माध्यम से लोगों टीकाकरण के लिए, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ हेतु प्रचार, रक्तदान शिविर में भाग लिया। उपलब्धियां : गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से...
वीर का संदेश
कविता

वीर का संदेश

निरुपमा मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** जब तिरंगे में घर आऊं, ओ पापा धीरज मत खोना, आंसू जो आंखों में छलके, पलकों के भीतर में रखना। युद्ध भूमि में घायल हूं मैं, कुछ सांसों का साथ बचा है, पर तेरे बेटे से पापा, यहां पे हाहाकार मचा है। नहीं बचा सीमा पर दुश्मन, मां का आंचल स्वच्छ हुआ, अपने तिरंगे की रक्षा का, मेरा सपना पूर्ण हुआ। ओ पापा मैं फिर आऊंगा, जब जब देश पुकारेगा, सौगंध तुम्हे इस बेटे की, मैं अपना वचन निभाऊंगा। परिचय :- निरुपमा मेहरोत्रा जन्म तिथि : २६ अगस्त १९५३ (कानपुर) निवासी : जानकीपुरम लखनऊ शिक्षा : बी.एस.सी. (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) साहित्यिक यात्रा : दो कहानी संग्रह प्रकाशित। अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्था द्वारा प्रति वर्ष प्रकाशित कहानी संकलनों में कहानियां प्रकाशित। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानी, कविता, यात्रा वृत...
शिक्षा है अनमोल रत्न-सी
कविता

शिक्षा है अनमोल रत्न-सी

अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** सदा मुक्त करती बंधन से, शिक्षा ज्ञान बढ़ती। ज्ञानी-गुणी बना मानव को, जग में मान दिलाती। शिक्षा देना पुण्य कार्य है, जो भी देकर जाने। शिक्षा देने वाले गुरु को, जगत विधाता माने। शिक्षा पाकर ही हर मानव, शिक्षित है कहलाता। ज्ञान-चक्षु जब खुल जाते हैं, तब दीक्षित हो जाता। शिक्षा को व्यवसाय बनाकर, जो शिक्षा देते हैं। शैक्षणिक व्यवसाय समझ कर, ही भिक्षा देते हैं। शिक्षक की छवि, धूमिल होती, शिक्षा ज्ञान न देती। ऐसी शिक्षा बन जाती है, कम उत्पादक खेती। शिक्षा को, व्यवसाय बनाना, पाप कर्म है भारी। शिक्षा सहित, कलंकित खुद को, करने की तैयारी। और अधिक, पाने की चाहत, ही लालच कहलाती। लालच, तृष्णा ही मानव का, है ईमान गिराती। शिक्षा है अनमोल रत्न- सी, खुशियों भरा खजाना। सुचिता, सात्विकता से हमको, श...