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पद्य

बिटियाएँ ओझल
कविता

बिटियाएँ ओझल

============================= रचयिता : संजय वर्मा "दॄष्टि" एक तारा टुटा आँसमा से धरती पर आते ही हो गया ओझल ये वेसा ही लगा जैसे गर्भ से संसार में आने के पहले हो जाती है बिटियाँ ओझल । तारा स्वत:टूटता इसमे किसी का दोष नहीं मगर गर्भ में कन्या भ्रूण तोड़ने पर इन्सान होता ही है दोषी । चाँद -तारों का कहना है कि भ्रूण हत्या होगी जब बंद तो बिटियाएँ भी धरती पर से हमें निहार पायेगी चाँद -तारों सा नाम पाकर संग जग को भी रोशन कर पायेगी । आकाश से टुटाता आया  तारा लाया था एक संदेशा - भ्रूण हत्या रोकने का उससे नहीं देखी गई ऊपर से ये क्रूरता । वो अपने साथी तारों को भी ये कह कर आया- तुम भी टूट कर  एक -एक करके मेरी तरह भ्रूण हत्या रोकने का संदेशा लेते आओ । कब तक नहीं रोकेगें क्रूर इन्सान भ्रूण हत्याए संदेशा पहुँचे या न पहुँचे पर रोकने हेतु ये हमारा आत्मदाह है ...
मानसून देरी से आ रहा है
कविता

मानसून देरी से आ रहा है

=============================== रचयिता : विनोद वर्मा "आज़ाद" मालवांचल की कुछ प्रचलित मान्यताएं जिसे आज भी जिया जा रहा है। (गुमनामी की ओर बढ़ती हमारी परम्पराएं) मानसून देरी से आ रहा है इस बार मानसून देरी से आने के कारण ग्रामीण अंचलों में उथल-पुथल सी स्थिति निर्मित होने लगी। किसान का ध्यान आसमान और हवाओं की नमी पर लगा रहा तो व्यापारी भी अच्छे व्यापार की आस में आमजनों में घुलने-मिलने निकल पडे..... गरीब के लिए दो जून की भोजन व्यवस्था की चिंता तो पंडित जी का भी ध्यान अपनी पंचांग पर लगा रहा,उंगली के पोर की गणना बार-बार उलझा रही है। इन सबके बीच गरीबों की बस्ती से हमेशा की तरह निःस्वार्थ अपनी संस्कृति और उसके राग छेड़ना शुरू करती है कन्याएं व अच्छी बारिश की शुद्ध मन से प्रार्थना करती है। बहुत दिनों के बाद बनेडिया गांव में ऐसी ही बस्ती की कुछ कन्याएं मिट्टी का घर बना उसमें में...
रिश्वत ! पर कुछ बोल
कविता

रिश्वत ! पर कुछ बोल

============================== रचयिता : शिवम यादव ''आशा'' ! जनाब ! रिश्वत माँगी नहीं दी जाती है जब तक अपनी दी हुई रिश्वत से अपने ही इशारों पर सारे काम होते रहें, हम मुँह खोलने की कोशिश भी नहीं करते हैं बङी रिश्वत देने वाला तुम्हारे काम को रोककर अपना काम करवा या नौकरी पा लेता है उस दिन हम रिश्वत का ढिंढौरा पीटने लगते हैं ओ रिश्वत की साए में पलने वाले जनाब अब जरा अपने दिल पर हाथ रखिए कितने योग्य लोग आपकी रिश्वत के तले अपनी योग्यता साबित नहीं कर पाए और आप रिश्वत के दम पर यहाँ तक चले आए कितनों के दिल दुखाए हैं आपकी रिश्वत ने ये आपको नहीं पता ये हम आम लोगों से पूँछों..... लेकिन हकीकत ये है इस रिश्वत को पालते भी हम हैं और मिटाने की कोशिश भी करते हम हैं पोषते भी हम हैं इसको बलवान भी हम बनाते है जिस दिन रिश्वत की छुरी खुद पर चल जाती है उस दिन इसे कोशते भी हम हैं रिश्वत अच्छी भी है ...
ग़ज़ल
ग़ज़ल

ग़ज़ल

=================================== रचयिता : बलजीत सिंह बेनाम मिल गई हो जिसे घूँट भर ज़िन्दगी शब उसी के लिए है सहर ज़िन्दगी साथ तेरे हो कैसे बसर ज़िन्दगी संग मैं हूँ तू शीशे का घर ज़िन्दगी जन्म जिसने लिया उसको मरना पड़ा कर सका कौन आखिर अमर ज़िन्दगी जी रहे हैं सभी एक ही ढँग से बेअदब ज़िन्दगी बेहुनर ज़िन्दगी मैं तो पलकें बिछा कर थका हूँ बहुत मेरी राहों से अब तो गुज़र ज़िन्दगी लेखक परिचय : नाम : बलजीत सिंह बेनाम सम्प्रति : संगीत अध्यापक उपलब्धियाँ : विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित आकाशवाणी हिसार और रोहतक से काव्य पाठ आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindiraks...
देश शत शत नमन
कविता

देश शत शत नमन

=================================== रचयिता : शिवम यादव ''आशा''  दे दिया है वतन तुमको अपना जनम बह रहे हैं लहू में मेरे अब सारे ये गम देश पर हैं कर रहे प्राण न्योछावर अब हम देश की सरहद हो चाहें    चाहें हो दुश्मन की दम           पैर पीछे हम न रखेंगे भले मौत को गले लगा लें हम    देश तुझको कर रहा हूँ नई पीढ़ी के अब हवाले हम      वीर कुछ हैं नए नवेले इनका मार्गदर्शन करना अब तुम छोड़ कर अब जा रहे हैं भारत माँ के गोद में हम माफ़ करना देश मेरे मुझको है तुम्हें लाखों कोटि शत शत नमन लेखक परिचय : नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस...
विरह की ज्वाला ने
कविता

विरह की ज्वाला ने

========================================== रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर कहीं विरह की ज्वाला ने, मेरे अंतस से निकस तुम्हारे मन में डेरा डाला होगा। आह!  आज दिन काला होगा।...। तुमने तो मुड़कर नहीं देखा, शब्दों में बस भाव पिरोए। यादों में नीरस गए सावन, नैन, मेघ बन दिन भर रोए।। क्या-क्या स्मृति लाऊं तुमको, आह!  रुदन में हाला होगा।...। उस पथ पर मैं आज खड़ा हूँ जहां चैन पाते थे नैना। निरख-निरख कर भेद छुपाते, नहीं बताते थे मन बैना।। ऑखो में पल तैर गए हैं, आह! हृदय मतवाला होगा।...। अंदर तक झकझोर रही है, धड़कन भी सहमी-सहमी है। अब तक कह पाये ना तुमसे, आज मगर, कहनी-कहनी है।। पिछले जन्मों का कुछ तूने, आह ! नेह संभाला होगा।...।। परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं...
बेटी बचा लो, बेटी पढ़ा लो, 
कविता

बेटी बचा लो, बेटी पढ़ा लो, 

============================== रचयिता : इंजी. शिवेन्द्र शर्मा बेटी बचा लो, बेटी पढ़ा लो, करो तुम बेटी का सम्मान। बेटी से ही होत है , हम सबकी पहिचान। बेटी- बेटा में फर्क क्यों, जब हैं दोनों संतान। हक बराबर दोनों का, हो दोनों का उत्थान। विकृत सोच है मानव की, जो इनमें भेद कराती है। सृष्टा और नियंता की, रचना पर प्रश्न उठाती है। सृष्टि का बीज मंत्र है यह, इसकी रक्षा करनी होगी। प्रकृति का सौंदर्य है यह, इसकी पूजा करनी होगी। लेखक परिचय :-  नाम - इंजी. शिवेन्द्र शर्मा आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल प...
दोस्ती क्या है..?
कविता

दोस्ती क्या है..?

================================= रचयिता :  राम शर्मा "परिंदा" मुझसे न पूछो दोस्ती क्या है दोस्ती खुशियों का दरिया है कठिन काम भी हो जाता है बस मेरे दोस्तों का जरिया है दोस्ती ईश्वर की बड़ी देन है दोस्तों यह मेरा नजरिया है हर राज खुल जाते उनके दूूरी ना जिनके दरमियां है जग में वह सबका सखा है दिल में जिसके प्रेम-दया है उस पर सहज यकीं न करे दोस्ती में जो नया - नया है आओ दोस्ती के गुलशन में 'परिंदा' दोस्ती की बगिया है ।। परिचय :- नाम - राम शर्मा "परिंदा" (रामेश्वर शर्मा) पिता स्व जगदीश शर्मा आपका मूल निवास ग्राम अछोदा पुनर्वास तहसील मनावर है। आपने एम काम बी एड किया है वर्तमान में आप शिक्षक हैं आपके तीन काव्य संग्रह १ परिंदा, २- उड़ान, ३- पाठशाला प्रकाशित हो चुके हैं और विभिन्न समाचार पत्रों में आपकी रचनाओं का प्रकाशन होता रहता है, दूरदर्शन पर काव्य पाठ के साथ-सा...
हुआ सो हुआ
कविता

हुआ सो हुआ

=================================== रचयिता : पवन शर्मा "हमदर्द" चौकीदार को चोर बनाया, राफेल का गीत सुनाया, जनता को खूब बरगलाया, फिर भी हाथ कुछ नहीं आया, मोदी जी ने ३०० का आंकड़ा छुआ खेर जाने दो "हुआ सो हुआ"।। सुप्रीम कोर्ट में बोला झूठ, एयर स्ट्राइक पर मांगा सबूत, सब जगह से पार्टी हारी, और अमेठी से हारा खुद, इज्जत का तो बुरा हाल हुआ। खैर जाने दो "हुआ सो हुआ"।। गठबंधन ना कर पाया काबू, देखते ही रह गए चंद्रबाबू, हर तरफ हुई जगहंसाई, राज्य में अपनी भी सीट गवाई, ना दवा काम आई ना दुआ। खेब जाने दो "हुआ सो हुआ"।। जो मोदी को चोर बता रहे थे, तौहमतें उन पर लगा रहे थे, जनता ने कर लिया चुनाव, उल्टे पड़ गए सारे दांव, सिल दिए सभी के होठ, बिन सुतली बिन सुआ। खैर जाने दो "हुआ सो हुआ"।। अपनी हार को भाप गया, इसलिए वायनाड भाग गया, पार्टी की हुई बहुत बुरी गत, अपनी भी खूब करवाई फजीहत, खुद ही गिर गए उसमें, मोद...
लो अब मैं चीख़कर कहता हूं प्यार हुआ है मुझे
कविता

लो अब मैं चीख़कर कहता हूं प्यार हुआ है मुझे

=================================== रचयिता : शिवांकित तिवारी "शिवा" अजब सा नशा छाया है और खुमार हुआ है मुझे, लो अब  मैं  चीख़कर कहता हूं प्यार हुआ है मुझे, रात  भर  अब करवटें बदल कर सोने लगा हूं, हां अब उसका बनकर उसमें ही खोने लगा हूं, बेचैन रहती है  नज़रे  मेरी तुझे  देखने  की  खातिर, इश्क़-ए-सफ़र के सफ़र का हूं मैं बेपरवाह मुसाफ़िर, संवारने लगा खुद को जबसे तेरा दीदार हुआ है मुझे, लो  अब  मैं  चीख़कर  कहता  हूं प्यार  हुआ है मुझे, तेरी  तस्वीर अब मैं अपने  सीने से लगा कर रखता हूं, तेरी जुल्फें,आंखे और लबों को निहार कर निखरता हूं, अगर तू इश्क़-ए-दवा है तो अब बुख़ार हुआ है मुझे, लो अब  मैं  चीख़कर कहता हूं प्यार  हुआ  है  मुझे, लेखक परिचय :- शिवांकित तिवारी "शिवा" युवा कवि, लेखक एवं प्रेरक सतना (म.प्र.) शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ ...
रूहें भटकती
कविता

रूहें भटकती

=============================================== रचयिता : संजय वर्मा "दॄष्टि" प्यार के हंसीं पल समय के साथ खिसक जाते जैसे रेत  मुठ्ठी से खिसकती निशा विस्मित नजरों  से देखते वो स्थान जो अब अपनी पहचान खो चुके दरख़्त उग आए इमारते  ऊँची हो गई खिड़कियां चिड़ा रही सड़कें हो गई  भूल भुलैया प्रेम- पत्र के कबूतर मर चुके आँखों से ख्वाब का पर्दा उम्र के मध्यांतर पर गिर गया कुछ गीत बचे वो जब भी  बजे दिलों के तार छेड़ गए प्यार के हंसी पल वापस रेत मुठ्ठी में भर गए दिल से ख्वाब हटते नहीं शायद रूहें भटकती इसलिए क्योंकि उन्होंने कभी प्यार का खुमार लिपटा  हो परिचय :- नाम :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ - मई -१९६२ (उज्जैन ) शिक्षा :- आय टी आय व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) प्रकाशन :- देश - विदेश की विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचा...
वन्दे भारत
कविता

वन्दे भारत

============================================ रचयिता : वन्दना पुणतांबेकर अखण्ड भारत का सपना साकार हुआ। लाखो वीरो की कुर्बानी से। कश्मीर लहू से लाल हुआ। उन वीरो की कुर्बानी से देखो चमन बाहर हुआ। शंखनाद बज उठा भारत मे। ऐसा वीर प्रताप हुआ। सत्य सैलाब के लोकतंत्र से। कश्मीर फिर गुल,गुलशन,गुल्फाम हुआ। तिरंगे की आन,बान,शान,का। लोकतन्त्र में भारत का सम्मान हुआ। तिरंगे का गौरव महान हुआ। अखण्ड भारत का सपना साकार हुआ। परिचय :- नाम : वन्दना पुणतांबेकर जन्म तिथि : ५.९.१९७० लेखन विधा : लघुकथा, कहानियां, कविताएं, हायकू कविताएं, लेख, शिक्षा : एम .ए फैशन डिजाइनिंग, आई म्यूज सितार, प्रकाशित रचनाये : कहानियां:- बिमला बुआ, ढलती शाम, प्रायचित्य, साहस की आँधी, देवदूत, किताब, भरोसा, विवशता, सलाम, पसीने की बूंद,  कविताएं :- वो सूखी टहनियाँ, शिक्षा, स्वार्थ सर्वोपरि, अमावस की रात, हायकू कविताएं...
हरेक वेद में वही – वही पुराण में है
कविता

हरेक वेद में वही – वही पुराण में है

=========================== रचयिता : रशीद अहमद शेख लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, आलेख आदि। प्रकाशन ~ अब तक लगभग दो दर्जन साझा काव्य संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। पांच काव्य संकलनों का संपादन किया है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार ~ विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थानों द्वारा अनेकानेक सम्मान व अलंकरण प्राप्त हुए हैं। विशेष उपलब्धि ~ हिन्दी और अंग्रेजी का राज्य प्रशिक्षक तथा जूनियर रेडक्रास का राष्ट्रीय प्रशिक्षक रहे। ...
लोकतंत्र जयघोष हुआ
कविता

लोकतंत्र जयघोष हुआ

========================================== रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर केशर क्यारी महक उठी है, लोकतंत्र जयघोष हुआ। नागों के फन कुचल दिए है। तन-मन में उठ जोश हुआ।।.. देश की सीमा में होकर भी, सौतेला व्याहार रहा। भारत मां के बच्चों का पर, सदा अनोखा प्यार रहा।। विषधर के सब दांत निकाले, दूर-दूर विषदोष हुआ।।... केशर क्यारी महक उठी है, लोकतंत्र जयघोष हुआ।।.. परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मेलन में भी सहभागिता रही है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirak...
फ़िर से शेर दहाड़ा है
कविता

फ़िर से शेर दहाड़ा है

==================================== रचयिता : डॉ. बी.के. दीक्षित काश्मीर की घाटी में फ़िर से शेर दहाड़ा है। आतंकी बिल में छुपे हुए है,ढंग से उन्हें पछाड़ा है। कल तक जो गुर्राती थी,हाथ जोड़ कर कहती है। घर में हो गई नज़रबन्द, आंखों से नदिया बहती है। भौंक रहे हैं नहीं कहीं भी,,,,,श्वान आज कश्मीर में। स्वाद नहीं आ रहा उन्हें अब पकवानों या खीर में। घोर विरोधी भी होकर जो ,,,,,,,एक साथ गुर्राते थे। नफ़रत फ़ैलाकर नेता,,,, वो देशभक्त कहलाते थे? खुद की संतानों को जिनने,,, बड़ा किया विदेशों में। खौफ़ जहर की खेती करके,फ़सल उगाई खेतों में। हिन्दू मुस्लिम कभी न लड़ते,लड़ती सदा सियासत है। चैन अमन अब लौटेगा,,,,,,क्यों कहते हो आफ़त है? अमित शाह, मोदी जी की जोड़ी के हाल निराले हैं। पहली बार लगा है सबको,,,ये भारत के रखवाले हैं। पैंतीस ए तो ख़त्म हो गई,राज्य केंद्र के आधीन हुआ। पूरी तरह कश्मीर हमारा,समझो ...
सावन आयो रे
कविता

सावन आयो रे

============================== रचयिता : रीतु देवी सावन आयो रे मास मनभावन आयो रे हरी हरी चादर बिछी चहुँ ओर, प्रफुल्लित तन मन नाचे होकर विभोर। सावन आयो रे मास मनभावन आयो रे सब सखी हिलमिल झूले झूला, प्रेम पंखुरी सबके अंतर्मन खिला। सावन आयो रे मास मनभावन आयो रे बरसे रिमझिम वर्षा फुहार, पग बढ चले शिव जी द्वार। सावन आयो रे मास मनभावन आयो रे शिव जी से मांगे सजनी, सजना का प्यार बेशुमार आकर भोले बाबा धरा पर, भक्तों को दें मनवांछित उपहार। सावन आयो रे मास मनभावन आयो रे दिल में बजे नव धुन की शहनाई हरकर सूखापन सबने ली आंगराई। सावन आयो रे मास मनभावन आयो रे लेखीका परिचय :-  नाम - रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित क...
काव्यदीप है कविता
कविता

काव्यदीप है कविता

================================== रचयिता : मनीषा व्यास आत्मा के सौंदर्य का ख़्बाव है कविता काग़ज़ रूपी खेतों में शब्द रूपी क़लम से बीजों का अंकुरण है कविता — आत्मीय सौंदर्य का काव्यदीप है कविता पल पल संजोकर सपने भी सच कर हौसलों की उड़ान भर जाती है कविता - मन जब अकेले पन के आग़ोश में छिपा हो तो उस अकेलेपन का भी साथी बन न जाने कब साथ आ जाती है कविता _ मन जब भावना के अधीन बहक रहा हो तो भावना के साथ अश्रु बन कर बह जाती है कविता __ आसमान सी नीली धवल चाँदनी बन चंचल मन की चपलता में भी भाव गढ़ जाती है कविता __ तिमिर में जब राह भूल जाय कोई राही तो पथिक की राह में भी दीप जला जाती है कविता ........... लेखिका परिचय :-  नाम :- मनीषा व्यास (लेखिका संघ) शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत) रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्...
शरारत
कविता

शरारत

==================================== रचयिता :  माया मालवेन्द्र बदेका शरारत अंबर ने कर दी,झुक गया धरा पर ऐसे। घनी जुल्फों के साये हो,धरा गौरी बनी जैसे। नभ खिलखिला रहा,दौडता उड़ता रहता है। कभी नीचे को आता है,कभी उपर ही रहता है। करता है अठखेलियां, शरारत वो करता है। न जाने किस मौज में फिर, धरा पर बरसता है। वसुधा तृप्त होती है,बरसो की प्यासी हो जैसे। शरारत अंबर ने कर दी,झुक गया धरा पर ऐसे। घनी जुल्फों के साये हो,धरा गौरी बनी जैसे। झीलमिल सितारे जब, गगन में,चमकते हैं। धरा की ओट में फिर, जुगनू से दमकते है। इठलाती है धरणी, रिमझिम सुर सजते हैं। टपटप बूंदो की बारिश ,सरगम बजते हैं। भीनी खुशबू माटी की ,गगन को चूमती जैसे। शरारत अंबर ने कर दी,झुक गया धरा पर ऐसे। घनी जुल्फों के साये हो,धरा गौरी बनी जैसे। लेखिका परिचय :- नाम - माया मालवेन्द्र बदेका पिता - डाॅ श्री लक्षमीनारायण जी पान्डेय मा...
ग़ज़ल
ग़ज़ल

ग़ज़ल

=================================== रचयिता : बलजीत सिंह बेनाम जवानी यूँ ही तन्हा जाएगी तेरी गुज़र इक दिन मोहब्बत का भँवर हूँ मैं तू मुझमे आ ठहर इक दिन मेरे हाथों के छालों में तेरी तस्वीर है क़ायम तेरी फ़ुरक़त में मैंने जो रखे थे आग पर इक दिन कहाँ वो चैन पाएगा जला बस्ती ग़रीबों की ख़ुदा उसको भी कर देगा जहां में दर बदर इक दिन यही है सोचता गर तू रहेगा तू सदा प्यासा कभी तो तज़करा होगा मेरी भी प्यास पर इक दिन सदा सैय्याद कहता तेरा जीवन क़ैद में बुलबुल अगर छोड़ा क़फ़स तो तेरे दूँगा पर कतर इक दिन लेखक परिचय : नाम :-बलजीत सिंह बेनाम सम्प्रति: संगीत अध्यापक उपलब्धियाँ: विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित आकाशवाणी हिसार और रोहतक से काव्य पाठ आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के स...
सिर्फ़ तस्वीर
कविता

सिर्फ़ तस्वीर

=================================== रचयिता : शिवम यादव ''आशा'' ये तन्हाई करीब आई है खुदा से पूछो कैसी किस्मत बनाई है रह रह कर जी रहा हूँ फ़िर भी सामने कई जंग आई हैं चल खुदा तेरा वादा किया पूरा जो मेरे पूर्वज गुज़र गए अब हिस्से में मेरे उनकी है सिर्फ़ तस्वीरें आई लेखक परिचय : नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ''आशा'' है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !! काव्य संग्रह :- ''राहों हवाओं में मन " आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी मे...
है बहुत कुछ मगर…
कविता

है बहुत कुछ मगर…

============================== रचयिता : नेहा राजीव गरवाल है बहुत कुछ... मगर देखा नही जा सकता, महसुस किया जा सकता है मगर, महसुस किया नही जाता। राते अंधेरी होती है !! मगर..... मंजिल के मुसाफिरो के लिए, ये किसी रोशनी से कम नही, ये जो लमहा गुज़र रहा है ना यार, ये भी किसी मंजिल को पाने के लिए कम नही। मुश्किलें है......हज़ारो होती है मगर, मंजिल से हार जाने से बडा....और कोइ गम नही। हालाते बस सताती है यारो!! इनसे बहक जाना.....हमारा मकसद नही। आलसय आबाद है मगर, आलसय और मंजिल का, को......इ मेल नही। चाहे तो आज कर दिखा सकते है यारो!! मगर, कल करने वाले भी कम नही। सोच तो बेमिसाल है मगर, बस!!! सोचते ही रहना...... मंजिल तक का रास्ता नही, सोचते तो कई है यारो!! मगर अपनी सोच के मुकाम न दे पाने  वाले भी....... इस दुनिया मे कम नही। लेखीका परिचय :-  नाम - नेहा राजीव गरवाल दूधी (उमरकोट) जिला झाबुआ (म.प्र.) ...
जीते हैं, जीतेंगे हम
कविता

जीते हैं, जीतेंगे हम

============================== रचयिता : रीतु देवी हमने पीछे पलटकर देखना नहीं, मुश्किलों से हमें घबराना नहीं, दृढ अटल होकर बढाना है कदम, जीते हैं, जीतेंगे हम। सहना है काँटों की चुभन, चलना है बिना परवाह किए तपन, छू लेंगे आसमां, है हममें दम जीते हैं, जीतेंगे हम। जब साथ है करोड़ों हाथों का साथ, न कम होने देंगे आत्मविश्वास हमारे नाथ, नयी ऊर्जा से लबरेज रहेंगे हरदम, जीते हैं, जीतेंगे हम। लेखीका परिचय :-  नाम - रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल...
नाव चली
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नाव चली

================================================ रचयिता : रशीद अहमद शेख हौले-हौले संभल संभल कर नाव चली! मौसम के सांचे में ढल कर नाव चली! रंग-ढंग परिदृश्य बदलते रहे सभी सीमाओं से निकल निकल कर नाव चली! पतवारों ने समय-समय पर साथ दिया लहरों की छाती पर पल कर नाव चली! तूफानों ने कसर नहीं छोड़ी कुछ भी जीवन पथ पर फिसल फिसलकर नाव चली मंज़िल की चाहत में था उत्साह बहुत लहरों के संग उछल उछल कर नाव चली! पल-पल 'कलकल- कलकल' कहती रही नदी प्रेमातुर को मगर विकल कर नाव चली! पथ पर आड़े आई हवा 'रशीद' अगर अपने तेवर बदल बदल कर नाव चली! लेखक परिचय :-  नाम ~ रशीद अहमद शेख साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, क...
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कविता

मददगार

=============================================== रचयिता : संजय वर्मा "दॄष्टि" अस्वस्थता में पहचान होती ईश्वर और इंसान की कौन था मददगार श्मशान के क्षणिक वैराग्य ज्ञान की तरह भूल जाता इंसान मदद के अहसान को फर्ज के धुएँ में सांसे थमी आँखे पथराई रतजगा से आँखों में सूजन अपनों की राह निहारती आँखे झपक पड़ती हुई निढाल सी आवश्यकता का भान मन  बेभान भरोसे का  वजन करने की चाह में ईश्वर और इंसान बन जाते तराजू के पलवे गुहार का कांटा झुकता है किस और किसी को पता नहीं किंतु एक विश्वास थमी सांसों के लिए जो मांग रहा  दुआएँ पीड़ित  की सांसे चलने अपनों की आबो हवा में फिर से साथ जीने का नए  जीवन का अहसास एक आस के साथ खोजता मददगारों को वो ईश्वर हो या इंसान परिचय :- नाम :- संजय वर्मा "दॄष्टि" पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा जन्म तिथि :- २ - मई -१९६२ (उज्जैन ) शिक्षा :- आय टी आय व्य...
उस पार
कविता

उस पार

  ====================== रचयिता : ईन्द्रजीत कुमार यादव एक वादा तो दे देते की लड़ाई इस पार की उस पार न होगा, जो कहानी लिखा है ख़ुदा ने इस पार वो उस पार न होगा, वादा है तुझसे इस जहां से अच्छी कहानी मैं उस जहां में लिखूँगा। कुछ लिखूँगा ,कुछ कहूँगा आवाज सदियों पार भेजनी है, माना आज कुछ बंदिशे हैं जमाने की जिससे बंधे हैं हम दोनों, इतना तो वादा चाहूंगा तुझसे, इन्तेजार तेरा उस पार मेरा ज़ाया न होगा। बात एक रात की होती तो सो भी जाता, अब ये अश्क़ अपना अंजाम पूछता है, जहाँ ठहरना है वो मुकाम पूछता है, अब तू ही बता क्या आशियाना हमारे गमों का उस पार भी होगा? ज़ार-ज़ार होकर रोने को वहाँ क्या तेरा कान्धा होगा? जिसमे लिपट कर ये रूह फ़ना हो जाए, क्या वो दामन तेरा होगा? सड़क बहुत लंबा है इस तरफ का, तू साथ दे उस पार तो हर कदम मेरा तेरे साथ होगा। लेखक परिचय :-  नाम : ईन्द्रजीत कुमार यादव निवासी : ग...