सफर
मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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मंज़िल तक पहुंचने में
किसी के मोहताज नहीं
कदम दर कदम कोई
हमसफ़र मिलेगा
सुकुन से कदम बढा ऐ दोस्त
आगे तुझसे कारवां जुड़ेगा।
सुकुने दिल को कचोटती
है चुनौती अपनों की
आंखों से अश्क नहीं
बहते दिल रोता है
कहने को हम सब
हैं अपनों के बीच
हर शख्स अपने सफर
में अकेला होता हैं।
ख्वाहिशों के दरख्तों के
साये बहुत लम्बे हैं
सायो के सहारे ख़्वाहिशों
की फ़ेहरिस्त पूरी नही होती
ज़माने की नजरें ऐसी बदली
कि हम देखते रह गए
वक्त गुजरता रहा
हम ख्वाब बुनते रहें।
परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेव...